दर्जा वर्ल्ड क्लास स्टेशन का, दूर-दूर बैठने की जगह नहीं
जागरण संवाददाता, अंबाला : उत्तर रेलवे ने छावनी स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन का दर्जा दे रखा है। इसी दर्जे के नाम पर हर साल लाखों रुपये का बजट जारी होता है। हालांकि, स्टेशन की हकीकत 'नाम बड़े दर्शन छोटे' वाली है। स्टेशन पर जरूरी सुविधाओं की काफी कमी है। आलम यह है कि स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त बैंच तक की व्यवस्था नहीं है। जबकि रोजाना सैकड़ों रेलगाड़ियां और हजारों लोगों का यहां से आवागमन होता है।
प्लेटफार्म नंबर 2 पर दिल्ली की दिशा में शेड से बाहर व्यवस्था चरमराई हुई है। प्लेटफार्म पर शेड से बाहर लगभग डेढ़ सौ मीटर तक यात्रियों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। यात्री अकसर जमीन पर सामान रखकर ऊपर बैठे होते हैं। हालांकि, गर्मियों में धूप की वजह से यात्री जैसे-तैसे शेड के नीचे ही जगह तलाशते रहते हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि जिस स्टेशन पर यात्रियों के बैठने की पर्याप्त सहूलियतें ही नहीं हैं उसको वर्ल्ड क्लास का दर्जा कैसे दिया जा सकता है।
भिखारियों व नशेड़ियों का बना अड्डा
स्टेशन पर दूसरी बड़ी चुनौती यहां डेरा डाले हुए भिखारियों व नशेड़ियों से है। स्टेशन के प्रवेश द्वार से ही भिखारी यात्रियों का स्वागत करते हैं। जब यात्री स्टेशन पर पहुंचता है तो वहां प्लेटफार्म पर पसरे नजर आते हैं। इनमें से कई मौका ताक कर यात्रियों की जेबों व सामान पर हाथ साफ करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। यात्री आए दिन इन नशेड़ियों का शिकार हो रहे हैं। लाल कुर्ती चौकी में रोजाना स्टेशन से ही सबसे ज्यादा शिकायतें पहुंचती हैं।
नहीं सुधर रही सफाई व्यवस्था
वर्ल्ड क्लास स्टेशन का दर्जा होने के बाद भी यहां सफाई व्यवस्था नाकाफी है। स्टेशन पर डस्टबीन की भी कमी है। जिसे यात्री कूड़ा करकट नीचे गिना रहे हैं। साफ सफाई के लिए मंगाई गई इलेक्ट्रिक्ल मशीनों का कोई अता पता नहीं है। ये मशीनें तब ही नजर आती है जब किसी बड़े अधिकारी की चेकिंग होनी होती है।