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लीपापोती में फंसा स्टेडियम का निर्माण

By Edited By: Published: Wed, 11 Dec 2013 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2013 06:31 PM (IST)
लीपापोती में फंसा स्टेडियम का निर्माण

जागरण संवाद केंद्र, बहादुरगढ़ : आसौदा गाव में स्टेडियम का निर्माण सरकारी लीपापोती के कुचक्र में फंस गया है। सरकार ने तो कई साल पहले ही इसके लिए राशि जारी कर दी लेकिन उसके बाद जिनके कंधों पर इस योजना को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने ऐसा ताना बुना कि आज तक यह पूरा नहीं हो सका है। खूब शिकायतें, अनेकों बार आरटीआइ का इस्तेमाल भी कारगर नहीं हो रहा। लाखों रुपये खर्च हो चुके है लेकिन अब भी इसका अच्छा खासा कार्य बकाया है। सवाल यह है कि यह कार्य आखिरकार कब हो पाएगा?

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दरअसल आसौदा गाव में दादा बूढ़ा मंदिर के पीछे जमीन पर स्टेडियम के निर्माण के लिए वर्ष 2008-09 में सरकार की ओर से 44 लाख से ज्यादा राशि जारी कर दी गई थी लेकिन स्टेडियम निर्माण में 15 मदों पर जो राशि खर्च होनी थी वह खाते से तो निकल गई लेकिन जमीन पर उससे या तो कुछ मद में कार्य हुआ ही नहीं या फिर हुआ तो वह आधा-अधूरा है। चार साल में जो कुछ यहा हो पाया है उसके लिए भी मंदिर की समिति के सदस्यों और गाव के लोगों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया, तब जाकर बात बनी। खास बात तो यह है कि अभी अच्छा खासा काम बकाया है और पंचायत विभाग ने काफी दिन पहले ही अपने रिकार्ड में इस कार्य को पूरा हुआ दिखाया है। यह स्थिति ग्रामीणों के गले नहीं उतर रही है।

यह थी बजट की स्थिति

सरकार की ओर से इस स्टेडियम के निर्माण के लिए 17 अपै्रल 2008 को 28 लाख 69 हजार 750, 20 अगस्त 2009 को 11 लाख 40 हजार और 18 मई 2009 को 4 लाख 50 हजार रुपये जारी किए गए। इसके तहत पंचायत विभाग की ओर से 10 अगस्त 2008 को तथा 7 जुलाई 2010 को स्टेडियम की चारदीवारी कमरों का निर्माण पूरा हुआ दिखाया गया है।

यह है निर्माण में कमी

दादा बूढ़ा मंदिर समिति के प्रधान जय सिंह दलाल व सदस्य मनोज कुमार के मुताबिक आज के दिन स्टेडियम के अंदर स्टेज को कवर करने का कार्य अधूरा है। टै्रक और मल्टीपर्पज हॉल का 40 फीसद काम बकाया है। शौचालय का 50 फीसद काम अधूरा है। इसके अलावा मुख्य द्वार का कार्य नहीं हो पाया है। बास्केट बाल कोर्ट का कार्य आधा बाकी है। चौकीदार का कमरा भी पूरा नहीं हुआ है। स्टेडियम के अंदर फलड लाइट और हॉल व कमरों के अंदर बिजली का कार्य बिल्कुल नहीं हुआ है। जबकि रिकार्ड में यह कार्य दिखाया गया है। जन स्वास्थ्य से संबंधित जो कार्य होना है वह भी कुछ नहीं किया गया था। सरकार ने जो राशि दी थी उसके अलावा भी सासद दीपेंद्र हुड्डा ने 10 लाख की राशि दी है। उसमें से पाच लाख की राशि तो खर्च हो चुकी है। बाकी बकाया है। इस बारे में न तो कार्य किया जा रहा है और न ही अधिकारी आरटीआइ का कोई जवाब दे रहे है। समिति प्रधान ने कहा कि सरकार ने विकास के लिए पैसा दिया था लेकिन अधिकारियों ने इसमें खूब गोलमाल किया है। लाखों रुपये समिति ने खर्च करके मिट्टी डलवाई है। पहले अधिकारी हॉल पर 12 फुट पर ही छत डालने पर अड़े थे। बाद में ग्रामीणों के दबाव पर पिल्लर दोबारा से तोड़कर बनाए गए और छत भी ऊंची करवाई गई है। इससे अफसरों की नीयत का पता चलता है।

सरकार का पूरा पैसा हुआ खर्च

इस कार्य से जुड़े पंचायत विभाग के तत्कालीन स्थानीय एसडीओ राज सिंह का कहना है कि सरकार ने जो पैसा दिया था वह पूरा खर्च किया गया है। इसकी एसेसमेंट भी हो चुकी है। यदि इससे संबंधित कोई पैसा बकाया है तो उसकी मुझे जानकारी नहीं।

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