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निगम की लापरवाही ने लाचार की जमीन को बना दिया बेकार

जागरण संवाददाता, अंबाला गांव सलारहेड़ी। उपमंडल अंबाला छावनी से महज 9 किलोमीटर की दूरी

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 01:20 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 01:20 AM (IST)
निगम की लापरवाही ने लाचार की जमीन को बना दिया बेकार
निगम की लापरवाही ने लाचार की जमीन को बना दिया बेकार

जागरण संवाददाता, अंबाला

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गांव सलारहेड़ी। उपमंडल अंबाला छावनी से महज 9 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है जिसमें पंचायत ने बेहतर तरीके से व्यवस्था को बना रखा था। करीब चार साल पहले नगर निगम सीमा में आने से पंचायत को सरकार से मिलने वाला पैसा बंद हो गया है। हालात यह है कि गांव का विकास शहरी तर्ज पर करने की योजनाएं महज कागजों तक सिमटी हुई है। गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी की निकासी की है और बारिश के सीजन में लोगों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। इस गांव की भौगोलिक कहानी भी रोचक है और गांव का विधानसभा क्षेत्र नारायणगढ़ लगता है और सभी विकास कार्य नगर निगम अंबाला छावनी करता है। इसीलिए गांव विकास के मामले में अपेक्षा का शिकार हो जाता है। इस गांव से सोनिया कालोनी के साथ-साथ छोटा खुड्डा की कालोनियों भी सटी हुई है।

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लाचार की जमीन को बना दिया बेकार

गांव के पर¨मद्र ¨सह अपनी रीढ़ की हड्डी में दिक्कत के चल-फिर नहीं सकते। बच्चे छोटे हैं और आमदनी का कोई साधन नहीं है पिता बंत ¨सह आर्मी में थे और शहीद गए थे। अब उनकी पेंशन से ही घर चल रहा है। पर¨मद्र ¨सह ने बताया कि उसकी 8 कनाल 17 मरले जमीन का खेत था जिसमें से 16 फीट नाला गुजर रहा है और ब्राह्मण माजरा गांव से होकर गुजरने वाले नाले में जाकर मिल रहा है और करीब 300 फीट लंबा है। दिक्कत यह है कि उसकी जमीन में पूरे गांव का पानी आकर जमा हो जाता है। इसीलिए वह खेती-बाड़ी नहीं कर पा रहा है। निगम प्रशासन यदि इसे बना दे तो उसका उसे काफी फायदा होगा।

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लटक रहे हैं तार

सुरेंद्र कुमार ने कहा कि गांव में 18 घंटे बिजली की सप्लाई आ रही है और मीटर भी घरों से बाहर लग चुके हैं। लेकिन बिजली के उपभोक्ताओं के तार खंभों की बजाए बल्लियों पर लटके हुए हैं। गांव में 15 बिजली के खंभे लग जाएं तो समस्या का समाधान हो जाएगा।

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आंगनबाड़ी केंद्र में शौचालय नहीं

विश्वकर्मा मंदिर के प्रधान जस¨वद्र ¨सह ने बताया कि गांव में शिव मंदिर परिसर और दलित समुदाय बस्ती में अलग-अलग आंगनबाड़ी केंद्र बने हुए हैं। लेकिन प्रदेश सरकार का स्वच्छता अभियान यहीं दम तोड़ रहा है। आज तक इन आंगनबाड़ी केंद्र में बाल एवं कल्याण विभाग शौचालय नहीं बनवा पाया है और न ही निगम प्रशासन ने इस तरफ ध्यान दिया जा रहा है।

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धार्मिक स्थल से नहीं निकलता बरसाती पानी

तेजपाल ¨सह ने कहा कि गांव में माता वैष्णो देवी मंदिर, खेड़ा, गुग्गा माड़ी, गुरुद्वारा, शिव मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर एक परिसर में बने हुए हैं जिनकी पीछे की तरफ एक पक्की सड़क तो बनी है लेकिन पानी की निकासी के लिए कोई नाली नहीं बनी है। इसीलिए बारिश होने पर गांव के लोग मंदिरों में नहीं आ पाते। यदि निगम प्रशासन इसके बाद में नाले का निर्माण कर दे यह समस्या खत्म हो जाएगी।

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एक समुदाय पानी को तरसा

अजपाल ¨सह ने कहा कि गांव में दो पानी के ट्यूबवेल लगे हुए थे जिसमें से दलित समाज का ट्यूबवेल लगा हुआ ट्यूबवेल बीते करीब दो माह से खराब पड़ा हुआ है। गांव के लोग जलापूर्ति विभाग को ट्यूबवेल लगाने के लिए जमीन दे रहे हैं लेकिन विभाग खामोश बैठा है। गांव में लगे दूसरे पानी के ट्यूबवेल से दलित समुदाय के लोग पानी भरने पर मजबूर हैं।

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48 लाख का टेंडर पास हुआ है

गांव सलारहेड़ी 48 लाख का टेंडर लग चुका है जिससे विकास कार्य होंगे। बड़े नाले के निर्माण कार्य इस टेंडर में नहीं है और इसे पूरा कराने के लिए निगम अफसरों से मिल चुके हैं और इसे जल्द ही बनवाया जाएगा। बिजली निगम और जलापूर्ति विभाग से वह कई बार दोनों समस्याओं को लेकर मिल चुकी हैं।

स्वर्ण कौर, पार्षद, वार्ड नंबर 15


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