महाशिवरात्रि पर सजे शिवालय, कांवड़िये पहुंचने शुरू
जागरण संवाददाता, अंबाला : महाशिवरात्रि में दो दिन बचे हैं। इसीलिए ट्विन सिटी में शिवालय सज
जागरण संवाददाता, अंबाला : महाशिवरात्रि में दो दिन बचे हैं। इसीलिए ट्विन सिटी में शिवालय सज गए हैं। मंदिरों में कीर्तन हो रहा है और हरिद्वार से गंगाजल लेकर आ रहे कावड़िये बम-बोले के जयकारे लगा रहे हैं। 24 फरवरी को ट्विन सिटी के शिवालय में शिव¨लग पर गंगाजल चढ़ाया जाएगा। रात के समय में हो रहे धार्मिक आयोजनों की गूंज से ट्विन सिटी अब पूरी तरह से शिवमयी नजर आने लगी है। बम-भोले-बम-भोले के जयकारे लगाते हुए कांवड़िए अंबाला छावनी से होते हुए निकल रहे हैं। इस बार कांवड़ियों के ठहराव के लिए अंबाला छावनी में संत निवास में कावड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
छावनी की बात करें तो हाथा खाना मंदिर के साथ-साथ राधा कृष्ण मंदिर रेस कोर्स में सबसे ज्यादा श्रद्धालु गंगाजल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। इसीलिए दोनों ही मंदिरों में तैयारियां शुरू कर दी गई है और कावड़ियों के लिए एक दिन पहले ही यह मंदिर सजकर पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे। इसके अलावा छावनी के महेश नगर शिव मंदिर, गो¨बद नगर, सनातन धर्म मंदिर हिल रोड, शिव प्रकट मंदिर मच्छी मोहल्ला, बीपीएस प्लेनेटेरियम, रानी का तालाब मंदिर में गंगाजल चढ़ाया जाएगा।
ये हैं मंदिर का इतिहास
हाथीखाना मंदिर भारत के आजाद होने से पहले सन् 1844 में महान संत यहां शिव जी की पूजा किया करते थे। तभी से ही इस मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारे लगा करती है। मंदिर में अर्ध नारेश्वर की 40 फुट की मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। इस मूर्ति को देखने और दर्शन करने के लिए विदेश से भी लोग पहुंचते है। सोमवार को यहां हजारों की संख्या में शिव का आर्शीवाद लेने के लिए पहुंचते है। शिवरात्रि पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हरिद्वार से पैदल यात्रा कर सैंकड़ों की संख्या में कावड़िये भी यहां जल चढ़ाने के लिए आते है। मंदिर में आस्था के चलते हर प्रांतों के संत व श्रद्धालु आते जाते रहते है। भगवान शिव के दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर में सभी देवताओं की 50 मूर्तियां हैं।
शिवरात्रि पर खास तैयारियां
महंत मनमोहन दास मुनि महाराज ने कहा कि प्राचीन कैलाश मंदिर में प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में मंदिर प्रागंण को लड़ियों और फूलों से सजाया जा रहा है। रात के वक्त लगी लड़ियों के जलते ही मंदिर जगमगा उठेगा। इसके साथ ही महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं के लिए दूध और खीर का लंगर भी लगाया जाएगा। हरिद्वार से पैदल यात्रा कर कावड़ियों के लिए भी यहां विश्राम करने के इंतजाम किए गए है। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या होने की वजह से सिक्योरिटी पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस भी तैनात रहेगी। महाशिवरात्रि पर सुबह चार बजे शंकर जी का स्नान होगा, जिसके बाद मंदिर के गेट खोल दिए जाएंगे। इसके बाद शिव कृपा तक श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए गेट खुले रखे जाएंगे।
रोजाना माथा टेकती हूं
लक्ष्मी नगर निवासी अत्तरा देवी ने बताया कि वह रोजाना हाथी खाना मंदिर माथा टेकने के लिए जाती है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का विशेष आर्शीवाद मिलता है। इसीलिए वह शिवरात्रि पर मंदिर आना नहीं भूलती। काफी सालों से वह माथा टेकने के लिए मंदिर में आ रही हैं।
पहली बार आया माथा टेकने
रेलवे कालोनी निवासी श्रद्धालु प्रदीप कुमार ने कहा कि हाथी खाना प्राचीन मंदिर है। वह पहले दूसरे मंदिर में माथा टेकने के लिए जाते हैं। इस बार वह महाशिवरात्रि पर शिव¨लग पर गंगाजल चढ़ाने के लिए आएंगे। मंदिर में आने से काफी सुकून मिला है।
मांगी है मन्नत
श्रद्धालु कविता शर्मा ने कहा कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की दर्शन व गंगाजल चढ़ाने से विशेष कृपा मिलती है। इसीलिए वह हर साल इस महापर्व पर गंगाजल चढ़ाने के लिए मंदिर में आती है। हर बार की तरह इस बार भी इस महापर्व को काफी उत्साह है।
पांच साल में आ रही है मंदिर
हाउ¨सग बोर्ड निवासी श्रद्धालु राज यादव ने कहा कि वह बीते चार साल से हाथीखाना मंदिर से जुड़ी हैं। यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करती हैं और कुछ देर भगवान का नाम लेने से मन को शांति मिलती है। मंदिर में मांगी गई मान्यता पूर्ण होती।
हाथीखाना बंधते थे यहां
सदर बाजार निवासी सुभाष चंद अग्रवाल ने कहा कि 50 साल पहले बचपन में उनके बुजुर्ग उंगली पकड़कर मंदिर में लेकर आते थे। यहां पर सेना के बहुत बड़े बड़े हाथी बंधा करते थे। रात के समय लालटेन से मंदिर का परिसर में रोशनी की जाती थी। यह मंदिर बरसों पुराना है और संतों का मंदिर है। इसीलिए हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।
बस यात्रा लेकर जाएंगे
श्रद्धालु सन्नी गुप्ता ने बताया कि महाशिवरात्रि के अलावा वह हर सोमवार को मंदिर में माथा टेकने के साथ-साथ सेवा करने के लिए आते हैं। भक्ति से मन को सुकून मिलता है और सामाजिक बुराइयां दूर होती है।