गुटबाजी से नहीं लग पाई एक भी ईट
संवाद सूत्र, बाढड़ा : अस्सी के दशक में शिक्षा क्षेत्र मे प्रदेश भर से प्रथम गाव होने का दर्जा पाने वाले व पूर्व उपराज्यपाल चंद्रावती, पूर्व मंत्री काता देवी के पैतृक गाव डालावास में पिछले तीन वर्ष से विकास के नाम पर एक ईट भी नहीं लग पाई है। गाव की तंग गलियों में खड़े लोहे के खंभे व गाव के बीच में स्थित अधर में लटके बोरिग से विकास की उपेक्षा के उदाहरण पेश हो रहा है। बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण गाव कहलाने का दर्जा पाने वाला डालावास गाव आज विकास का मोहताज बन कर रह गया है। आजादी से पूर्व में बिड़ला के निजी शिक्षण संस्थान के अलावा कभी क्षेत्र के पाच दर्जन गावों के दसवीं कक्षा के शिक्षण केन्द्र के रुप में विख्यात गाव सबसे पहले उस समय प्रकाश मे आया जब मात्र 22 वर्ष की आयु की वकालत की पढ़ाई करने वाली चंद्रावती नामक छात्रा ने 1952 में विधायक का चुनाव लड़ा और न्यायिक प्रक्रिया के बाद इस चुनाव में जीत का खिताब प्राप्त किया। प्रदेश में सबसे पहले महिला वकील, महिला विधायक, महिला उप राज्यपाल, महिला मंत्री व विपक्षी दल की नेता होने का गौरव प्राप्त करने वाली चंद्रावती देवी ने गाव के विकास के लिए अनेक काम तो करवाए लेकिन समय के बदलाव में आज उनकी केवल यादें शेष रह गई है। मौजूदा समय में गाव में आपसी गुटबाजी विकास की राह में सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। ग्रामीणों ने सरपंच पद के लिए बड़ी समझदारी से पहाड़ ठेकेदार मंदीप श्योराण का चुनाव किया लेकिन गाव के बुरे दौर के चलते गाव में पूर्व व मौजूदा सरपंच के बीच रिकार्ड चार्ज विवाद भी तीन वर्ष बाद निपट पाया है। आरटीआई कार्यकर्ता दलबीर सिंह, नंबरदार टेकचंद, कपिल श्योराण, राजेश कुमार, रघबीर सिंह, प्रदीप, करण सिंह इत्यादि ने बताया कि सरकारी उपेक्षा से गाव में पिछले तीन वर्ष में गली निर्माण के नाम पर एक ईट भी नहीं लग पाई है। सासद श्रुति चौधरी के कोटे से शुरु की गई दलित चौपाल की चारदिवारी अधर में लटकी हुई है वहीं गाव किसी क्षेत्र में विकास गति नहीं पकड़ पाया है। इस बारे में बुजुर्ग सुमेर सिंह डालावास ने बताया कि कभी प्रदेश की सियासत इस गाव के मुख्य चौक से चलती थी और प्रदेश में अब तक जितने भी सीएम बने इस गाव में देर सवेर जरुर आए लेकिन दुर्भाग्य है कि इस गाव को विकास की सौगात नहीं मिल पाई है।
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चार्ज ही दो माह पूर्व मिला: मंदीप
बाढड़ा: डालावास के सरपंच मंदीप श्योराण ने बताया कि गाव में विकास के लिए वे प्रयत्नशील है लेकिन सही मायनों में उनको दो माह पूर्व ही विकास कार्यो का चार्ज मिला है। वे ग्रामीणों व विकास एवं पंचायत विभाग के सहयोग से गाव में विकास की अधर में लटके कार्यो को जल्द ही पूरा करवाने का प्रयास करेगे।
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विकास योजनाएं होंगी पूरी: एसडीएम
बाढड़ा: दादरी के एसडीएम व बाढड़ा के बीडीपीओ पद पर अतिरिक्त काम देख रहे गौरव कुमार ने बताया कि उन्होंने एक सप्ताह पूर्व ही चार्ज संभाला है। वे विशेष तौर पर गाव के विकास से संबंधित रजिस्टर मंगवा कर गाव में मनरेगा जैसी योजना का संचालन शुरु करवाएंगे वहीं अन्य मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए अन्य विभागों से भी जवाब तलब किया जाएगा।
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