उपेक्षा का शिकार मॉडर्न एनक्लेव निवासी
संवाद सहयोगी, बराड़ा : कस्बा बराड़ा का मॉडर्न एनक्लेव का नाम आधुनिक होने के कारण अक्सर लोग इस कालोनी म
संवाद सहयोगी, बराड़ा : कस्बा बराड़ा का मॉडर्न एनक्लेव का नाम आधुनिक होने के कारण अक्सर लोग इस कालोनी में प्लॉट व मकान खरीद लेते है परंतु कालोनी में मूलभूत सुविधाओं के नितात अभाव को देख कर मकान बनाने का विचार त्याग कर या मकान बेच कर कहीं और जा बसने का निर्णय करने को विवश हो जाते है। बराड़ा-शाहाबाद बाइपास के निकट बसी यह कालोनी लगभग 15 वर्ष पूर्व चौ. रिसाल सिंह पूर्व समाज कल्याण मंत्री हरियाणा के नाम पर उनकी जमीन पर विकसित हुई जिसके चलते क्षेत्र में यह रिसाल सिंह कालोनी के नाम से भी जानी जाती है।
उनके सुपुत्र चौ. राजबीर सिंह पूर्व इनेलो विधायक का घर गली के अंतिम छोर पर स्थित है। इनेलो सरकार में मंत्री रहे चौ. रिसाल सिंह राजनीति के जाने-पहचाने चेहरा होने के कारण प्रदेश में काग्रेस सरकार बनने पर यह कालोनी राजनीतिक कारणों से उपेक्षा का शिकार बन गई जिससे कालोनी के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने का अभिशाप भोग रहे है। कालोनी में अक्सर पानी-बिजली नदारद रहती है। कालोनी वासी सुभाष चन्द्र, राम चन्द्र, मंगत राम, कुलबीर सिंह, बलवंत सिंह मक्कड़, परमजीत नेहरा आदि का कहना है कि कालोनी में पहुचने के लिए चार गलिया लगती है परतु सभी गलिया टूटी-फूटी व दयनीय स्थिति में है। गलियों में जगह-जगह गढ्डे बन चुके है जिससे कई बार वाहन चालक व राहगीर गिर कर चोटिल हो चुके है।
कस्बा की कालोनी की यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था इसे माडर्न एन्कलेव की बजाय किसी पाषाण युग की आदिम जाति की कालोनी का एहसास करवाता है। कालोनी वासी पूर्व काग्रेस सरकार व वर्तमान भाजपा सरकार के जन प्रतिनिधियों सहित सभी प्रशासनिक मंचों पर अपनी दयनीय एवं नारकीय स्थिति की व्यथा सुना चुके है परतु हर बार एक ही टका सा जवाब मिलता है कि राजनीतिक मजबूरी के कारण इस कालोनी का कायाकल्प करने में असमर्थ है। कालोनी की सभी सड़कों पर ऊंची-ऊंची काग्रेस घास खड़ी है जिसमें प्राय: विषैले जीव व तरह-तरह के कीड़े-मकौड़ों का साम्राज्य है। कालोनी में चारों तरफ गंदगी, कीचड़ व गोबर के उपले फैले है जिससे यह माडर्न कालोनी किसी अविकसित, उजड़े व निर्जन स्थान का आभास देती है। थोड़ी सी वर्षा होने पर भी गलियों में घुटनों तक गंदा पानी जमा हो जाता है जिससे राहगीरों विशेषकर बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।