धुआं रहित का ¨ढढोरा, 90 फीसद गैस चूल्हे को तरसे
दीपक बहल, अंबाला मां-बहन की तबीयत का ख्याल रखते हुए बच्चों और महिलाओं में अशुद्ध ईंधन के
दीपक बहल, अंबाला
मां-बहन की तबीयत का ख्याल रखते हुए बच्चों और महिलाओं में अशुद्ध ईंधन के कारण होने वाले रोगों में कमी लाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला अंबाला में दम तोड़ती नजर आ रही है। इसका मुख्य कारण वर्ष 2011 का सर्वे है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों को शामिल ही नहीं किया गया। यहां तक की इनमें से अधिकांश परिवारों के पास बीपीएल का कार्ड तो है लेकिन पीएम की इस योजना यह आज तक दूर हैं क्योंकि उनका इस योजना के तहत नाम ही शामिल नहीं किया गया है। लिहाजा भीतरी और बाहरी वायु प्रदूषण को कम करना के दावे अंबाला में हवा-हवाई हो गए हैं। दैनिक जागरण ने अंबाला से सटे बिहटा गांव में जमीनी स्तर पर हकीकत जानी तो आज भी घरों में महिलाएं देसी चूल्हे पर उपलों से खाना बनती हैं। फूंकनी से चूल्हे पर हवा मारती हुई महिलाएं आज भी इस गांव में देखी गई। गांव की आबादी करीब 15 हजार है, इसमें करीब 230 परिवार बीपीएल हैं। गोबर के उपले और अच्छा ईंधन इस्तेमाल करने के लिए गांव के लोगों ने उज्ज्वला के तहत आवेदन किया हुआ है, लेकिन जब भी वह एजेंसी पर जाते हैं तो रटा-रटाया एक ही जवाब मिलता है कि उन्हें मुफ्त कनेक्शन नहीं दिया जा सकता, क्योंकि जारी की गई सूची में उनका नाम ही नहीं है।
गैस एजेंसी तक की गई जांच
दैनिक जागरण ने गांव के बाद गैस एजेंसियों पर जानकारी छानबीन की तो पता चला कि खाद्य आपूíत विभाग ने जो लिस्ट उपलब्ध कराई है महज उसी के तहत उज्ज्वला का कनेक्शन दिया जाएगा। सिक्योरिटी नहीं ली जाएगी जबकि चूल्हे के 990 रुपये लिए जाएंगे। यदि कोई उपभोक्ता चूल्हा नहीं भी लेना चाहता तो महज उसे भरे सिलेंडर के दाम लेकर कनेक्शन जारी कर दिया जाएगा। जिन लोगों का नाम सूची में नहीं है उसमें न तो एजेंसी संचालक कुछ कर सकता है न ही विभागीय अधिकारी। इसके अतिरिक्त जिन लोगों ने योजना के तहत कनेक्शन लेने के लिए आवेदन किया है उनका रिजेक्ट तो किया जा रहा है लेकिन कारण लोगों को नहीं बताए जा रहे। ऐसे हालात में बीपीएल परिवार के लोगों को समझाना मुश्किल है क्योंकि उनका एक ही सवाल होता है कि जब दूसरे बीपीएल परिवारों को कनेक्शन मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं?
2011 के सर्वे में छूट गए परिवार अब हो रही परेशानी
1 मई, 2016 को लागू हुई उज्ज्वला योजना में 2011 की जनगणना के आधार पर ही सर्वे किया गया है। अंबाला में करीब 50 हजार परिवारों की सूची जारी की गई है जबकि बीपीएल परिवार और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार सर्वे में छूट गए हैं। इन परिवारों को फिलहाल योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। सर्वे में महिलाओं को नाम तो है लेकिन यह नहीं लिखा कि वह किसकी पत्नी है। गांव में जाकर महिलाओं को ढूंढने में भी एजेंसियों व विभाग के पसीने छूट रहे हैं। जिन्होंने कनेक्शन के लिए आवेदन किया है उनका नाम ही नहीं है। जिनका नाम है उनका घर नहीं मिल रहा।
शर्तें बनी अड़ंगा
लिस्ट में नाम आने के बावजूद भी महिलाओं को कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है। इसका सीधा अर्थ सरकार की तय शर्तें हैं। शर्तों के मुताबिक यदि महिला के या उसके पति के नाम कोई गैस सिलेंडर है तो उन्हें योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद सबसे पहले तीनों कंपनियों द्वारा वेरिफाई किया जाता है कि आवेदनकर्ता के नाम कोई सिलेंडर तो नहीं है। सिलेंडर हो तो फार्म को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
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करीब 5100 परिवारों को उज्ज्वला योजना से जोड़ दिया गया है। चार हजार के करीब के फार्म वेरिफाई हो चुके हैं। जल्द ही उन्हें भी कनेक्शन जारी कर दिए जाएंगे। सभी को शर्तों के अनुसार ही कनेक्शन दिए जा रहे हैं। यदि किसी परिवार में पहले से ही कनेक्शन हैं तो उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
निशांत राठी, डीएफएसई, अंबाला।
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