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140 जनरेटर के साथ ठप हुई सरकारी स्कूलों की लैब, करोड़ों का कबाड़ा

उमेश भार्गव, अंबाला शहर आठ साल 140 जनरेटर और 1050 कम्प्यूटर। न जनरेटर चले न कंप्यूटर

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 03:00 AM (IST)
140 जनरेटर के साथ ठप हुई सरकारी स्कूलों 
की लैब, करोड़ों का कबाड़ा
140 जनरेटर के साथ ठप हुई सरकारी स्कूलों की लैब, करोड़ों का कबाड़ा

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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आठ साल 140 जनरेटर और 1050 कम्प्यूटर। न जनरेटर चले न कंप्यूटर। जनरेटर नहीं चलने के कारण लैब को बिजली आपूर्ति नहीं हुई। लिहाजा पूरी की पूरी कम्प्यूटर लैब भी ठप हो गई। कई कम्प्यूटर लैब के हालात तो यह हैं कि वहां सिवाए धूल मिट्टी के अब कुछ भी देखने को नहीं मिलता। यह हाल एक दो स्कूलों के नहीं बल्कि जिले की करीब सभी सीनियर सेकेंडरी व हाई स्कूलों में स्थिति लैब के हैं। जनरेटर नहीं चलने के कारण करोड़ों रुपये के जनरेटर व उपकरण कबाड़ बन ही गए हैं। अलबत्ता सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा का सपना देख रहे विद्यार्थियों के सपने चकनाचूर हो गए हैं।

दरअसल वर्ष 2006 में शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी सीनियर सेकेंडरी व कुछ हाई स्कूलों की लैब के लिए जनरेटर की व्यवस्था कराई गई थी। करीब दो लाख रुपये के जनरेटर व तीन लाख रुपये का लैब का सामान प्रत्येक स्कूल में आया जोकि अब कबाड़ बन चुका है। जिले में 83 सीनियर सेकेंडरी व करीब 62 हाई स्कूलों की लैब में जनरेटर व कंप्यूटर आए थे। इनमें कौर कंपनी की लैब के तहत 122 व साइन मीडिया कंपनी की लैब के तहत 25 जनरेटर आए थे। तीसरी कंपनी के तहत भी करीब 20 जनरेटर आए थे लेकिन यह कंपनी करीब दो-तीन साल बाद अपना सारा सामान उठाकर ले गई थी। जनरेटर की बात करें तो पांच-

छह जनरेटर को छोड़कर कोई भी वर्किंग में नहीं हैं। प्रत्येक लैब में कम से कम 10 व अधिक से अधिक 20 कम्प्यूटर व ¨प्रटर की व्यवस्था भी की थी लेकिन अब न तो कम्प्यूटर चलते न ही ¨प्रटर।

किसी कंपनी को नहीं दिया जनरेटर की मरम्मत का ठेका

किसी भी कंपनी के पास इन जनरेटर की मरम्मत का ठेका नहीं है। न ही किसी कर्मचारी की ड्यूटी इनकी देखरेख व रिकार्ड तैयार करने के लिए लगाई गई है। शुरुआत में दो जूनियर डाटा प्रोग्रामर की नियुक्ति अनुबंध आधार पर की गई थी लेकिन बाद में इन्हें स्थाई नौकरी मिल गई। तब से लेकर आज तक इन जनरेटर का कोई रिकार्ड किसी के पास नहीं है। शुरुआत में एक कंपनी को इनकी वार्षिक मरम्मत का ठेका जरूर दिया गया था।

डीजल तक डलवाने का नहीं प्रावधान

इन जनरेटर को चलाना तो दूर इनका डीजल कहां से आएगा और कौन लगाएगा इसके बारे में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि यह जिम्मेदारी ¨प्रसिपल की है लेकिन इस बारे में स्थिति बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। किस मद से डीजल मंगवाया जाए यह भी स्पष्ट नहीं है।

जब यह जनरेटर लगे थे तभी से शिकायतें आ रही हैं। इसके बारे में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है। इनके नहीं चलने के कारण ही लैब भी नहीं चल पा रही हैं। क्योंकि लैब चलाने के लिए बिजली की उचित व्यवस्था जरूरी है।

र¨वद्र ¨सह, बीईओ, अंबाला शहर।

ऐसा मामला संज्ञान में नहीं है। यदि कोई समस्या है और उसका समाधान नहीं हो पा रहा तो मुखिया कम से कम समस्या तो बताएं। ¨प्रसिपल इनका एस्टीमेट बनाकर भेंजे निश्चित तौर पर उन्हें ठीक कराने की व्यवस्था की जाएगी।

सुधीर कालड़ा, बीईओ अंबाला छावनी।

खंड के सभी 12 स्कूलों से जनरेटरों का रिकॉर्ड मांगा गया था। लगभग सभी खराब पड़े हैं। इनको चलाने के लिए उच्चाधिकारियों से बातचीत भी चल रही है लेकिन अभी इनकी कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है।

सतपाल कौशिक, बीईओ शहजादपुर।


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