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सूंघने की शक्ति से परजीवियों से बचाव करते हैं वानर

प्राइमेट वर्ग के जीव सूंघने की इंद्रिय का प्रयोग कर अपने समूह के उन लोगों की पहचान कर लेते हैं जो आंतो को संक्रमित करने वाले परजीवियों से संक्रमित होते हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 11 Apr 2017 12:04 PM (IST)Updated: Tue, 11 Apr 2017 12:57 PM (IST)
सूंघने की शक्ति से परजीवियों से बचाव करते हैं वानर
सूंघने की शक्ति से परजीवियों से बचाव करते हैं वानर

आपने प्राइमेट वर्ग के जीवों की श्रेणी में आने वाले बंदरों (वानर) को एकदूसरे के शरीर से जुएं निकालते अवश्य देखा होगा,लेकिन क्या आपको पता है कि इसके जरिये वे अपने समूह के उन सदस्यों से बचते हैं जो आंतो को खराब करने वाले परजीवियों से संक्रमित हैं। गौरतलब है कि वानर परिवार के सभी जीव प्राइमेट गु्रप के अंतर्गत आते हैं जिनमें मनुष्य भी शामिल है। असल में प्राइमेट वर्ग के जीव सूंघने की इंद्रिय का प्रयोग कर अपने समूह के उन लोगों की पहचान कर लेते हैं जो आंतो को संक्रमित करने वाले परजीवियों से संक्रमित होते हैं। फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के विज्ञानियों द्वारा मैंड्रिल वानरों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोध में पता चला है कि मैंड्रिल वानरों में एक-दूसरे की साफ-सफाई आंतों के परजीवियों से बचने का एक साधन है। इतना ही नहीं, यह परस्पर साफ-सफाई सामाजिक सामंजस्य में भी प्रमुख भूमिका अदा करती है।

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सोशल ग्र्रूमिंग कहे जाने वाला साफ-सफाई का यह व्यवहार आपसी संघर्ष के बाद उत्पन्न तनावों को शांत करने में भी मदद करता है। शोधकर्ताओं ने परजीवियों से संक्रमित मैंड्रिल वानरों को पकड़ कर उन्हें एंटीपैरासाइटिक दवा की खुराक दी। इलाज के बाद उन्होंने इन वानरों को पुन: उनके समूह के बीच छोड़ दिया। परजीवियों से मुक्त होने के बाद ये वानर आपसी साफ-सफाई करने लगे। अध्ययनकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या सूंघने की शक्ति से संक्रमित वानरों से बचने में मदद मिलती है। रासायनिक विश्लेषणों से पता चला कि संक्रमित और स्वस्थ मैंड्रिल वानरों की मलीय गंध में काफी अंतर था। अगले चरण में उन्होंने 16 बंदी वानरों के व्यवहार का अध्ययन किया। उन्होंने वानरों के समक्ष बांस की डंडियां रखीं जिन पर मलीय पदार्थ रगड़ा गया था। बंदी वानरो ने इन बांसों को सूंघा और उन डंडियों को नहीं छुआ जिन पर संक्रमित मल रगड़ा गया था।

-प्रेट्र

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