मां की ममता मेरे लिये जीवन जीने की जडी बूटी है : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी वाईब्रेंट गुजरात महोत्सव में शामिल होने के लिये दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं। मोदी अचानक मां हीराबा से मिलने पहुंच गये। उनकी मां रायसण गांव में रहती हैं।
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार सुबह अचानक मां हीराबा से मिलने पहुंच गये। उनकी मां गांधीनगर के रायसण गांव में अपने छोटे बेटे पंकज के साथ रहती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी वाईब्रेंट गुजरात महोत्सव में शामिल होने के लिये दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं, मंगलवार रात्रि ही उन्हें दिल्ली वापस लौटना है। प्रधानमंत्री ने खुद ट्वीट कर बताया कि मां से मिलने की वजह से वे योग नहीं कर पाये। मां से मिले, उनके साथ ही नाश्तां किया बहुत अच्छा महसूस हुआ। मोदी ने कहा मां की ममता, मां का आशीर्वाद उनके लिये जीवन जीने की जडी बूटी है। आम तौर पर मोदी का काफिला 20 कारों का होता है तथा एम्बुलेंस पायलट कार आदि का पूरा रेला होता है लेकिन एक एसयूवी में सवार होकर मोदी अपनी मां से मिलने पहुंच गये, उनके रास्ते में सुरक्षा कर्मी तैनात थे लेकिन वे खुद बिना सुरक्षा व काफिले के मां से मिलने पहुंच गये। पिछली बार अपने 66 वें जन्म,दिन पर मोदी अपनी 97 वर्षीय मां से मिले थे।
अहमदाबाद। 19 वर्ष की उम्र में भारत छोडकर विदेश में बस गया इसलिये भारत कैसा हो, ये कहने के लिये योग्य व्यक्तिे नहीं पर इतना चाहता हूं की भारत गंदगी, भ्रष्टाचार से मुक्त बने तथा शिक्षा से वंचित ना रहे। रसायन शास्त्र में नोबल पुरस्कार विजेता भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ वेंकी रामाकृष्णन ने वाईब्रेंट गुजरात में यह बात कही।
साइन्स सिटी में आयोजित नोबल पुरस्कावर विजेताओं के व्याख्यौन के दौरान डॉ वेंकी ने कहा कि किसी भी देश के लिय ज्ञान प्राकृतिक संसाधनों से अधिक महत्व पूर्ण है। दुनिया के कई देशों के पास प्राकृतिक संसाधनों का अंबार है लेकिन ज्ञान विज्ञान में पीछे हैं, भारत के संसाधन व 125 करोड की आबादी का योग्य उपयोग जरुरी है। डॉ वेंकी ने कहा भारतीय विफलता व टिप्पणी को नहीं पचा पाते हैं इसलिये अपने सहकर्मियों व वरिष्ठों के साथ भी असुरक्षित महसूस करते हैं। खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले अगस्त में उनका स्टडी पेपर रिजेक्ट हो गया, लेकिन निराश होने के बदले वे इससे अधिक मेहनत करने में जुट गये।
सुपर पावर बनने में लगेगा वक्त
भारत को वर्ष 2030 में विज्ञान के क्षेत्र में सुपर पावर बनाने के लक्य् पर उन्होंने कहा कि भारत को सुपर पावर बनने में वक्त लगेगा। विज्ञान संशोधन के क्षेत्र में हाल 15 देश शामिल हैं जिनमें भारत कहीं भी शामिल नहीं है। वैज्ञानिक शोध के लिय सरकार को अधिक धन उपलब्धि कराना चाहिये तथा अनुदान देने के बाद नेताओं व सरकार को वैज्ञानिकों के काम में दखल नहीं करना चाहिए। अन्यथा नये उपकरण व स्टाफ के वेतन पर धन खर्च करने के बाद वैज्ञानिकों का अधिकांश समय हिसाब किताब में ही बीत जायेगा।
अमरीका ने किया 40 साल इंतजार डॉ वेंकी ने कहा कि अमरीका को सुपर पावर बनने के लिये चार दशक का इंतजार करना पडा था। अमरीका 1908 में सुपर पावर बन गया था लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में सुपर पावर बनने के लिये 1940 तक राह देखनी पडी थी, जबकि इस काल में उसने तीन नोबल पुरस्कार भी जीते थे। साथ ही वेंकी ने यह भी कहा कि अवार्ड व पहचान महत्व की बात नहीं है इससे व्यक्ति की एकग्रता भंग होती है।
डॉ वेंकी ने कहा कि बल्ब के आविष्कार के लिए थॉमस अलवा एडीसन का नाम याद आता है लेकिन इसकी खोज ब्रिटेन के जॉसफ स्वाान ने की थी। थॉमस मार्केटिंग में उस्ताखद थे इसलिये बल्ब के आविश्कार का श्रेय उन्होंने ले लिया, जबकि कई लोग स्वान के नाम तक से परिचित नहीं हैं। वेंकी ने कहा कि साइन्स व टेक्नोलॉजी के मामले में अन्यत देश के भ्रो से रहना उचित नहीं है।
पोस्ट व ट्रुथ वर्ल्ड ऑफ द ईयर डॉ वेंकी ने कहा कि विज्ञान में सबूत के बिना कुछ भी सत्य नहीं होता अर्थात सबूत के बिना विज्ञान की संभावना ही नहीं है। सोशियल मीडिया में लोग झूठी बात को प्रचारित करते हैं जिससे सत्य नहीं होने पर भी वह ब्रम्हू वाक्य बन जाता है। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने पोस्टर ट्रूथ शब्द् को 2016 का वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है।
भारत में साईकिल चलाना भी कठिन डॉ वेंकी ने कहा की बढती जनसंख्या के चलते भारत के शहरों में अब साईकिल चलाना भी मुश्किल बनता जा रहा है। वर्ष 1960 में वडोदरा में अपने बचपन की बातें याद करते हुए वेंकी ने बताया कि वे बाहर जाते तब साईकिल लेकर जाते थे आज शहरीकरण के कारण वे इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। वर्ष 1955 में वेंकी का परिवार वडोदरा में रहने आया था, तब उनकी उम्र 3 वर्ष थी। 1971 में एमएस युनिवर्सिटी से बीएससी का अध्ययन कर वे विदेश चले गये। उसके बाद वर्ष 2010 में वे पहली बार वडोदरा आये थे।