एशियाई शेरों को मप्र भेजने पर क्यूरेटिव याचिका
अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की खंडपीठ की ओर से गुजरात के गीर जंगलों से एशियाई शेरों को मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर जंगल में स्थानांतरित करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्याचिका अपील अदालत में विचाराधीन है। उस याचिका पर सुनवाई की उम्मीद नजर नहीं आती इसलिए गुजरात सरकार लोकायुक्त की तरह इस मामले में भी क्यूरेटिव याचिका दायर करना चाहती है।
गुजरात सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग व कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार एशियाई शेरेां को मध्यप्रदेश स्थानांतरित करने के पक्ष में कतई नहीं है। सरकार की ओर से इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में दी गई सभी दलीलें अदालत ने खारिज कर शेरों के स्थानांतरण का आदेश गत 15 अप्रैल को कर दिया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने 15 जून को अदालत में पुर्नयाचिका दाखिल की जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हो रही है। कानून के जानकारों का मानना है कि पुनर्याचिका अदालत में मौजूद दस्तावेजों के आधार पर ही सुनी जाती है लिहाजा खुद सरकार को उसमें अपने पक्ष में कोई दम नजर नहीं आता है।
इसके अलावा गुजरात के वन विभाग के अधिकारियों ने मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर वन के पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में जो रिपोर्ट अदालत को दी थी वह ग्राउन्ड रियलीटी से विपरीत थी। गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इस बात की जानकारी बाद में मिली की अधिकारियों ने गांधीनगर में बैठकर ही कूनो पालपुर की पारिस्थितिकी रिपोर्ट तैयार कर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश कर दी थी। लोकायुक्त मामले में भी उच्चतम न्यायालय में गुजरात सरकार की हार हुई जिसके बाद सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर दी जिससे फिलहाल फैसले पर अमल टल गया है। गुजरात सरकार अब शेरों के स्थानांतरण के मामले में भी पुनर्याचिका को छोडकर क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के मूड में है ताकि इस मुद्दे पर वह कानून की अंतिम लडाइ्र तक संघर्ष कर सके। इस मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्री गणपत भाई वसावा खुद कानून के विशेषाज्ञों से सलाह मशविरा कर रहे हैं उसके बाद यह याचिका दाखिल होगी।
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