सूरत में था मक्का शरीफ जाने का दरवाजा
By Edited By: Published: Tue, 12 Aug 2014 01:57 AM (IST)Updated: Tue, 12 Aug 2014 01:44 AM (IST)
सूरत। गुजरात की हीरानगरी सूरत से अनेकों रसप्रद घटनाएं जुड़ी हुई हैं। सूरत सिर्फ आज ही देश में महत्वूपर्ण स्थान नहीं रखता, बल्कि प्राचीन समय में भी यह उतना ही विख्यात था। इतिहास की अनेकों यादें समेटे हुए सूरत का अबकी तरह पहले भी व्यापार, वाणिज्य और धर्म के साथ गहरा नाता था।
मुगलकाल के दरमियान सूरत में मक्काई पुल से हजयात्रा के लिए जहाज रवाना हुआ करते थे। इसीलिए मक्काई पुल को बाब-उल-मक्का यानी की मक्का जाने का दरवाजा कहा जाता था और सूरत का यह बंदरगाह 'बंदरगाह मुबारक' के रूप में 15वीं शताब्दी में विश्व विख्यात था। उस समय यह पूरे भारत के मुस्लिमों हेतु हज की यात्रा के लिए एकमात्र रास्ता था। अकबर के शासनकाल में तो यहां नियमित रूप से हजयात्री मक्का शरीफ के लिए रवाना हुआ करते थे। इस दौरान हजयात्रियों को कई महीनों का सफर करना पड़ता था।
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