Move to Jagran APP

टेकसैवी हुई कहानी

स्मिता बता रही हैं कि तकनीक ने कहानियों की दुनिया तक पहुंचने का रास्ता बना दिया है कितना सुगम...

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 02:26 PM (IST)
टेकसैवी हुई कहानी
टेकसैवी हुई कहानी

किस्से-कहानियों का देश माना जाता है भारत। यहां कण-कण में बसी हैं कहानियां। तकनीक के दौर में भले ही प्राथमिकताएं बदल गई हों लेकिन हम कहानियों से दूर नहीं हो पाए। दादी-नानी की जगह अब हैं प्रोफेशनल स्टोरीटेलर और मुंहजुबानी सुनाई जाने वाली कहानियां रेडियो-इंटरनेट पर उतर आई हैं। अब तो कई ऐसी वेबसाइट्स और एप्प हैं जो कहानियां पढ़ाते ही नहीं, सुनाते भी हैं।

loksabha election banner

हर रविवार होता है इंतजार
तकनीक का सहारा ले चुके लेखक दिव्य प्रकाश दूबे शुरुआत में दोस्तों को कहानियां सुनाते और उनका फीडबैक
लेते। दोस्तों ने कहा, ‘तुम्हारी कहानियां सुनने में बड़ा मजा आता है।’ इस फीडबैक से उत्साहित होकर दिव्य ज्यादा लोगों तक कहानियां पहुंचाने के लिए वीडियो बनाने लगे। इन कहानियों को उन्होंने नाम दिया ‘स्टोरीबाजी’। इसके तहत सबसे पहले उनका होली की कहानी वाला वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद तो तमाम जगहों से स्टोरीबाजी करने के लिए उन्हें बुलाया जाने लगा। अब तो श्रोता हर रविवार को उनकी स्टोरीबाजी का इंतजार करते हैं। दिव्य कहते हैं, ‘कहानियां सुनाने के लिए सप्ताहभर अच्छी-खासी तैयारी करनी पड़ती है।
जगह के हिसाब से कहानियां बनानी पड़ती हैं। इसमें कहानियां, कविताएं, चिट्ठियां सब कुछ होती हैं।’

बच्चे-बुजुर्ग सब श्रोता
जयश्री सेठी जब अमेरिका में थीं, तो वहां उन्होंने एक स्टोरीटेलिंग वर्कशॉप अटेंड की। यह काम उन्हें बेहद दिलचस्प लगा। 2012 में जब वे भारत आईं तो उन्होंने कहानियों पर रिसर्च करनी शुरू की। वे घूम-घूमकर देशभर के कथाकारों से मिलीं। फिर उन्होंने ‘स्टोरी घर’ की नींव रखी। अब वे अलग-अलग स्टोरीटेलिंग उत्सवों में भाग लेकर म्यूजिकल और नॉन म्यूजिकल स्टोरीटेलिंग भी करती हैं। जयश्री का अपना म्यूजिकल बैंड भी है, जिसकी मदद से वे स्टेज पर परफॉर्म कर कहानियां सुनाती हैं। 4 साल से लेकर 75 साल तक के लोग भी बहुत चाव से उनकी कहानियां सुनते हैं। जयश्री कहती हैं, ‘ड्रामा और आवाज के जरिए हम कहानियां सुनाते हैं और श्रोताओं को भी जोड़ लेते हैं। इंटरैक्टिव होने के कारण कहानियां अधिक पसंद की जाती हैं।’
बंगलुरु, अहमदाबाद, पुणे, आगरा, जबलपुर आदि में कहानियां सुनाती हैं जयश्री सेठी ‘स्टोरी घर’ के माध्यम से।

बसा दिया एक पूरा शहर
विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी कहानियां सुनने और सुनाने की विधा को फिर से जिंदा करने का काम किया है नीलेश मिसरा ने। उन्होंने बिग एफएम पर एक शो ‘यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिसरा’ को होस्ट करना शुरू किया। दर्शकों ने प्राइम टाइम पर समाचार सुनने की बजाय नीलेश की कहानियां सुनने को प्राथमिकता दी। नीलेश कहते हैं, ‘अपनी लिखी कहानियां सुनाने में सबसे ज्यादा आनंद आता है, क्योंकि ये आपके अनुभव से निकली होती हैं। आप पात्रों से अच्छी तरह परिचित होते हैं।’ एक श्रोता नीलिका कहती है, ‘नीलेश की कहानियां खाने को अधिक जायकेदार बना देती हैं। हमारा पूरा परिवार एक घंटे के लिए रेडियो के पास सिमट आता है।’
रेड एफएम के शो ‘द नीलेश मिसरा’ के जरिए एक बार फिर नीलेश बसा चुके हैं कहानियों की अलग दुनिया।

लिखने के लिए भी मंच
बढ़िया प्रकाशकों के अभाव में कई बार बेहतरीन कहानियां लोगों तक नहीं पहुंच पातीं। ऐसे ही लेखकों को ‘स्टोरीमिरर’ ग्लोबल मंच उलब्ध कराता है। इसके संस्थापक देवेंद्र जायसवाल कहते हैं, ‘पंद्रह साल बैंकिंग की नौकरी करने के बाद लगा कि मेरे पास भी कहानियां हैं, लेकिन जब कहानियां प्रकाशित करानी चाहीं तब असफल रहा। मुझे लगा कि लिखना भर ही काफी नहीं, किताब को प्रकाशित कराने के लिए नए लेखकों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे लोगों के लिए मैंने एक्स बैंकर विभु दत्ता राउत के साथ मिलकर स्टोरीमिरर पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। स्टोरीमिरर एप्प की मदद से आसानी से कहानियां सुनी जा सकती हैं।’
2 साल पहले शुरू हुए ‘स्टोरीमिरर’ के पोर्टल पर कोई भी लेखक दिखा सकता है अपनी लेखनी का हुनर।

लीक से हटकर प्रयोग
अमेरिका की एमिली हेनेसी 2011 से दुनियाभर में घूम-घूमकर भारत की पौराणिक कहानियों से लेकर अफ्रीका की जनश्रुतियों में प्रचलित लोककथाओं पर आधारित स्टोरीटेलिंग तक करती हैं। ब्रिटेन के टिम रॉल्फ आधुनिक आर्टफॉर्म के जरिए यूरोपीय फोक टेल्स सुनाते हैं। उनकी कहानियां सुनने ऐसे टींस भी आते हैं, जो अपने ऊपर पढ़ाई का दबाव महसूस करते हैं। मुंबई की ऊषा वेंकटरमन 18 सालों से ड्रामा और म्यूजिक के सपोर्ट से लोगों को भारत और विदेश की फोक टेल्स और मिथ्स स्टोरीज सुना रही हैं। वे कहती हैं, ‘मैं गाने गाकर या पपेट के जरिए भारतीय लोक कहानियां या पौराणिक कहानियां सुनाती हूं। स्टोरीटेलिंग के जरिए ऑडियंस को एंगेज कर लेती हूं, जो सबसे महत्वपूर्ण है।’ ऊषा कहानियों के बीच में पजल या चुटकुला भी सुनाती हैं और ऑडियंस से सवाल भी करती हैं। वे कहती हैं, ‘इंटरेक्शन ही एकाग्रता बढ़ाता है।’ पपेटियर और स्टोरीटेलर पूरन भट्ट अलग-अलग पपेट के जरिए मैथ्स के कठिन सवाल या विज्ञान की थ्योरी समझने में किशोरों की मदद करते हैं। वे कहते हैं, ‘रंग-बिरंगे पपेट्स मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव डालते हैं जिससे चीजें लंबे समय तक याद रहती हैं।’

दादी-नानी बन रहे एप्प
एक दौर था जब घर के बड़े बुजुर्ग कहानियां सुनाते थे पर अब तो कहानियों की पूरी दुनिया सिमटकर स्मार्टफोन में समा गई है। यदि काम करने के दौरान आप कहानियां सुनना चाहते हैं तो रूहानी आवाज में कही जा रही कहानियां आपको एक अद्भुत संसार में प्रवेश करा देंगी। स्टोरी घर की कहानियां मोबाइल एप ‘स्टोरी टॉकीज’ के जरिए एंड्रॉयड फोन पर उपलब्ध होंगी। ‘सावन’ और ‘गाना’ म्यूजिक एप्प के जरिए तो आप कहानियां सुन ही सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर में भी कई एप्प ऐसे हैं, जो आपको पंचतंत्र की कहानियां, मिथकों-जनश्रुतियों से जुड़ी कहानियां या पौराणिक कहानियां सुना सकते हैं। इन साइट्स पर विदेशी लेखकों की बेहतरीन रचनाओं का अनुवाद भी उपलब्ध है। लेखक कल्याण आर. गिरी कहते हैं, ‘किताबों का क्रेज खत्म नहीं हो सकता लेकिन साइट्स पर उपलब्ध किताबों को आप कभी भी-कहीं भी पढ़ सकते हैं। वह भी बिना पैसे खर्च किए। यूट्यूब तो कहानियां सुना ही रहा है।’
‘हिंदी समय’, ‘साहित्य सरिता’, ‘गद्यकोश’, ‘लघुकथा ’ आदि वेबसाइट्स के माध्यम से हम तक पहुंच रही हैं ऐतिहासिक और लोकप्रिय कहानियां।

स्मिता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.