इंटरनेट की चाह बढ़ा देगी अंतरिक्ष में कचरा
एक संचार उपग्रह के निर्माण में लाखों डॉलर का खर्च आता है, लेकिन एक साथ कई उपग्रहों के निर्माण में खर्च कम आता है।
वायरलेस इंटरनेट मुहैया कराने के लिए गूगल, स्पेस एक्स जैसी कंपनियां अगले साल से पृथ्वी की कक्षा में हजारों उपग्रह स्थापित करने की योजना बना रही हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन के शोधकर्ताओं के मुताबिक इससे उपग्रहों के आपस में टकराने की आशंका तो बढ़ेगी ही, पृथ्वी की कक्षा में पहले से ही मौजूद कचरे में इजाफा हो जाएगा।
47 प्रतिशत
इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों का वैश्विक फीसद
250
उपग्रहों और इन टुकड़ों के बीच सालाना होने वाली टक्कर और विस्फोट
1,300
पृथ्वी की कक्षा में मौजूद सक्रिय उपग्रह
7.5 लाख
कक्षा में उपग्रहों और रॉकेट के एक सेमी से लंबे टुकड़े
लागत बनी मुसीबत
एक संचार उपग्रह के निर्माण में लाखों डॉलर का खर्च आता है, लेकिन एक साथ कई उपग्रहों के निर्माण में खर्च कम आता है। यही वजह है कि कंपनियां अगले साल हजारों उपग्रहों को लांच करने की योजना बना रही हैं।
40 हजार किमी/घंटा
अंतरिक्ष में टुकड़ों के परिक्रमा करने की गति कंप्यूटर पर तैयार किया नमूना निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष यान के टुकड़े और अन्य खराब उपकरण पृथ्वी की कक्षा में कचरे के रूप में मौजूद हैं। कंप्यूटर में अगले दो सौ साल तक की उनकी स्थिति का नमूना तैयार करके टक्कर का आकलन किया गया। शोध को जर्मनी में यूरोपियन कांफ्रेंस ऑन स्पेस डेबरीज में प्रस्तुत किया जाएगा।
50 फीसद अधिक टकराव
पृथ्वी की कक्षा पर बड़ी संख्या में स्थापित किए जाने वाले सूक्ष्म उपग्रहों के कारण उनके बीच 50 फीसद अधिक टकराव होंगे। इससे वहां मौजूद सक्रिय उपग्रहों को भी नुकसान पहुंचेगा।
कचरे से खतरा
टुकड़ों में ईंधन बचा होने से किसी अन्य उपकरण से इनके टकराने पर विस्फोट, टुकड़ों के
अंतरिक्ष यान से टकराने से अंतरिक्ष यात्रियों की जान को खतरा, संचार उपग्रहों से टकराने पर अरबों डॉलर राशि के नुकसान की आशंका।
ईएसए को है चिंता
शोध में आर्थिक मदद देने वाली यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) इस समस्या का हल चाहती है।
इसके लिए उसने कहा है कि कंपनियां इन उपग्रहों को ऐसे प्रोग्राम करें कि अभियान खत्म होने पर
उपग्रह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करें और स्वत: नष्ट हो जाएं।
दो घटनाएं
- 2007 में चीन ने मिसाइल से फेंगयुन उपग्रह को नष्ट किया।
- 2009 में पृथ्वी की कक्षा में मौजूद इरीडियम टेलीकॉम सेटेलाइट और रूसी कोस्मोस 2251 सैन्य उपग्रह के बीच टक्कर हुई।
यह भी पढ़ें: आज ही के दिन लांच हुआ था पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट