रेलवे कॉलोनी के 103 वर्ष पुराने स्कूल में लगा ताला
सूरत। सूरत जिले के ऊघ में स्थित 103 वर्ष पुरानी 'रेलवे प्राथमिक शाला' में ताला लगा दिया गया है। रेलवे के इस फैसले से यहां पढ़ने वाले 124 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। स्कूल बंद करने का आदेश वैकेशन से पहले ही दे दिया गया था। अब बच्चों के परिजन उनके लिए दूसरे स्कूल तलाश रहे हैं। वहीं, पास में दूसरा स्कूल न होने की वजह से परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल बंद करने के पीछे रेलवे की दलील
स्कूल बंद करने के पीछे रेलवे की दलील है कि स्कूल में 80 प्रतिशत बच्चे रेलवे कर्मचारियों के होने चाहिए और 20 प्रतिशत अन्य। जबकि स्थिति इसके विपरीत है। रेलवे कर्मचारियों के बच्चों की संख्या सिर्फ 20 जबकि अन्य की 80 प्रतिशत है। इसलिए बाहर के बच्चों के लिए रेलवे प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च नहीं कर सकता। रेलवे ने स्कूल बंद करने का आदेश 21 मार्च को ही सुना दिया था।
103 वर्ष पुराना है स्कूल
ऊघ शहर के लिंबायत इलाके में स्थित यह स्कूल 1911 से अस्तित्व में था। यानी की इसकी नींव अंग्रेजों के जमाने में रखी गई थी। कक्षा पहली से 8वीं क्लास तक का यह स्कूल आजादी से लेकर देश के बदलते इतिहास का साक्षी है। यहां पढ़ने वाले बच्चों के परिजन की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अन्य स्कूलों की तुलना में यहां फीस भी कम थी। इस इलाके में ज्यादातर परिवार मध्यम वर्ग के हैं, जो अपने बच्चों की पढ़ाई का महंगा खर्च वहन नहीं कर सकते।