पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले सैनिक को भूले
पुरुषोत्तम भोल्याण, बहल क्षेत्र के गांव सिरसी निवासी 85 वर्षीय पूर्व सैनिक श्रीराम स्वामी की दास्
पुरुषोत्तम भोल्याण, बहल
क्षेत्र के गांव सिरसी निवासी 85 वर्षीय पूर्व सैनिक श्रीराम स्वामी की दास्तां सरहद पर दुश्मनों से संघर्ष करने के बाद भी खत्म नहीं हुई। छह माह तक पाकिस्तान में कैद रहने के बाद भारत लौटे इस सैनिक को न तो कोई सुविधा मिल रही है और न ही कोई सम्मान।
बकौल पूर्व सैनिक श्रीराम स्वामी वे भारतीय सेना में सन 1954 में बरेली में भर्ती हुए थे। इसके बाद इस सैनिक ने 1962 में चीन के साथ लड़ाई लड़ी। स्वामी का देश के लिए योगदान केवल यहीं तक सीमित नहीं रहा। 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई, उस समय वे जम्मू में तैनात थे। उनकी टुकड़ी दुश्मनों से लड़ते लड़ते पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में जा घुसी। इसी दौरान दुश्मन की गोलियां श्रीराम स्वामी को लगी और वे अपना बचाव करने लगे तो उनकी कमर को गोलियों से छलनी कर दिया गया। श्रीराम स्वामी बेहोश होकर गिर गए और पाक सैनिकों के हाथ लग गए। पाकिस्तान के सैनिकों ने भी उसे मृत समझ लिया और उसे मुर्दा घर में फेंक दिया। लेकिन दो-तीन दिन बाद उसे होश आ गया और हिलता देखकर मिल्ट्री अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। लेकिन यहां पर श्रीराम स्वामी की किस्मत साथ दे गई। बंटवारे के दौरान बहल से पलायन करके पाकिस्तान गया एक डॉक्टर पाक सेना के अस्पताल में तैनात था और उससे उसकी मुलाकात हो गई। जब स्वामी ने उसे बताया कि वह पंजाब के हिसार जिले के सिरसी गांव का रहने वाला है, तो डॉक्टर ने भी बताया कि बहल का रहने वाला है। लेकिन इस बात का किसी से जिक्र नहीं करना। उस चिकित्सक ने उसका साथ दिया और उसे ठीक होने के बाद वह अपने घर ले गया। छह माह बीतने के बाद प्रयास करके उसे भारत भिजवाने की व्यवस्था कर दी। इधर हमारी सेना ने उसे मृत घोषित कर कपड़े भिजवा दिए। सेना की ओर से उसे कोई सहारा नहीं दिया गया। करीब 5-6 साल पूर्व उनकी डिस्चार्ज बुक गायब हो गई। इस बुक के गायब होने से अब उन्हें न तो कोई मेडिकल सुविधा मिल रही है और न ही पूर्व सैनिकों को मिलने वाली दूसरी सुविधाएं। इसके लिए वह पिछले कई वर्षो से बरेली स्थित कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है।
खेतीबाड़ी कर कर रहा है परिवार गुजारा
पूर्व सैनिक श्रीराम स्वामी के परिवार में तीन लड़के व तीन लड़कियां हैं। सभी शादीशुदा हैं। सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलने की वजह से उसका परिवार खेतीबाड़ी करके गुजारा कर रहा है।