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राष्ट्रीय शिक्षक रतन अवार्ड के लिए फर्जी दस्तावेजों का खेल

उमेश भार्गव, अंबाला शहर राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के आवेदन में ही खेल हो गया। गुरुजी ने फि

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 12:45 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 12:45 AM (IST)
राष्ट्रीय शिक्षक रतन अवार्ड के लिए फर्जी दस्तावेजों का खेल
राष्ट्रीय शिक्षक रतन अवार्ड के लिए फर्जी दस्तावेजों का खेल

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के आवेदन में ही खेल हो गया। गुरुजी ने फिर से उन्हीं फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया जिनको एक साल पहले रिजेक्ट कर दिया गया था। हद तो यह हो गई कि इन गुरुजी के आवेदन को लेने के लिए जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षा निदेशालय द्वारा तय की गई तिथि को भी मनमर्जी से बदल दिया। बृहस्पतिवार को कमेटी के एक सदस्य के सामने इस टीचर का नाम आया तो उसने फर्जी दस्तावेजों का विरोध करते हुए उक्त मामले में एफआइआर तक दर्ज कराने की बात कही।

दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के लिए शिक्षा निदेशालय ने एक मई को पत्र भेजकर जिलेवार आवेदन मांगे थे। 15 मई अंतिम तिथि थी। जिले के करीब 11 हजार शिक्षकों में से दो ही शिक्षकों ने खुद के उत्तम होने का दावा किया था। इनमें से एक जेबीटी ने 15 मई से पहले आवेदन कर दिया था लेकिन पीजीटी अध्यापक ने 17 मई को आवेदन किया, जबकि आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 15 मई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि इस शिक्षक का आवेदन लिया क्यों गया? इस मामले में दोनों शिक्षकों के दस्तावेजों की छंटनी करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बृहस्पतिवार को बैठक बुलाई गई। बैठक में डीईईओ धर्मबीर कादियान, डाइट मोहड़ा ¨प्रसिपल बलराम, कौलां जवाहर विद्यालय के कार्यकारी ¨प्रसिपल और सपेहड़ा सीसे स्कूल के ¨प्रसिपल शीशपाल शामिल थे। बैठक में ¨प्रसिपल डाइट ने इस शिक्षक की फाइल आने पर आपत्ति जता दी।

मीडिया की पाबंदी, शिक्षक कैसे आया बैठक में..

इस मामले की भनक लगने पर मीडिया ने इस मामले को कैमरे में कैद करना चाहा तो जिला कार्यकारी शिक्षा अधिकारी धर्मबीर कादियान ने यह कहकर तस्वीरें खींचने ने मना कर दिया कि यह सरकारी बैठक है। लेकिन इस बैठक में वह शिक्षक कैसे शामिल कर लिया गया जिसने खुद आवेदन किया था? नियमानुसार आवेदन करने वाला शिक्षक भी इस बैठक में शामिल नहीं हो सकता था।

लिखकर दिया आगे से नहीं करूंगा आवेदन, तब छूटा पीछा

कमेटी में शामिल डीईईओ सहित तीन सदस्यों ने इस शिक्षक के डाक्यूमेंट पर पहले कोई आपत्ति जाहिर नहीं की, लेकिन कमेटी के सदस्य ने जब इन गुरुजी का चेहरा देखा और पूछा कि आप यहां कैसे आए हुए हो तो गुरुजी ने बताया कि उन्होंने आवेदन किया है। इस पर कमेटी के सदस्य लाल पीले हो गए।कहा कि तुमने आवेदन करने की जरूरत कैसे ही। पिछली बार भी तुम्हारे डाक्यूमेंट फर्जी थे। इस सदस्य ने इस अध्यापक के खिलाफ एसआइआर दर्ज कराने की बात कही तो शिक्षक ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि वह लिखकर दे देगा कि आगे से आवेदन नहीं करूंगा। तब जाकर मामला शांत हुआ।

अवार्डधारी शिक्षक को फायदा

राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख रुपये, मेडल, शॉल व सर्टिफिकेट, दो साल सर्विस एक्सटेंशन (सेवानिवृत्ति आयु के दो साल बाद भी सेवाएं दे सकते हैं), दो इंकरीमेंट, रेलवे कंसेशन।

कोट्स

आखिरी तारीख तो 15 ही थी लेकिन मुझे ऊपर से फोन आया था कि 25 तक आवेदन ले सकते हैं। इसीलिए आवेदन ले लिया गया। मुझे नहीं पता था कि इस शिक्षक का फार्म पहले भी फर्जी डाक्यूमेंट के कारण रद किया गया था। हमने अब लिखवाकर ले लिया है और आगे से भी ध्यान रहेगा।

धर्मबीर कादियान, जिला कार्यकारी शिक्षा अधिकारी।

यह शिक्षक आवेदन ही नहीं कर सकता था, क्योंकि गत वर्ष भी इसकी फाइल इसीलिए रिजेक्ट की गई थी कि डाक्यूमेंट फर्जी थी। जो भी सपो¨टग डाक्यूमेंट लगाए गए थे वह गलत थे। शिक्षक ने इस बात को मानते हुए आवेदन वापस ले लिया है।

बलराम, ¨प्रसिपल, डाइट।

बैठक में जब हमारे साथी ने मामला रखा तो पता चला कि इस शिक्षक के सारे डाक्यूमेंट ही गलत हैं। इसके बाद शिक्षक ने आवेदन वापस ले लिया।

¨प्रसिपल सपहेड़ा, शीशपाल।


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