जैन मुनियों ने सर्व जन कल्याण को श्रेष्ठ मार्ग बताया
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : गत चार दिनों के दौरान नगर में इदौर से पैदल यात्रा कर रोहतक को अपने चार
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : गत चार दिनों के दौरान नगर में इदौर से पैदल यात्रा कर रोहतक को अपने चार्तुमास प्रवास के लिए आए हुए जैन मुनियों को बृहस्पतिवार को समाज के गणमान्य लोगों द्वारा गाव कितलाना तक की विदाई दी गई। इससे पूर्व रात्रि सभा में संतों द्वारा धर्म चर्चा के साथ साथ सबको समाज में भाईचारा व एकजुटता रखने का संदेश दिया गया। अंतिम दिन रात्रि सभा में अनुपम मुनि, सितेन्द्र मुनि, वल्लभ मुनि, अमृत मुनि इत्यादि ने धर्म चर्चा के दौरान उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को कहा कि सभी धर्मो व संस्कृतियों का मूल आधार केवल अखंडता, शाति, आपसी सौहार्द व भाईचारा ही है। इसके अतिरिक्त सभी ग्रंथों में सर्व जीव कल्याण की भावना को ही सर्वोपरि बताया है। मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब कि हम सभी इन शिक्षाओं को अपने जीवन में न केवल पूरी तरह से उतार कर उनका अनुसरण करे व साथ में हर एक को इनके लिए निरन्तर प्रेरित करते भी रहे। विश्व शाति व सर्व प्राणी जन कल्याण को जीओ और जीने दो के रूप में जाना जाता है, इसलिए अहिंसा और भाईचारा व अखंडता हर धर्म के मूल में समाई हुई है। प्रात: वेला में मुनियों को जैन समाज के लोगों ने गाव कितलाना तक अनेक गणमान्य नागरिकों, महिलाओं व बच्चों नें जयकारों के साथ विदाई दी। जैन सभा के प्रधान डा. सुभाष जैन ने जानकारी दी कि अब ये संत भिवानी नगर को प्रस्थान कर गए हैं जहा कि वे सभी आगामी कुछ दिनों के लिए प्रवास कर धर्म प्रचार व प्रसार करेंगे। नगर की सीमा पर उन्हे आईसी जैन, टीनू जैन, रोहित जैन, लक्ष्मीनारायण जैन ने विदाई दी।