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नाबालिग मुस्लिम लड़की का निकाह गैरकानूनी

गुजरात हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग मुस्लिम लड़की के निकाह को पूरी तरह गैरकानूनी करार दिया है। न्यायाधीश जेबी पारडीवाला ने कहा है कि नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी के मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं, बल्कि चाइल्ड मैरिज एक्ट का प्रावधान लागू होगा। उन्होंने कहा

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2015 12:50 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2015 03:18 AM (IST)
नाबालिग मुस्लिम लड़की का निकाह गैरकानूनी

अहमदाबाद, राज्य ब्यूरो। गुजरात हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग मुस्लिम लड़की के निकाह को पूरी तरह गैरकानूनी करार दिया है। न्यायाधीश जेबी पारडीवाला ने कहा है कि नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी के मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं, बल्कि चाइल्ड मैरिज एक्ट का प्रावधान लागू होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग पर्सनल लॉ के नाम पर कम उम्र में निकाह को जायज ठहराते हैं, वे समाज को गर्त में ले जा रहे हैं। दुनियाभर में लगातार सामाजिक और आर्थिक हालात बदल रहे हैं। पारिवारिक ढांचों में शिक्षा से बदलाव आया है। इससे बाल विवाह खुद भूतकाल बन जाने वाला है। मुस्लिम समुदाय को भी कम उम्र में लड़कियों की शादी के दुष्परिणाम का पता चल गया है। जस्टिस पारडीवाला ने कहा कि कम उम्र में शादी को बढ़ावा देने वाले लोगों पर भी बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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क्या है मामला

गायकवाड़ हवेली पुलिस थाने में दिसंबर 2014 में 28 वर्षीय यूनुस शेख पर पड़ोस की किशोरी को भगाकर ले जाने का मामला दर्ज हुआ था। युवक ने भगाने से पहले इस 16 वर्षीय किशोरी से निकाह कर लिया था। इस पर लड़की के पिता ने शेख के खिलाफ मामला दर्ज कराया। दूसरी तरफ, शेख का कहना था कि यह मामला मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत आता है और शरिया कानून 15 साल की लड़की को अपनी शादी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार देता है। लेकिन अदालत ने उसकी दलीलों को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने शेख को आंशिक राहत देते हुए उसे अपहरण, बलात्कार और पोस्को के आरोपों से बरी कर दिया। लेकिन पुलिस को बाल विवाह कानून के तहत मामला दर्ज कर आगे कार्रवाई करने का निर्देश दिया।


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