शादी का वादा तोडऩा दुष्कर्म नहीं: कोर्ट
अपने एक ऐतिहासिक फैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति द्वारा शादी का वादा तोड़ देने भर से उस पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति जेबी पर्डीवाला ने शुक्रवार को सूरत के एक व्यक्ति के खिलाफ पूर्व लिव-इन पार्टनर
अहमदाबाद। अपने एक ऐतिहासिक फैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति द्वारा शादी का वादा तोड़ देने भर से उस पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति जेबी पर्डीवाला ने शुक्रवार को सूरत के एक व्यक्ति के खिलाफ पूर्व लिव-इन पार्टनर द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि यदि यह मान भी लें कि शादी का वादा किया गया था, तो इससे पीछे हटना धारा-376 के तहत दुष्कर्म का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सूरत में एक निजी बीमा कंपनी में सेल्स मैनेजर के तौर पर काम करने वाले सचिन सांग्रे की घनिष्ठता एक महिला सहकर्मी के साथ बढ़ती गई। कुछ दिनों के बाद दोनों साथ-साथ रहने लगे। लगभग एक साल तक बाद एक मार्च, 2012 को दोनों का रिश्ता खत्म हो गया। 10 मार्च, 2012 को सांग्रे अपनी शादी का निमंत्रण पत्र लेकर अपनी पूर्व लिव-इन पार्टनर के घर गया। तीन दिन बाद उसकी शादी होनी थी। इस बीच लड़की ने अपने पूर्व पार्टनर पर शादी का वादा कर मुकर जाने के आरोप में पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। सूरत पुलिस ने सांग्रे को गिरफ्तार कर लिया और पिछले साल न्यायिक दंडाधिकारी के सामने धारा-376 के तहत आरोप पत्र दायर कर दिया। सांग्रे की याचिका पर हाई कोर्ट ने आज उसे तमाम आरोपों से बरी कर दिया।