कर्ज नहीं चुकाया तो एस्सार स्टील होगी नीलाम
6 माह में एस्सार को 40 हजार करोड़ की रकम चुकानी होगी अन्यथा बैंक अपना कर्ज वसूलने के लिए कंपनी को नीलाम भी कर सकेंगे।
अहमदाबाद, शत्रुघन शर्मा। भारतीय रिजर्व बैंक व बैंकों की ओर से एस्सार स्टील को दिवालिया घोषित कर लोन की रकम वसूलने की कार्यवाही को गुजरात उच्च न्यायालय ने जायज बताते हुए एस्सार की याचिका को खारिज कर दिया है। 6 माह में एस्सार को 40 हजार करोड़ की रकम चुकानी होगी अन्यथा बैंक अपना कर्ज वसूलने के लिए कंपनी को नीलाम भी कर सकेंगे।
गुजरात उच्च न्यायालय के जज एस जी शाह ने एस्सार की याचिका पर सुनवाई करते हुए आरबीआई, कर्जदाता बैंक आदि का पक्ष सुना, सोमवार को अपने फैसले में अदालत ने एस्सार को दिवालिया घोषित कर पैसा वसूलने की कार्यवाही को हरी झंडी दे दी। आगामी 6 से 9 माह में एस्सार को कंपनी को रिकंस्ट्रक्ट करके अथवा प्रमोटर से पैसा जुटाकर एसबीआई व स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक को कर्ज की रकम चुकानी पड़ेगी अथवा बैंक कंपनी की कमान अपने हाथ में लेकर कर्ज की भरपाई करने को स्वतंत्र होंगे। वसूली ना होने पर बैंक कंपनी को नीलाम भी कर सकेंगे। बैंकों ने मई 2017 को ही यह कार्यवाही शुरु कर दी थी, आरबीआई न बैंकों का हजारों करोड़ रुपया दबाकर बैठी एस्सार सहित 12 निजी कंपनियों पर सख्ती बरतने निर्देश जारी किया था जिसके बाद एस्सार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पर रोक की मांग की थी।
आरबीआई ने पिछले वर्ष ही स्पष्ट कर दिया कि भारतीय बैंकों से 5 हजार करोड़ के लोन की 60 फीसदी रकम एनपीए घोषित कर दी गई हो ऐसी आिर्थक हालत में कंपनी के खिलाफ दिवालिया होने की कार्यवाही हो। आरबीआई ने इसी नियम के तहत जून 2017 में ही इस प्रकिया की घोषणा कर दी थी। आरबीआई ने यहां स्पष्ट किया कि मॉरीशस प्रोजेक्ट को लेकर एस्सार भ्रम फैला रही है, उसका यह प्रोजेक्ट भी विफल रहा है जिसके चलते उसे मिली 400 मिलियन यूएसडॉलर का कर्ज बढकर 481 मिलियन यूएस डॉलर हो गया है।
एस्सार की ओर से पेश की गई दलील में कहा गया कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार सुधर रही है, रिजर्व बैंक ने कंपनी के खिलाफ एकतरफा फैसला करते हुए उसे दिवालिया घोषित करने का ऐलान किया है जो पूरी तरह गलत है। उनका यह भी कहना था किजब बैंकों के साथ उनकी लोन सुधार कार्यक्रम सीडीआर के तहत चर्चा चल रही थी इसी दौरान कंपनी को दिवालिया घोषित कर देना गलत है। जिसके जवाब में आरबीआई ने कहा कि एस्सार पर पिछले वर्ष कुल देनदारी 31 हजार 671 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 32 हजार 864 करोड़ रुपये हो गई है। उसने बताया एस्सार पर 45 हजार करोड का कर्ज है। अदालत के इस फैसले से बैंकों का पैसा दबाकर बैठी 11 अन्य कंपनियों पर भी कर्ज भुगतान नहीं करने पर दिवालिया घोषित करने की तलवार लटक गई है। हालांकि एस्सार इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सकता है लेकिन सरकार व आरबीआई के आर्थिक सुधार के कदमों को देखते हुए आरबीआई अब इस मामले में पीछे नहीं हटेगी बल्कि अन्य 11 कंपनियों पर भी कर्ज वसूली का दबाव बनाएगी।