कृषि से आय बढ़ाने के साथ भूमि के स्वास्थ्य का भी ध्यान आवश्यक
संवाद सहयोगी, शहजादपुर : किसानों को कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीक का सहारा लेकर अपनी आ
संवाद सहयोगी, शहजादपुर : किसानों को कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीक का सहारा लेकर अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ मृदा (भूमि) के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। रसायनिक खादों, कीटनाशक दवाओं के अधिक प्रयोग व फसलों के अवशेष जलाने से मृदा की उपजाऊ शक्ति प्रभावित होती हैं। खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मृदा का विशेष महत्व है। अधिकतम फसल उत्पादकता और टिकाऊ कृषि वृद्धि के लिए इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यह बातें रविवार को स्थानीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान श्रम एवं रोजगार व खान एवं भू विज्ञान विभाग के राज्य मंत्री नायब ¨सह सैनी ने कही।
राज्य मंत्री ने सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए उठाये गये कदमों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाये और उसका उपयोग कर आमदनी बढ़ाये, मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोषक तत्वों के संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है। मृदा परीक्षण के आधार पर मुख्य, द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करना चाहिए। सैनी ने कहा कि एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के अंतर्गत क्षेत्र विशेष में उपलब्ध विभिन्न खाद जैसे गोबर की खाद, ग्रामीण कम्पोस्ट, शहरी कम्पोस्ट, हरी खाद की फसलों आदि को अपनायें, विभिन्न प्रकार के जैव उर्वरकों का प्रयोग कर खेती की लागत को घटाएं, मृदा उर्वरता में सुधार के लिए फसल अवशेषों को खेतों में जुताई कर मिलान करें। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा 5 दिसंबर 2014 को प्रथम विश्व मृदा दिवस मनाया गया। प्रथम विश्व मृदा दिवस की संध्या पर यूएनएफएओ ने ग्लोबल सोइल पार्टनरशिप (जीएसपी) के साथ वर्ष 2015 को यूएन अंतरराष्ट्रीय मृदा वर्ष घोषित किया।