फीफा अंडर-17 विश्व कप : संभावनाएं कम, लेकिन चुनौती पेश करेगी भारतीय टीम
भारत में आठ स्थलों पर 28 अक्टूबर तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में भारत को ग्रुप 'ए' में कोलंबिया, घाना और अमेरिका के साथ रखा गया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की अंडर-17 टीम के कोच लुई नॉर्टन डि माटोस छह अक्टूबर से शुरू होने वाले अंडर-17 फुटबॉल विश्व कप में मिलने वाली चुनौती से भली भांति वाकिफ हैं, लेकिन उन्हें अपने खिलाडिय़ों पर पूरा यकीन है कि वे मैदान पर अपना शत प्रतिशत योगदान देकर सभी को प्रभावित करेंगे।
भारत में आठ स्थलों पर 28 अक्टूबर तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में भारत को ग्रुप 'ए' में कोलंबिया, घाना और अमेरिका के साथ रखा गया है। इसमें अमेरिकी टीम केवल एक बार अंडर-17 विश्व कप का हिस्सा होने से चूकी है। वहीं, कोलंबिया दक्षिण अमेरिका की मजबूत टीमों से एक है तथा घाना अफ्रीका की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल है। भारत का सामना पहले मैच में अमेरिका से होगा। अंडर-17 टीम के खिलाडिय़ों राहुल केपी और शुभम सारंगी के साथ यहां मौजूद डि माटोस ने गुरुवार को कहा कि जब मैं टीम से जुडऩे के लिए यहां आया था, मैं जानता था कि यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा। लेकिन तैयारियों के लिए हमने काफी मैत्री मैच खेले हैं, जिनमें खिलाडिय़ों ने अपने खेल में काफी सुधार किया है और अच्छी प्रगति की है।
टूर्नामेंट में मिलने वाली चुनौती और प्रतिस्पर्धा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों का आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। जहां तक टूर्नामेंट की बात है तो मैं अपनी टीम को कोई अंक नहीं दूंगा, लेकिन खिलाड़ी मैदान पर अपना शत प्रतिशत देंगे, इसका मुझे भरोसा है। हमें मालूम हैं कि अमेरिका, कोलंबिया और घाना के खिलाड़ी कितने मजबूत होंगे, इसलिए सकारात्मक होना अहम है।
क्या टीम ग्रुप चरण से आगे पहुंचेगी या प्रतिद्वंद्वी टीम से ड्रॉ कराने में सफल रहेगी तो माटोस ने कहा कि निश्चित रूप से हमारी टीम की संभावनाएं काफी कम हैं, जब मैंने ड्रॉ देखा तो मैंने सोचा कि जीतने की संभावना बहुत मुश्किल होगी, लेकिन हम जीत के लिए खेलेंगे। हमारी इच्छा और रवैया जीत का होना चाहिए। मेरे खिलाड़ी मैदान पर शत प्रतिशत प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि सकारात्मक हालात मैच जिता सकते हैं। अगर हम मैच में ड्रॉ कराते हैं तो यह हमारे लिए अच्छा परिणाम होगा। हम हारना नहीं चाहते।
उन्होंने कहा कि मैं सच्चाई से वाकिफ हूं, लेकिन मेरी जिम्मेदारी है कि खिलाड़ी सिर्फ इसी टूर्नामेंट में ही नहीं, बल्कि आगे भी अच्छी फुटबॉल खेलें। पेनाल्टी से नहीं चूकने को लेकर तैयारी पर उन्होंने कहा कि हम तैयारियों के लिए इस तरह के ट्रेनिंग सत्र भी करते हैं जिसमें सिर्फ पेनाल्टी से गोल करने पर ही ध्यान दिया जाता है। इसमें सात-आठ खिलाडिय़ों की टीम बनाकर उन्हें पेनाल्टी से गोल करने के लिए कहा जाता है और उन पर दबाव बनाते हैं ताकि वे मैच के दौरान ऐसी स्थितियों के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। जहां तक पेनाल्टी के जरिये गोल करने की बात का संबंध है तो स्टार खिलाड़ी भी इससे चूक जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आपको तकनीक, रणनीतिक, शारीरिक और मानसिक चीजों पर ध्यान देना होता है, लेकिन सबसे अहम चीज है ध्यान की एकाग्रता। उच्च स्तर के टूर्नामेंट में यही पहलू सबसे अहम होता है। दबाव भरे क्षणों में खिलाडिय़ों को तनाव से दूर रखने के लिए मनोचिकित्सीय सेवाएं लेने के बारे में उन्होंने कहा कि मैं खुद ही मनोचिकित्सक हूं।