Move to Jagran APP

मैराथन बनी महाभारत, रो पड़े विजेता, खाने को धक्का-मुक्की

जागरण संवाददाता, अंबाला : स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला छावनी की मैराथन शुरू होने से पह

By Edited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 12:14 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 12:14 AM (IST)
मैराथन बनी महाभारत, रो पड़े विजेता, खाने को धक्का-मुक्की
मैराथन बनी महाभारत, रो पड़े विजेता, खाने को धक्का-मुक्की

जागरण संवाददाता, अंबाला : स्मार्ट कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला छावनी की मैराथन शुरू होने से पहले ही महाभारत बन गई। रविवार सुबह के सात बजे थे। मैराथन में दौड़ने के लिए बच्चे से लेकर जवान तक बेताब थे। इंतजार कैंटोनमेंट बोर्ड के सीईओ व मुख्य अतिथि का था। सीईओ वरुण कालिया करीब सवा 7 बजे पहुंचे और तैयारी का जायजा लेने गए। मंच खाली था और मैराथन के यादगार पल को कैद करने के लिए ड्रोन तैयार था। ड्रोन को जैसे ही धरती पर रखा और बाइक सवार को आगे चलने को कहा गया तो ड्रोन उड़ते ही प्रतिभागी भी दौड़ पड़े। हर कोई हैरान था कि बिना फ्लैग के प्रतिभागी सात बजकर 20 मिनट पर ही कैसे दौड़ पड़े? सीईओ से लेकर बोर्ड के अन्य अधिकारी मैराथन में दौड़ रहे प्रतिभागियों को रोकने में जुट गए। हर किसी के हाथ-पैर फूल गए थे।

loksabha election banner

जब तक मैराथन रुकती तब तक दौड़ लगाने वाले प्रतिभागियों की सांसें फूल चुकी थीं। जब पता चला तो हर किसी का चेहरा लाल हो गया। जल्दबाजी में वापस लौटे। जैसे ही बाइक सवार कर्मी वापस लौटे तो बोर्ड के अधिकारियों का गुस्सा उन पर फूट पड़ा। अधिकारियों का एक ही सवाल- प्रतिभागी दौड़ पड़े कोई बात नहीं, लेकिन तुम लोग दौड़ने वाले के आगे-आगे चले? नन्हेड़ा के गुरमीत ¨सह आग-बबूला हो गए। बोले, उसके दो बेटे इस मैराथन में दौड़ने के लिए आए हैं। ऐसे मैराथन होती है कि खिलाड़ियों को दो बार दौड़ा दो। इसीलिए वह तो इस मैराथन का बायकाट करते हैं। इसी तरह युवाओं का एक गुट इस मैराथन का विरोध करने लगा और हु¨टग भी हुई, लेकिन किसी तरह बोर्ड के अधिकारियों ने इन युवाओं को समझाया और दोबारा से दौड़ने के लिए तैयार किया। हल्ला होने के कारण मुख्यातिथि का स्वागत नहीं हो पाया। मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे प्रि¨सपल डायरेक्टर आफ वेस्टर्न कमांडर एससी कौशिक मौजूद थे।

करीब सवा 8 बजे मुख्यातिथि ने सीईओ वरुण कालिया के साथ मैराथन का झंडा दिखाकर रवाना किया। बोर्ड के अधिकारियों ने राहत की सांस ली, लेकिन अब जैसे-जैसे मैराथन में दौड़ रहे प्रतिभागी वापस लौट रहे थे तो महाभारत शुरू हो गई। प्रतिभागियों को दौड़ने से पहले नहीं बताया गया था कि प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर आने वाले विजेताओं को टोकन खड़े लोगों के हाथों से लेने हैं। कई विजेताओं ने तो टोकन ले लिए और कुछ ऐसे ही आगे निकल कर सड़क पर बैठकर आराम करने लगे थे। इसीलिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों के नंबरों पर गोलमाल हो चुका था।

थोड़ी देर के बाद विजेताओं ने कहा कि वह विजेता त कोई सुनने को तैयार नहीं था। दौड़ लगाने के लिए पहुंचे कुछ साथियों को खुद को विजेता साबित करने के लिए बनाई गई वीडियो तक दिखानी पड़ी। विजेता भड़क चुके थे। बोर्ड ने भी हंगामा बढ़ते देख कर भीड़ का रुख रिफ्रेंसमेंट की तरफ कर दिया। शुरुआत में तो बोर्ड के कर्मचारी लाइनों में पैकेट बांटने लगे। लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई। हाल भाग मिल्खा भाग फिल्म में मिल्खा ¨सह की तरह के पैदा हो गए। बिना पैकेट के प्रतिभागी वापस लौट रहे थे। इसी बीच धक्का-मुक्की हुई और स्कूल के एक कमरे के शीशे टूट गए।

खिलाड़ियों ने जताया रोष

कुरुक्षेत्र से आए गुरमीत ¨सह, संतवंती देवी, प्रवीण, रामस्वरूप, शुभम सैनी, चंद्रदेव, वीरेंद्र, निरंजन, राजेश कुमार, राज कुमार, संदीप भारती, बलजीत, मुकेश समेत अन्य प्रतिभागियों ने रोष जताया। उन्होंने ने कहा कि पिछले साल हर आयु वर्ग के आगे और पीछे पीसीआर थी जिसके चलते कोई भी बाहर से नहीं घुस सकता था। इस बार ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। उनके बीच में रास्ते में से कुछ युवक घुस गए और उनसे आगे निकल गए। गलत प्रतिभागी विजेता बने हैं। मौके पर मौजूद प्रतिभागियों को बोर्ड के अधिकारियों ने समझाने की भी कोशिश की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.