52 कच्चे कर्मी हटाने के मामले ने तूल पकड़ा, आंदोलन की चेतावनी
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : हरियाणा परिवहन विभाग के दादरी बस डिपो की वर्कशॉप में कार्यरत 52 कच्
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
हरियाणा परिवहन विभाग के दादरी बस डिपो की वर्कशॉप में कार्यरत 52 कच्चे कर्मचारियों को सेवामुक्त करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसी के चलते सोमवार को परिवहन विभाग की तालमेल कमेटी ने सोमवार को उपायुक्त के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंप । उन्होंने एक सप्ताह में कर्मचारियों को वापिस नौकरी पर न लेने पर कड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। दादरी रोडवेज प्रबंधन ने गत दिनों वर्कशाप में तकनीकी हैल्परों के पदों पर कार्यरत 52 कच्चे कर्मचारियों को एक वर्ष की सेवा पूरी होने पर सेवा मुक्ति के आदेश जारी कर दिए थे। जिसके बाद से ही रोडवेज महासंघ, एसकेएस, इंटक व बीएमएस यूनियनें एकजुट हो गई थी। सोमवार को तालमेल कमेटी ने वर्कशॉप में बैठक की तथा बाद में उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। बैठक को संबोधित करते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इस मामले को लेकर यूनियन परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार से मिली थी और सेवामुक्त किए गए कर्मचारियों को वापिस लेने की मांग की थी। आश्वासन के बावजूद कर्मचारियों को वापिस लेने के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। एक साथ 52 कर्मचारियों को हटाने से जहां वर्कशॉप के कार्य पर असर पड़ा है वहीं बसें भी रिपेयर नहीं होने के कारण खड़ी हुई हैं।
ये कर्मचारी नेता थे मौजूद
ज्ञापन में हरियाणा रोडवेज कर्मचारी महासंघ के स्थानीय प्रधान धर्मबीर ¨सह डाला, सर्व कर्मचारी संघ दादरी प्रधान भूप¨सह धनासरी, इंटक प्रधान राजेश रावलधी, रणबीर सिह, विजयपाल यादव, उमेद ¨सह फौगाट, मनोज मंदौला, सोमबीर मैहड़ा, सुमित चिडिया, विकास, प्रदीप मंदौला, नरेश बाढ़डा, अर¨वद कान्हडा, सुख¨वद्र हडौदी, मंजीत बजाड, प्रदीप, नरेश इत्यादि ने कहा कि कच्चे कर्मचारियों की नियुक्ति के समय विभाग द्वारा कहा गया था कि यह नियुक्ति जब तक है तब तक नई भर्ती नहीं हो जाती। अब महाप्रबंधक ने बिना कारण बताए व बिना नोटिस के ही 17 मार्च को उक्त सभी कर्मचारियों को हटा दिया। जबकि अभी तक कोई नई भर्ती नहीं हुई है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इससे कर्मशाला का कार्य बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इससे परिवहन निगम को भी काफी नुकसान हो रहा है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि एक सप्ताह में यदि सभी 52 कच्चे कर्मचारियों को वापिस डयूटी पर नहीं लगाया जाता है तो यूनियन व कर्मचारी बड़ा कदम उठा सकते है।