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सात साल में वित्तीय चिंताओं से मुक्ति

यदि आपके खर्च आपकी आमदनी से ज्यादा हैं तो सावधान हो जाएं और खर्चों में तत्काल कमी करें। इसी तरह यदि आपके खर्च आमदनी से कम हैं तो भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तुरंत बचत और निवेश प्रारंभ कर दें। अपने मासिक खर्चों का ब्योरा तैयार करें

By Edited By: Published: Mon, 19 Oct 2015 08:02 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2015 10:00 AM (IST)
सात साल में वित्तीय चिंताओं से मुक्ति

यदि आपके खर्च आपकी आमदनी से ज्यादा हैं तो सावधान हो जाएं और खर्चों में तत्काल कमी करें। इसी तरह यदि आपके खर्च आमदनी से कम हैं तो भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तुरंत बचत और निवेश प्रारंभ कर दें। अपने मासिक खर्चों का ब्योरा तैयार करें और उसी के अनुसार चलें।

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वित्तीय रूप से स्वतंत्र होना ऐसी स्थिति है, जिसमें आपके दिल व दिमाग दोनों पैसों और जिंदगी की चिंताओं से मुक्त होते हैं। यह असंभव सा लगता है, लेकिन पूरी तरह संभव है। हम आपको बताते हैं कि इसका तरीका क्या है। इसके लिए न तो लॉटरी जीतने की जरूरत है और न विरासत में दौलत हासिल करने की। कुशाग्र बुद्धि होना भी आवश्यक नहीं है। महज वित्तीय मामलों की बुनियादी जानकारी और अनुशासन के बूते इसे हासिल किया जा सकता है।

जब हम कमाना शुरू करते हैं तो वह हमारे लिए गर्व का क्षण होता है। लेकिन जब बात आती है दीर्घकालिक फायदे की तो अक्सर हम सही निर्णय लेने से चूक जाते हैं। आपात स्थिति के लिए एक छोटी सी रकम बचाने में भी हमें दिक्कत होती है, जबकि यह मूलमंत्र है कि बचत का सिलसिला जितनी जल्दी शुरू किया जाए, उतना अच्छा होता है। भले ही बचत छोटी क्यों न हो, जल्द बचत करने से हमें चक्रवृद्धि की शक्ति का लाभ मिलता है।
सात सालों में के कुछ कदम इस प्रकार हैं :

1. जीवन साथी को शामिल करें
ज्यादातर युगल वित्तीय मामलों की चर्चा अपने जीवनसाथी से करना जरूरी नहीं समझते और इसकी उपेक्षा करते हैं। सही चीज तो यह है कि उन्हें न केवल मिल-बैठ कर अपनी मौजूदा माली हालत पर चर्चा करनी चाहिए, बल्कि अपने लक्ष्यों की प्राथमकिता भी तय करनी चाहिए। यदि आप दोनों कमाते हैं तो दोनों की आमदनी और खर्चों पर विचार करके आगे की योजना बनानी चाहिए।

2. मौजूदा स्थिति का आकलन करें
आगे की योजना बनाने से पहले आपको अपनी मौजूदा स्थिति का सही आकलन करना चाहिए। इससे आपको अपनी वास्तविक हालत समझने का अवसर मिलेगा। इसके लिए अपनी सभी राशियों, संपत्तियों व देनदारियों की सूची बनाएं। इसके आधार पर (कुल आय-कुल व्यय) आपको अपने पास उपलब्ध शुद्ध धनराशि का पता चलेगा। इसके लिए आपको बैंक स्टेटमेंट, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट, निवेश, बीमा, कर्ज वगैरह के रिकॉर्ड की जरूरत होगी।

3. चालू खर्चों पर नजर रखें
सभी खर्चों की सूची बनाएं। इससे आपको अपने सभी प्रकार के मासिक खर्चों का पता चलेगा। इसका फायदा यह होगा कि आपको पता चल जाएगा कि आपकी मासिक आमदनी कितनी है और खर्च कितना है और कितना पैसा बचता या घटता है। इसके जरिये आप वास्तव में अपने नकदी प्रवाह पर नजर रख सकेंगे। नकदी प्रवाह का उचित प्रबंध वित्तीय नियंत्रण की पहली शर्त है। यदि आपके खर्च बहुत ज्यादा हैं तो फालतू खर्चों पर अंकुश लगाएं।

4. बजट के अनुसार खर्च करें
यह ऐसा क्षेत्र है जिस पर आपको बारीक नजर रखनी होगी। यदि आपके खर्च आपकी आमदनी से ज्यादा हैं तो सावधान हो जाएं और खर्चों में तत्काल कमी करें। इसी तरह यदि आपके खर्च आमदनी से कम हैं तो नकदी बचती है तो भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तुरंत बचत व निवेश प्रारंभ कर दें। अपने मासिक खर्चों का ब्योरा तैयार करें और उसी के अनुसार चलें। इसका एक मोटा नियम 50:30:20 का है। अर्थात 50 फीसद आमदनी आवश्यक घरेलू चीजों पर खर्च करें। 30 फीसद राशि जीवनशैली में लगाएं, जबकि 20 फीसद पैसा बचाएं और लंबी अवधि के फायदे को ध्यान में रखकर इस बचत राशि का निवेश करें।

5. कर्ज से मुक्त जिंदगी
जिंदगी को कर्जमुक्त रखने की आदत डाल। पर्सनल लोन लेने व क्रेडिट कार्ड का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें। यदि आप पर पहले से कर्ज है तो महंगे कर्ज को जल्द से जल्द अदा करने का प्रयास करें। यदि होम लोन ले रखा है तो उसे भी जल्द से जल्द अदा करने का प्रयास करें। अपनी फालतू आय को बचाएं और हर साल के अंत में थोड़ा होम लोन चुका दें।

6. अपने लक्ष्य तय करें
किसी खास लक्ष्य को लेकर निवेश प्रारंभ करें। वित्तीय लक्ष्य अपने आप नहीं प्राप्त होते। आपको उन्हें प्राप्त करना होता है। इसके लिए लक्ष्य ऐसे रखें जो पहुंच के भीतर हों और फिर उन्हें पाने की तिथि और राशि निर्धारित करें। आपको सोचना होगा कि सात साल बाद आप किस तरह की जिंदगी चाहते हैं। उसके हिसाब से अपने निवेश का खाका बनाएं।

7. लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग
यह वास्तव में एक रणनीति है, जिसके जरिए आप अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। इसमें निवेश कहां और कैसे करें आदि की जानकारी शामिल है। यदि आपने अपने लक्ष्यों की पहचान कर ली हैं, किंतु कर्ज से लदे हैं तो पहले ऊंची ब्याज दर वाले कर्ज अदा करें। निवेश की बारी इसके बाद आती है।

8. निवेश की आदत
लक्ष्य प्राप्ति की रणनीति तभी बनाई जा सकती है, जब आप अपनी बचतों का निवेश करें। यह निवेश लक्ष्य के अनुसार उचित इंस्ट्रूमेंट्स में होना चाहिए। सभी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के इंस्ट्रूमेंट्स में थोड़ा-थोड़ा निवेश करना चाहिए।

9. पर्याप्त बीमा कवर रखना
क्या आपके पास पहले से जीवन बीमा व हेल्थ बीमा है? अस्पताल व इलाज के खर्च बढ़ रहे हैं। लिहाजा एक उपयुक्त हेल्थ प्लान अवश्य लें, जिसमें आपके परिवार के सभी सदस्य कवर होते हों। अपनी व अपने आश्रितों की आय के अनुसार आपको एक सावधि बीमा कवर भी लेना चाहिए।

10. उचित टैक्स प्लानिंग करें
उचित टैक्स प्लानिंग से आपके पास निवेश के लिए फालतू पैसा बच सकता है। उसका निवेश करें, ताकि आपको आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत टैक्स की बचत हो सके। इनमें धारा 80सी, 80सीसीडी, 80डी, धारा 24(1)(6) व धारा 80ईई (यदि होम लोन ले रखा है) वगैरह शामिल हैं। टैक्स बचाने के चक्कर में ऐसी जगह निवेश न करें, जिससे अच्छा रिटर्न प्राप्त न होता हो।

11. निवेश नीति तैयार करें
निवेश नीति प्रत्येक पेशेवर वित्तीय योजना का हिस्सा होती है। इसमें वे सुझाव होते हैं, जिनसे पोर्टफोलियो निवेश के तरीके का पता चलता है। इससे आप अनुशासित निवेशक बनते हैं। इसमें इस बात का ब्योरा होता है कि आपको अपनी जोखिम क्षमता व अवधि के अनुसार किस असेट श्रेणी में कितने प्रतिशत राशि लगानी चाहिए।

12. अपनी योजना पर डटे रहिए
वित्तीय लक्ष्यों को कामयाब बनाने के लिए आपको निवेश नीति अपने निवेश के क्रम को लंबे समय तक बिना किसी अगर-मगर के बनाए रखना होगा।

13. योजना की नियमित समीक्षा
अपनी वित्तीय योजना की समीक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। यह चेकप्वाइंट है, जिससे आपको पता चलता है कि आप योजना के मुताबिक ही चल रहे हैं या नहीं। कभी-कभी आपको आवश्यकतानुसार छोटे-मोटे बदलावों की भी जरूरत पड़ सकती है।

इन सभी कदमों को उठाकर आप अपनी सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट से काफी पहले वित्तीय आजादी हासिल कर सकते हैं। वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना एक आवश्यक लक्ष्य है और सभी को इसके लिए अभी से प्रयास करना चाहिए।

राजीव जमशेदकर
फाउंडर व एमडी सेरंगेती वेंचर्स

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