म्युचुअल फंड में करें निवेश तो इन पांच बातों का रखें विशेष ख्याल, होगा आपका फायदा
शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे सरल तरीका म्युचुअल फंड में निवेश होता है। अधिकांश निवेशक निवेश करते समय कई गलतियां कर देते हैं
नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे सरल तरीका म्युचुअल फंड में निवेश होता है। अधिकांश निवेशक निवेश करते समय कई गलतियां कर देते हैं। ऐसे में फंड मैनेजर्स की मदद ली जा सकती है। आपको बता दें कि ये प्रोफेशनल्स होते हैं जिनके पास अपनी रिसर्च टीम होती है। यह निवेश से जुड़े सही फैसले लेते हैं। इनकी मदद लेने से नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है।
म्युचुअल फंड्स का रेगुलेशन सेबी करती है। इससे फ्रॉड होने की संभावना नहीं रहती है। यही कारण है कि नए निवेशकों को हमेशा निवेश की शुरुआत के लिए म्युचुअल फंड्स में निवेश की सलाह दी जाती है।
म्युचुअल फंड में निवेश करते समय रखें इन बातों का ध्यान-
पहले निवेश के उदेश्यों को अच्छे से समझें
कई बार इंवेस्टर्स स्कीम के ऑफर दस्तावेजों को सही से नहीं पढ़ते हैं। इन दस्तावेजों में फंड कहां निवेश होगा, किस एसेट क्लास में होगा और किस सेगमेंट में होगा जैसी जानकारी स्पष्ट दी होती हैं। इसलिए उदेश्यों और सेगमेंट्स को समझने से निवेशक अपने फंड्स और जोखिम के बारे में जान सकते हैं।
दी गई जानकारी को करें क्रॉस चेक
निवेशकों को अपनी म्युचुअल फंड एकाउंट स्टेटमेंट में बैंक की डीटेल्स को जरूर चेक करना चाहिए। हमेशा बैंक का नाम, एकाउंट नंबर और अपनी ओर से दी गई अन्य जानकारी सही दें। जरा सी भी गलत जानकारी काफी नुकसान कर सकती है। बैंक एकाउंट में एक डिजिट भी गलत होने से निवेशक के एकाउंट में राशि जमा नहीं होती है। यह सब पुरानी बैंक डिटेल्स को अपडेट करने की प्रक्रिया और निवेश किए जाने वाले बैंक एकाउंट नंबर के इनएक्टिव व एकाउंट का अपने आप बंद हो जाने पर होता है। इसलिए अपनी सभी जानकारी व डिटेल्स को अच्छे से चेक करना चाहिए।
गलत फंड के चयन से बचें
अधिकांश निवेशक अपनी जरूरतों को बिना जाने, बिना रिसर्च और विश्लेषण किए निवेश कर देते हैं। निवेशक को निवेश करने से पहले अपने निवेश के उदेश्य, रिटर्न की उम्मीद और जोखिम उठाने की क्षमता के बारे में पता होता चाहिए। इसके बाद निवेशक को अपनी निवेश अवधि तय करनी चाहिए। साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित कर लें कि निवेश लंप-सम में या फिर नियमित समय पर करना हैं। फंड का चयन करते समय यह जरूर देखे कि कौन सा फंड आपकी सारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। इसके बाद सलेक्ट किए गए फंड का बीते वर्षों में प्रदर्शन, एक्सपेंस रेश्यो, मौजूदा पोर्टफोलियो और अन्य चीजों का विश्लेषण करें।
रिटर्न की तुलना न करें
लोग एसआईपी और लंपसम निवेश पर मिलने वाले रिटर्न की अक्सर तुलना करते हैं। ऐसा करना गलत है। रिटर्न की तुलना इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंनकि लंबी अवधि में इन दोनों तरीकों से मिलने वाले रिटर्न में ज्यािदा अंतर नहीं होता है। एक विश्ले षण से यह पता चला है कि डाइवर्सीफाइड फंड्स में 10 और 15 वर्ष की समयावधि में दोनों तरीकों एसआईपी और लंपसम रिटर्न में महज 2 फीसदी तक का अंतर था। हालांकि, एक से पांच साल की समयावधि में रिटर्न का अंतर बहुत ज्या दा था।
फंड्स की खुद भी कर सकते हैं खरीद और बिक्री
निवेशक डायरेक्ट इंवेस्टमेंट के जरिए अपने पोर्टफोलियो पर खुद नजर रख सकते हैं। अगर आपने रिसर्च करके अपने लिए कुछ फंड्स सेलेक्ट किए हैं तो आप खुद खरीद या बिक्री के ऑप्शन पर जाकर निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। आप इन फंड कंपनियों की ओर से दी जाने वाली सलाह की भी मदद ले सकते हैं। यहां आप विभिन्न फंड के बीच तुलना भी कर सकते हैं, जिसके आधार पर अपने लिए सही फंड चुन सकते हैं। साथ ही आपको बता दें कि निवेशक खरीदे गए फंड्स को बेच भी सकते हैं। फंड रिडीम करने के बाद आपके एकाउंट से जुड़े बैंक में सीधे पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं।