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गुजरात में पाटीदारों पर पुलिस कार्रवाई की जांच करेगा न्यायिक आयोग

आयोग 25 अगस्त 2015 तथा उसके बाद विभिन्न शहरों और गांवों में पाटीदारों पर पुलिस बल प्रयोग की घटना की जांच करेगा।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 04 Oct 2017 03:32 PM (IST)Updated: Wed, 04 Oct 2017 03:32 PM (IST)
गुजरात में पाटीदारों पर पुलिस कार्रवाई की जांच करेगा न्यायिक आयोग
गुजरात में पाटीदारों पर पुलिस कार्रवाई की जांच करेगा न्यायिक आयोग

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात की भाजपा सरकार ने पाटीदारों सहित आरक्षण से वंचित 57 जातियों के सर्वेक्षण के लिए आयोग तथा इन वगरें की समृद्धि के लिए 600 करोड़ रुपये के शैक्षणिक-आर्थिक विकास निगम के गठन की घोषणा की है। 

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इसके अलावा पाटीदार महारैली के दौरान बल प्रयोग की भी न्यायिक जांच कराई जाएगी। साथ ही सरकार पाटीदारों की ओर से आरक्षण आंदोलन समाप्त करने पर हार्दिक पटेल और अन्य के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले वापस लेने पर विचार करेगी। गुजरात के गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा कि पाटीदारों पर पुलिस दमन की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित कर दिया गया है। हाई कोर्ट के रिटायर जज के ए पुंज जांच आयोग के अध्यक्ष होंगे। आयोग 25 अगस्त 2015 तथा उसके बाद विभिन्न शहरों और गांवों में पाटीदारों पर पुलिस बल प्रयोग की घटना की जांच करेगा। 

उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने 26 सितंबर को छह पाटीदार संस्थाओं के पदाधिकारियों तथा पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति व सरदार पटेल ग्रुप के पदाधिकारियों से चर्चा के दौरान इन प्रमुख मांगों पर सहमति दी थी। जडेजा ने बताया कि आरक्षण से वंचित राज्य के 57 जातियों के शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाने वाला आयोग केंद्र और राज्य की जनहित योजनाओं का लाभ दिलाने पर काम करेगा। गैरआरक्षित जातियों के लिए सरकार की ओर से शैक्षणिक और आर्थिक विकास निगम बनेगा जो इस वर्ग के युवाओं को रोजगार, उच्च शिक्षा आदि में मदद करेगा। इसके अलावा किसान, पशुपालक, मजदूर और कारीगरों को रोजगार बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद भी करेगा। साथ ही इन वर्गों के परिवारों को आवास, बिजली, पानी की सुविधा देने में प्राथमिकता तथा युवाओं के लिए कौशल विकास केंद्र बनाएगा।

जडेजा ने कहा कि सरकार ने पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज 109 मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार 109 मुकदमे वापस लेने का फैसला कर चुकी है। गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के विशेषज्ञों से चर्चा के बाद राज्य सरकार के अधिकार में आने वाले बाकी मुकदमों को भी जल्द वापस लिया जाएगा।

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