पार्षद स्वर्ण कौर ही हाजिरी बनी 'गले की फांस'
जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर नगर निगम के विवाद में फंसी 15 जुलाई की बैठक में अनुपस्थित रही पार्षद
जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर
नगर निगम के विवाद में फंसी 15 जुलाई की बैठक में अनुपस्थित रही पार्षद स्वर्ण कौर की हाजिरी 'गले की बड़ी फांस' बन कर रह गई है। बैठक से गैर मौजूद स्वर्ण कौर को कार्यवाही रजिस्टर में उपस्थित दिखाकर और कोरम पूरा दिखाने के षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है। यह मामला नगर निगम की कार्यवाही रजिस्टर में दर्ज है, जो कार्यवाही पर सवालिया निशान लगा रहा है।
दरअसल एक झूठ को सही साबित करने के लिए कई छूट का सहारा लिया जाता है, वाली कहावत नगर निगम अधिकारियों पर पूरी तरह लागू हो रही है। इसे निगम अधिकारियों की नासमझी कहें या चालाकी। यह सबसे बुद्धिमान अधिकारी 15 जुलाई की नगर निगम की बैठक को कोरम के हिसाब से सही ठहराने के चक्कर में लगातार गलतियां कर रहे हैं। यदि ये अधिकारी अपनी पहली बात पर अडिग रहते तब भी कोरम पूरा सिद्ध कर सकते थे, लेकिन वे कहते हैं कि ज्यादा होशियारी भी काम नहीं आती। यह सार्वजनिक सत्य है कि पार्षद स्वर्ण कौर 15 जुलाई की बैठक में आई ही नहीं, उनके पति जरूर बैठक की कार्यवाही देखने आए हुए थे।
सूत्रों की मानें तो कार्यवाही रजिस्टर पर स्वर्ण कौर के हस्ताक्षर बताए जा रहे हैं, वह उनके पति के किए गए हैं। यदि ऐसा है तो यह एक और गंभीर अपराध है, क्योंकि किसी गैर पार्षद को इसकी अनुमति ही नहीं है। बैठक की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग भी इस बात को सत्य ठहरा रही है कि स्वर्ण कौर बैठक में मौजूद ही नहीं थी।
अब कार्यवाही रजिस्टर में उसके हस्ताक्षर यदि हैं, तो वह कब और कैसे आ गए यह जांच का विषय है। आयुक्त के मेयर को लिखे पत्र में स्वीकार किया गया था कि मेयर की उपस्थिति सहित बैठक में छह पार्षद और थे और कोरम पूरा हो गया था। अब जो कार्यवाही की जानकारी दैनिक जागरण के हाथ लगी है, उसके अनुसार बैठक की कार्यवाही पुस्तिका पर 11 पार्षदों के हस्ताक्षर दिखाए गए, जिनमें उप महापौर सुधीर जायसवाल, परविंद्र पाल सिंह, हिम्मत सिंह, सोनिया रानी, रूपम गुगलानी, पुष्पेंद्र, जसबीर सिंह जस्सी, ललिता प्रसाद, सुरेंद्र बिंद्रा, विधायक असीम गोयल और स्वर्ण कौर के हस्ताक्षर बताए गए हैं। कार्यवाही पुस्तिका के अनुसार जब एजेंडा बिंदु नंबर एक पर विचार-विमर्श शुरू किया गया तो सुधीर जायसवाल अभी वापस आने की बात कहते चले गए। कार्यवाही में लिखा गया कि उसके बाद उपस्थित सदस्यों हिम्मत सिंह, सोनिया रानी, पुष्पेंद्र, जसबीर सिंह जस्सी, ललिता प्रसाद, सुरेंद्र बिंद्रा, विधायक असीम गोयल और स्वर्ण कौर ने कार्यवाही आगे चलाने के लिए सोनिया रानी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर काम किया। कार्यवाही में दर्शाया गया कि कार्यवाही को आगे चलाने के लिए हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 के नियम के सेक्शन 55-1 के तहत कोरम पूरा होते हुए सेक्शन 56-2 के तहत सोनिया रानी को कार्यवाही अध्यक्ष नियुक्त किया गया और बैठक की कार्यवाही चलाई गई। न केवल दोनों ही उपस्थिति में पार्षद स्वर्ण कौर की मौजूदगी जहां विवाद खड़ी कर रही है, बल्कि कार्यवाहक अध्यक्ष की मंजूरी से चली कार्रवाई में दिखाए गए सात पार्षद निगम अधिकारियों के षड्यंत्र का पर्दाफाश करने के लिए काफी हैं। आयुक्त मेयर को उनकी उपस्थिति सहित 15 जुलाई की बैठक में 7 पार्षद होने की बात 16 जुलाई को लिखित रूप से दे चुके हैं, तो कार्रवाई रजिस्टर में मेयर के नाम के बिना सात पार्षद कैसे दर्शाए गए यह भी जांच का विषय है।
निगम आयुक्त ने लिखा था मेयर को यह पत्र
बैठक के विवादों में घिरने और मेयर के आयुक्त को बैठक स्थगित करने और 28 जुलाई को बैठक बुलाने संबंधी पत्र का ननि आयुक्त ने ये जवाब दिया था। 'उपरोक्त विषय पर आपके पत्र क्रमांक 622-मेयर दिनांक 15 जुलाई, 2015 के संदर्भ में लिखा जाता है कि आपने अपने पत्र में लिखा है कि बकाया छह पार्षद उपस्थित थे, जिनमें आपकी उपस्थिति को शामिल करने पर कुल संख्या सात हो जाती है, जो निर्धारित कोरम है, इसलिए हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 55 के अनुसार केवल कोरम पूरा न होने की स्थिति में ही बैठक को स्थगित किया जा सकता है। आपकी उपस्थिति होने पर कोरम पूरा होने की स्थिति में हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 55 के तहत जारी किया गया कोई भी आदेश वैध नहीं है। पत्र में आयुक्त ने आगे लिखा कि इसके अतिरिक्त आपको सूचित किया जाता है आपके बिना किसी सूचना के बैठक से चले जाने के बाद भी शेष उपस्थिति सदस्यों ने निर्धारित कोरम पूरा होने पर हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 56 में निहित शक्तियों को प्रयोग करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष की अध्यक्षता में बैठक की कार्यवाही पूर्ण की, जिसकी विस्तारित कार्यवाही रिपोर्ट अध्यक्ष की स्वीकृति उपरांत आपको प्रेषित कर दी जाएगी। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में आपको संदर्भित पत्र क्रमांक 622-मेयर दिनांक 15 जुलाई, 2015 पर कोई कार्रवाई अपेक्षित नहीं है।'
बैठक जारी रखना बताया था अपराध
बैठक को जारी रखे जाने को अपराध बताते हुए मेयर रमेश मल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकया नायडू, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, मुख्य सचिव, वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव शहरी स्थानीय निकाय, निदेश शहरी स्थानीय निकाय तथा अंबाला मंडल आयुक्त को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की थी। पत्र में मेयर ने 15 जुलाई की बैठक में उपजी परिस्थिति का विस्तार से हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि उनके बैठक स्थगित करने के बावजूद छह पार्षदों ने बैठक को असंवैधानिक तरीके से मुद्दों को पास किया है। मेयर ने कहा कि यदि इस प्रकार से बैठक को जारी रखा गया है और बैठक की कार्यसूची पर चर्चा की गई है, तो वह अपराध की श्रेणी में है। उन्होंने संबंधित उच्च नेताओं और अधिकारियों ने पूरे मामले की जांच कराने तथा बैठक की कार्रवाई पुस्तिका में लिखने पर रोक लगाने की मांग के साथ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांक की थी। अभी इस पत्र पर हुई कार्रवाई के बारे कोई जानकारी नहीं है।
मेयर और पार्षदों का 15 का पक्ष
मेयर और 11 पार्षदों ने 15 जुलाई की बैठक को लेकर जो अपना पक्ष रखा था वह इस प्रकार से है। इन जनप्रतिनिधियों ने कहा कि 15 जुलाई को नगर निगम की बैठक हुई मेयर रमेशलाल मल की अध्यक्षता शुरू हुई, जिसमें पार्षद सोनिया रानी, दर्शना मेहता, रूपम गुगलानी, पवन अग्रवाल, दलजीत सिंह भाटिया, पुष्पिन्द्र शर्मा, हिम्मत सिंह, हरदीप कौर, दलीप चावला, जरनैल सिंह माजरा, जसवीर सिंह जस्सी, दुर्गा सिंह अत्री, चित्रा सरवारा, परविन्द्र सिंह परी, सुरिन्द्र बिन्द्रा, ललिता प्रसाद और सुधीर जायसवाल मौजूद थे। अधिकारियों के रवैये से नाराज होकर वरिष्ठ उपमहापौर दुर्गा सिंह अत्री, उपमहापौर सुधीर जायसवाल तथा पार्षद दर्शना मेहता, रूपम गुगलानी, पवन अग्रवाल, दलजीत सिंह भाटिया, हरदीप कौर दलीप चावला, जरनैल सिंह माजरा, परविन्द्र सिंह परी, चित्रा सरवारा कुल 11 पार्षदों द्वारा बैठक का बहिष्कार किया गया व सदन से बाहर चले गए। उससे 15 जुलाई की कार्यसूची में से किसी भी मुद्दे पर चर्चा न हो सकी। बैठक में कुल 18 पार्षद उपस्थित थे जिसमें से 11 पार्षदों के बहिष्कार के पश्चात बकाया 6 पार्षद व मेयर रमेशलाल मल बैठक में रह गए थे। मौके की नजाकत को देखते हुए मेयर रमेश मल द्वारा बैठक को स्थगित कर दिया गया तथा 28 जुलाई को बैठक पुन: करने की तिथि निश्चित की गई।
टकराव पर निगम हो सकता भंग
अधिकारों और मानसम्मान को लेकर नगर निगम अंबाला के मेयर, कांग्रेस समर्थक पार्षदों तथा अधिकारियों के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है। राजनीति के जानकारों की माने तो टकराव यूं ही बढ़ता रहा तो ननि क्षेत्र के विकास पर तो प्रभाव पड़ना ही है साथ ही इसकी परिणीति नगर निगम के भंग किया जा सकता है। सूबे के कद्दावर मंत्री अनिल विज तो कई बाद निगम को समाप्त कर दोबारा से दोनों शहरों में एक श्रेणी की नगर परिषदें बनाने की बात कह चुके हैं और इस मामले में कई डेलीगेशन भी उन तक पहुंच चुके हैं।