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102 : डिश रिचार्ज तो कोई ट्रेनों की मांग रहा जानकारी

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रेफरल ट्रांसपोर्ट सर्विस 102 की हे

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 01:22 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 01:22 AM (IST)
102 : डिश रिचार्ज तो कोई ट्रेनों की मांग रहा जानकारी
102 : डिश रिचार्ज तो कोई ट्रेनों की मांग रहा जानकारी

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रेफरल ट्रांसपोर्ट सर्विस 102 की हेल्पलाइन लोगों को इमरजेंसी में एंबुलेंस उपलब्ध करवाती है। अन्य इमरजेंसी हेल्पलाइन सर्विसिस की तरह यहां भी हर एक सेकेंड कीमती होता है। इसलिए फोन व्यस्त होना किसी की भी ¨जदगी पर भारी पड़ सकता है। हालांकि, यह सेवा अजीबोगरीब हालात से गुजर रही है। यहां रोजाना सैकड़ों काल आती है इनमें से कई ऐसी फेक कॉल हैं जिनका इस सेवा से कोई मतलब नहीं लेकिन ये 102 के कर्मचारियों और इमरजेंसी सेवाओं की दरकार रखने वाले लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। कोई 102 पर फोन कर पूछ रहा है कि उनका डिश रिचार्च हुआ कि नहीं। कोई ट्रेनों का समय पूछ रहा है। कोई महिला थाना का नंबर मांग रहा है तो कोई बिजली दफ्तर और फायर ब्रिगेड समझ कर फोन कर रहा है। हालांकि, 102 की तरफ से इस संबंध में अभी तक पुलिस की मदद नहीं ली गई है।

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रोजाना करीब 25 फीसदी कॉल ऐसी हैं। जिनको सुनना ड्यूटी कर्मचारी की मजबूरी भी है। ऐसे में फोन व्यस्त चलता है और परेशानी उन लोगों की बढ़ रही है। 102 में मौजूद कर्मियों के मुताबिक कई व्यक्ति तो दिन में छह छह बार फोन कर अनाप शनाप जानकारी मांगते हैं। चूंकि, 102 को ज्यादा देर व्यस्त नहीं रख सकते हैं तो फिर ऐसे लोगों को चेतना भी जरूरी बन जाता है।

समस्या का नहीं निकल रहा कोई हल

102 पर मौजूद कर्मियों के मुताबिक फेक कॉल रोजाना की समस्या है और इसका कोई हल नहीं निकल रहा है। जब कोई नंबर बार बार आता है तो ही उस पर कोई कदम उठाया जा सकता है लेकिन ज्यादातर कॉल हर बार नए नंबर से आती है। ऐसे में इसका हल निकालना उनकी समझ से परे हैं। कई ब्लैंक कॉल भी आती है जिनकी घंटी तो बजती है लेकिन फोन उठाने पर सामने से कोई बोलता ही नहीं है। जो लोग गलती से फायर ब्रिगेड के बजाय 102 मिला देते हैं उनको वे जरूरत का नंबर बता देते हैं।

पुलिस की मदद नहीं ली गई

102 की फ्लीट मैनेजर अंजलि शर्मा के मुताबिक फेक कॉल आती रहती हैं लेकिन इनका कोई हल वे नहीं ढूंढ पा रहे हैं। मामले में अभी तक पुलिस से कोई मदद नहीं मांगी गई है। कई लोग गलती से भी फोन मिला देते हैं।


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