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शहीदों के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेने का आह्वान

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: शहीद भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए लड़ी गई लड़ाई में निर्णायक

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 01:01 AM (IST)
शहीदों के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेने का आह्वान
शहीदों के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेने का आह्वान

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

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शहीद भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए लड़ी गई लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी। देश की स्वाधीनता संग्राम के अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए आज हम शहीदी दिवस पर उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लें, यहीं उनको सच्ची श्रद्धाजलि होगी। यह विचार बीएलएस तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थान में पत्रकारिता विभाग द्वारा शहीदी दिवस के मौके पर भगत सिंह एक विचारधारा विषय पर आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने व्यक्त किए।

पत्रकारिता विभाग के समन्वयक हर्षवर्धन पाडे ने कहा कि भगत सिंह को छोटी उम्र से ही गुलामी पसंद नहीं थी। यही बात अंग्रेजों को पसंद नहीं थी। भगत ने सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ आजादी के सपने देखे। भगत सिंह की शहादत से न केवल अपने देश के स्वतंत्रता संघर्ष को गति मिली बल्कि नवयुवकों के लिए भी वह प्रेरणा स्त्रोत बन गए। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह के सपनों के समाज के निर्माण के पथ पर चलना ही शहीद भगत सिंह की कुर्बानी और विचारधारा को सच्ची श्रद्धाजलि होगी। सहायक प्रोफेसर सुरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि यह एक संयोग ही था कि जब उन्हें फासी दी गई और उन्होंने संसार से विदा ली, उस वक्त उनकी उम्र 23 वर्ष थी और दिन भी था 23 मार्च। उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता उग्र हो जाएगी, लेकिन जब तक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था। आज की नौजवान पीढ़ी को भगत सिंह से प्रेरणा और मार्गदर्शन लेते हुए समाज बदलने की राह अपनानी होगी।

अमनप्रीत कौर ने कहा कि हमें शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। तरुणा चौहान ने कहा कि जब विचार और संस्कृति पर हमले हो रहे हों तो ऐसे में भगत सिंह के विचार और संघर्ष और उनकी शहादत हमारे लिए प्रकाश स्तंभ हैं। शिवानी गुलिया और कनिका ठाकुर ने कहा कि अमृतसर में हुए जलियावाला बाग हत्याकाड ने भगत सिंह की सोच पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की। पुंजिका गंभीर ने कहा आज के दौर में भगत सिंह के साम्राज्यवाद विरोधी विचार प्रासंगिक हैं।


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