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मन की ही मुक्ति का बंधन है : विकास महाराज

जागरण संवाददाता, अंबाला छावनी के बीपीएसएस प्लेनेटेरियम में रविवार को श्रीकृष्णा धर्मार्थ ट्रस्

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 01:38 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 01:38 AM (IST)
मन की ही मुक्ति का बंधन है : विकास महाराज
मन की ही मुक्ति का बंधन है : विकास महाराज

जागरण संवाददाता, अंबाला

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छावनी के बीपीएसएस प्लेनेटेरियम में रविवार को श्रीकृष्णा धर्मार्थ ट्रस्ट की ओर से श्रीमछ्वागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ शुरू हुआ। कालका से पधारे कथावाचक विकास दास महाराज ने कहा कि मन ही मुक्त का बंधन है। किसी भी कार्य को करने में श्रद्धा और विश्वास नहीं है तो आपको लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होगी। जिन कानों को प्रवचन और भजन सुनने की आदत पड़ जाएगी उनहें चुगली सुनने से मतलब नहीं है।

विकास दास महाराज ने कहा कि जिन कानों को चुगली सुनने की आदत पड़ जाएगी उन्हें भक्ति रस सुनने में आनंद नहीं आता। मनुष्य को सबसे पहले आसन को जीतना चाहिए। उसके बाद अपनी सांसो और बाद में अपनी संगती को अच्छा बनाओ और अपनी इंद्रियों को वश में रखना चाहिए। इंद्रियों को वश में करने से मन वश में रहता है। श्रीमछ्वागवत को जो मनुष्य श्रवण और मनन करता है वह भव सागर से पार हो जाता है। सत स्वरूप परमात्मा का ध्यान करना जीवन का सच्चा आनंद है। व्यक्ति के जीवन में जो तीन प्रकार के ताप होते हैं, सच्चिदानंद, आनंद स्वरूप, परमात्मा उन कष्ट को दूर करते हैं। श्रीमछ्वागवत कथा का जीवन में धारण करने से कोई भी मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है। कथा के पश्चात भागवत आरती हुई और प्रशाद बांटा गया।


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