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अमावस्या मेले के लिए बसों ने लगाए 400 से ज्यादा चक्कर

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कुरुक्षेत्र के पिहोवा मेले में श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 08:39 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 08:39 PM (IST)
अमावस्या मेले के लिए बसों ने लगाए 400 से ज्यादा चक्कर
अमावस्या मेले के लिए बसों ने लगाए 400 से ज्यादा चक्कर

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कुरुक्षेत्र के पिहोवा मेले में श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए अंबाला डिपो ने विशेष इंतजाम किए। इस कार्य के लिए 70 बसों को इस रूट पर विशेष रूप से लगाया गया जिन्होंने 400 से ज्यादा चक्कर लगाकर धर्म प्रेमियों को मेले में पहुंचाने का काम किया।

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दरअसल पिहोवा में तीन दिवसीय मेला मेला 26 मार्च से प्रारंभ हुआ जो 28 मार्च तक चलेगा। पिहोवा को पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है, यहां पवित्र सरस्वती नदी है। सरस्वती नदी के भी अनेक तीर्थ हैं। इन सब में पिहोवा तीर्थ सर्वश्रेष्ठ है। सरस्वती के बारे में वामन पुराण में पढ़ने को मिलता है।

मान्यता है कि जो मनुष्य सरस्वती के तट पर स्थित पिहोवा पर जप करते हुए शरीर छोड़ता है वह जन्ममरण से रहित होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। गंगा, यमुना, नर्मदा, ¨सधू इन चारों नदियों के स्नान का फल अकेले पिहोवा में ही प्राप्त हो जाता है। सरस्वती का जल पीने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बताते हैं कि वामन पुराण में चेतावनी दी गई है कि जिन लोगों ने पिहोवा तीर्थ का नाम कानों से नहीं सुना, अपनी आंखों से नहीं देखा, मन से पिहोवा को याद नहीं किया, ऐसे लोगों के पितर पितृलोक में बैठे हुए कहते हैं कि हमारे पुत्र-पौत्रादिकों ने व्यर्थ में जन्म लिया है। यही वह तीर्थ है जिसमें मुनिश्रेष्ठ रुषंग ऋषि अपने पुत्रों के साथ गंगातट हरिद्वार को छोड़कर मोक्ष प्राप्ति के लिए आए थे। यहीं पर ब्राह्मणश्रेष्ठ आºष्टषेण मुनि को तप करते हुए वांछित सिद्धि प्राप्त हुई। इसी तीर्थ में राजा ययाति ने 100 यज्ञ किए थे। माना जाता है कि यहीं पर देवसेनापति स्वामी कार्तिकेय अपने असंख्य गणों के साथ रात-दिन निवास करते हैं। यहां पर कार्तिकेय का प्राचीन मंदिर है। यहां पवित्रतम सरस्वती तीर्थ सरोवर के तट पर पितरों का ¨पडदान किया जाता है। पूरे भारत से लोग अपने पितरों की सद्गति के लिए वर्षभर यहां आते रहते हैं।

जीएम रोडवेज अंबाला कुलधीर ¨सह की माने तो अमावस्या स्नान के महत्व को देखते हुए अंबाला होकर या अंबाला से पेहवा जाने वाल तीर्थयात्रियों के लिए ही यह इंतजाम किया गया है। आज रात मेले के लिए लगी सभी बसें पेहवा में ही रहेंगी और मंगलवार को स्नान के बाद यात्रियों को अंबाला पहुंचाएंगी।


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