सरदार सरोवर बांध के दरवाजे बंद करने की सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी के साथ ही सियासी पारा गरमा
गुजरात के भरुच जिले में नर्मदा नदी किनारे 1949 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु व मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल ने सरदार सरोवर बांध की नींव रखी थी।
अहमदाबाद। सरदार सरोवर बांध के दरवाजे बंद करने की सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी के साथ ही राज्य का सियासी पारा गरमा गया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने तुरत फुरत डेम साइट पर पहुंचकर दरवाजे बंद करा दिए तथा अब तक मंजूरी नहीं मिलने का दोष भी कांग्रेसनीत यूपीए सरकार पर डाल दिया। उधर बचाव में कांग्रेस ने भी बधाई संदेश के साथ नर्मदा नहर का काम पूरा नहीं होने की विफलता को दोष भाजपा सरकार के मत्थे मंढ दिया।
पर्यावरण बचाने व विस्थापितों के अधिकारों के नाम पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण का काम अटका तो राज्य के तत्कालीन मुखिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 51 घंटे के उपवास पर उतरना पडा था। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद चंद घंटों में बांध पर दरवाजे लगाने की अनुमति दिला दी अब 3 साल पूरा होते ही दरवाजे बंद कराने की स्वीक्रति दिलाने का भी श्रेय केनद्र को ही जाता है।
मुख्यमंत्री रुपाणी ने गांधीनगर में बताया कि कांग्रेस की गुजरात विरोधी नीति के कारण नर्मदा बांध का निर्माण व दरवाजे लगाने के काम में 7 साल की देरी हुई, इस दौरान नर्मदा का पानी समुद्र में बहता रहा। जो यह पानी गुजरात के काम आता तो आज विकास की नई ऊंचाईयों को छू लेते। सरदार पटेल ने 1946 में बांध का सपना देखा था जिसे 2017 में मोदी ने पूरा कर दिखाया। उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल ने कहा कि बांध के दरवाजे बंद होने से 4,7 मिलियन एकड फीट पानी का संग्रेह होगा जिससे 6 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी। रुपाणी, नीतिन पटेल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव केके कैलासनाथन, मुख्य सचिव डॉ जे एन सिंह आदि ने नर्मदा बांध पहुंचकर वैदिक विधी विधान से नर्मदा की पूजा कर बांध के 30 दरवाजों को बंद कराया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्रधार्थ पटेल ने राज्य सरकार पर नर्मदा कैनाल का काम पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों को लाभ तब मिलेगा जब नर्मदा कैनाल का काम पूरा होगा, राज्य में 70 फीसदी कैनाल का कार्य बाकी है।
गुजरात के भरुच जिले में नर्मदा नदी किनारे 1949 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु व मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल ने सरदार सरोवर बांध की नींव रखी थी। विस्थापित आंदोलन से पहले 1984 में ऊंचाई बढाने की स्वीक्रति मिली लेकिन 1989 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के विरोध के चलते इस पर रोक लग गई। 1990 में जापान ने लोन रदद कर दिया तो सीएम चिमनभाई ने बॉण्ड जारी कर बांध का निर्माण जारी रखा। बांध की ऊंचाई बढाने के लिए 2005 में तत्कालीन सीएम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 51 घंटे का उपवास किया था।