'कुबेरों' ने किया कालाधन सफेद, खंगाले जाएंगे खाते बही
::जागरण विशेष:: -खुफिया विभाग ने शिक्षण संस्थान, अस्पताल संचालाक, साड़ी शोरूम मालिकों की स
::जागरण विशेष::
-खुफिया विभाग ने शिक्षण संस्थान, अस्पताल संचालक, साड़ी शोरूम मालिकों की सूची भेजी
-एक शिक्षण संस्थान ने दाखिले के नाम पर लाखों का डोनेशन लिया, राज्य सरकार का रुख कड़ा
दीपक बहल, अंबाला
नोटबंदी के साथ ही कालेधन को सफेद करने का खेल भी आरंभ हो गया था। किसी उद्योगपति ने अपने कर्मचारियों को 4-4 मास का एडवांस वेतन 500 व 1000 के नोटों के रूप में बांट चुके हैं तो कुछ ने रिश्तेदारों के खातों में रुपये जमा करवा दिए। जिले के ग्रामीण क्षेत्र के नामीगिरामी एक बड़े शिक्षण संस्थान में दाखिले के नाम पर जो लाखों रुपये डोनेशन एकत्रित किया उसे अब खपाने के जुगाड़ में लगे हैं। ऐसे रसूखदारों पर राज्य सरकार का रुख कड़ा है। प्रदेश की खुफिया विभाग ने इनके नामों की सूची जिला प्रशासन को भेजी है ताकि पड़ताल कर कालाधन पकड़ा जा सके। जिला प्रशासन अपने स्तर और आयकर विभाग की मदद से बही-खातों की पड़ताल कर रिपोर्ट सरकार को भेजेगा।
सूत्रों का कहना है नोटबंदी के बाद 500-1000 हजार रुपये के नोटों को खपाने का खेल आरंभ हो गया था। आयकर विभाग ही नहीं, बल्कि खुफिया विभाग की भी ऐसे लोगों पर निगाहें हैं जो सरकार को गुमराह कर कालाधन, सफेद करने में जुटे हैं। अपने सूत्रों के माध्यम से खुफिया विभाग ने सूचनाएं एकत्रित कर गेंद प्रशासन की झोली में डाल दी है। कुछ संस्थान व अस्पताल संचालक आपने पास पड़ी ज्यादा धनराशि को खपाने के रास्ते तलाश रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षण संस्थान ने पहले दाखिले के नाम पर लाखों रुपयों की डोनेशन ली और अब अपने-अपने कर्मचारियों के खातों में लाखों रुपये डालकर कालाधन को सफेद करने का प्रयास कर किया जा रहा है। जांच के बाद पता चलेगा कि कितने का खेल हुआ। इसी प्रकार एक रसूखदार उद्योगपति ने एक-एक शोरूम 5-5 करोड़ रुपये में बेचा, जबकि रजिस्ट्री कम रुपये की कर कालाधन एकत्रित किया। इस उद्योगपति ने अपने रसूख पर बैंक अधिकारियों से बातचीत कर कालाधन सफेद करने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, कालेधन से रातोंरात सोना खरीदा। एक साड़ी के शोरूम मालिक ने 500-1000 रुपये के नोट खपाने के लिए अपने कर्मचारियों व उनके परिवार के माध्यम से रुपये बैंकों में जमा करवाने का प्रयास किया है। इसके लिए कर्मियों को 4-4 मास का एडवांस वेतन तक दिया गया। इसी प्रकार अस्पताल के संचालक भी अपने कालेधन को सफेद करने में जुट गए। यहां टैक्स से बचने के लिए प्रॉपर्टी आदि पर रुपया लगाया गया है। आंखों के डाक्टर ने मरीजों के उधार में आपरेशन कर चेक ले लिए गए हैं। ऐसी अनेक जानकारिया खुफिया विभाग ने दी हैं जिनपर कार्रवाई होगी। इन इनसे संबंधित के खाते चेक होंगे जिसके बाद सच से पर्दा उठेगा।
दो सप्ताह बाद मिली नामों की सूची
यह सूची प्रशासन तक पहुंचने में करीब दो सप्ताह का समय लग गया। अफसरों का मानना है कि इंटेलीजेंस ने यह सूचना देने में लंबा समय लगा दिया और यह सूचना आयकर विभाग को देकर सीधे छापेमारी होनी चाहिए थी। अब प्रशासन या तो खुद इन रसूखदारों के खाते चेक कराएगा या फिर आयकर विभाग की मदद लेने के लिए पत्राचार होगा। इसमें नामों की सूचना लीक होने का भी अंदेशा है। नामों की सूची सीधे आयकर विभाग को देकर कार्रवाई करवानी चाहिए थी लेकिन अब पत्र एक टेबल से दूसरी टेबल तक पहुंचने के कारण रसूखदारों को आसानी से इसकी भनक लग सकती है। यहां लगता है कि सिर्फ गेंद एक पाले से दूसरे पाले में फेंकी गई।