वाघेला का साथ छोडने लगे समर्थक
वाघेला ने सक्रिय राजनीति से अलग होने के भी संकेत दिए हैं लेकिन इस तहर की पेशकश महज राजनीतिक चातूर्य से अधिक कुछ नहीं।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात की राजनीति में आजकल खुले पत्रों की खूब चर्चा है, नेता विपक्ष शंकरसिंह वाघेला की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी को हटाने की मांग की गई वहीं वाघेला के एक पूर्व समर्थक ने उम्र के इस पड़ाव में आश्रय देने वाली पार्टी के साथ ही गद्दारी करने पर उनहें खरी खोटी सुनाते हुए अब साथ नहीं देने की बात कही गई है। वाघेला पर उनके समर्थक ने स्वार्थ की राजनीति का आरोप लगाया है।
गुजरात कांग्रेस में चल रही वर्चस्व की लडाई के तहत वाघेला ने अपना आखिरी दांव खेलते हुए सोनिया गांधी का पत्र लिखकर बताया है कि सोलंकी की अगुवाई में पार्टी चुनाव हार सकती है। चुनाव से पहले पार्टी को चेहरा घोषित करना चाहिए तथा वे इसके लिए उपयुक्त हैं। वाघेला ने सक्रिय राजनीति से अलग होने के भी संकेत दिए हैं लेकिन इस तहर की पेशकश महज राजनीतिक चातूर्य से अधिक कुछ नहीं। वाघेला आगामी चुनाव में प्रचार से लेकर टिकट वितरण में खास भूमिका चाहते हैं लेकिन आलाकमान का विश्वास खो देने के बाद अब यह संभव नहीं लगता, चूंकि आलाकमान ने वाघेला समर्थक नेता गुरुदास कामत को हटाकर पहले ही गुजरात का प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत को बना दिया है, गहलोत 19 से 25 जनवरी तक गुजरात के दौरे पर हैं तथा विविध जिलों में घूमकर पार्टी के बडे नेताओं के दावों की टोह ले रहे हैं। गहलोत ने इस मामले में नो कमेंट के साथ अब नेताओं के बजाए स्थानीय नेता व कार्यकर्ताओं को प्रमुखता देने के काम में जुट गए हैं।
दूसरा पत्र वाघेला को गांधीनगर के पेथापुर गांव निवासी जितेंद्र सिंह वाघेला ने लिखा जिसमें उनसे सीधे सवाल किया गया है कि कांग्रेस ने उनहें सब कुछ दिया, 3 साल नेता विपक्ष की सत्ता व सुख भोगने के बाद अब पार्टी से बगावत करने का क्या कारण है। ये भी पूछा है कि क्या आयकर व ईडी की कार्यवाही से बचने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं ताकि एकत्र किए गए करोडों रुपए को बचाया जा सके। जितेंद्र ने आधा दर्जन लोगों के नाम लिखकर वाघेला से पूछा की उनके सहित कई परिवारों ने उन्हें तन मन धन से मदद की, आज वे बुरे हालाता में हैं लेकिन आपने अपने ही समर्थकों की मदद के बजाए अपनी स्वार्थ पूर्ति में लगे रहे।
उन्होंने कहा है कि एक राजपूत होने के नाते युद्ध के समय में मैदान छोडकर दुश्मन के साथ कोई समझौता नहीं करने वाले। पत्र में ये भी कहा है कि आप प्रदेश अध्यक्ष सोलंकी का विरोध कर रहे हैं लेकिन आप खुद गोधरा व साबरकांठा से चुनाव हार चुके हैं ऐसे में पार्टी आपको चेहरा बनाकर क्यूं मैदान में उतारे तथा टिकट वितरण में आप महत्व चाहते हैं लेकिन अपनी पार्टी राजपा के सभी 182 टिकट आपने बांटे थे लेकिन 3 ही सीट जीत पाए।
यह भी पढ़ें: गुजरात विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं कई पूर्व आइपीएस