गैर जाट मतदाता करेंगे जाट प्रत्याशियों का फैसला
चुनावी समीकरण
सुरेश गर्ग, चरखी दादरी :
जातीय समीकरणों के लिहाज गैर जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी पिछले आठ विधानसभा चुनाव में दादरी हलके का प्रतिनिधित्व जाट समुदाय से जुड़े विभिन्न सियासी दलों के नेता ही करते रहे हैं। इस क्षेत्र में सबसे दिलचस्प बात यह है कि हर बार यहां चुनाव में जाट, गैर जाट का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाता रहा है लेकिन बहुसंख्यक गैर जाट मतदाताओं की पहली पसंद जाट प्रत्याशी बने रहे है। यहां तक की किसी भी चुनाव में मुख्य मुकाबलों में भी गैर जाट उम्मीदवार जगह नहीं बना पाए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर जाट समुदाय के प्रत्याशी रहे थे। इसी के चलते मतदाताओं की नब्ज को पहचान कर सभी प्रमुख सियासी दलों ने इस हलके से जाट वर्ग से अपना प्रत्याशी बनाया था। पिछले विधानसभा चुनाव परिसीमन के बाद हुए थे। परिसीमन के बाद दादरी विधानसभा क्षेत्र में पंवार राजपूत खाप के करीब एक दर्जन नए गांव शामिल करने के बाद जाट, गैर जाट मतदाताओं का संख्या के हिसाब से फासला और भी बढ़ गया था। सन् 2005 के विधानसभा चुनाव तक इस क्षेत्र में जाट वर्ग के 39 व गैर जाट 61 फीसदी थे। परिसीमन के बाद हुए चुनाव में जाट 33 व गैर जाट 67 प्रतिशत हो गए थे। इसके बावजूद पिछले चुनाव में यहां पहले स्थान पर रहे हजकां के सतपाल सांगवान को 27 हजार 790, इनेलो के राजदीप फौगाट को 27 हजार 645 तथा कांग्रेस के मेजर नृपेंद्र सांगवान को 26 हजार 368 मत मिले थे। तीनों जाट वर्ग के प्रत्याशी थे। इस बार भी कमोबेश टिकटों के आंवटन में कमोबेश जातीय हिसाब से पुराने हालात ही नजर आ रहे है। इनेलो ने तो अपनी सूची में राजदीप फौगाट को पुन: अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा व कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों में भी जाट समुदाय के टिकटार्थी अधिक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।
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आठ बार चुने गए जाट प्रत्याशी
आपातकाल के बाद सन 1977 के विधानसभा चुनाव में दादरी हलका सामान्य वर्ग में शामिल हो गया। इससे पूर्व सन् 1971 के चुनाव तक यह अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित था। सन 1977 में यहां से जनता पार्टी के मा. हुकम सिंह चुने गए। सन 1982 व 1987 के चुनाव में भी मा. हुकम सिंह ही चुने जाते रहे। सन 1991 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल द्वारा गठित हरियाणा विकास पार्टी से धर्मपाल सांगवान चुने गए। सन 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से ही उस समय दूर संचार विभाग से त्याग पत्र देकर मैदान में उतरे सतपाल सांगवान चुने गए। सन 2000 में यहां से एनसीपी के जगजीत सिंह सांगवान, 2005 में कांग्रेस के मेजर नृपेंद्र सांगवान व 2009 में हजकां प्रत्याशी के रूप में सतपाल सांगवान चुने गए। सन 1977 से लेकर पिछले 2009 के चुनाव तक दादरी हलके से चुने जाने वाले सभी प्रत्याशी जाट समुदाय से रहे हैं।
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67 फीसदी हैं गैर जाट मतदाता
दादरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुल एक लाख 72 हजार 842 मतदाता हैं। इनमें 91 हजार 695 पुरुष व 80 हजार 147 महिलाए हैं। परिसीमन के बाद इस क्षेत्र में शामिल हुए नए गांवों के बाद जो जातीय तस्वीर उभर कर सामने आई है उसके अनुसार 57 हजार के करीब जाट वर्ग के मतदाता हैं। इनके अलावा ब्राह्म्ण मतदाता 19 हजार, राजपूत 14 हजार, यादव 8500, पिछड़े वर्ग मतदाता करीब 29 हजार, अनुसूचित वर्ग के 27 हजार, महाजन 7 हजार, पंजाबी अरोड़ा, खत्री 5 हजार व अन्य 7 हजार के करीब है।
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चार जोन करते हैं प्रभावित
दादरी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यत: चार जोन चुनाव के नतीजों को प्रभावित करते रहे हैं। इनमें सांगवान खाप के गांव, पंवार, राजपूत खाप के गांव, दादरी शहर व सतगामा बारहा खाप के गांव शामिल हैं। कई बार देखने में आता रहा है कि इन चारों जोन के मतदाताओं का रुझान अलग अलग रहा है। चार माह पूर्व सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह दादरी शहर व पंवार खाप में बढ़त बनाने में सफल रहे जबकि कांग्रेस की श्रुति चौधरी सांगवान खाप में, इनेलो के राव बहादुर सिंह सतगामा बारहा खाप में आगे रहे थे।