बेहतर रिटर्न के लिए कंपनियों का प्रदर्शन हो आधार
इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के आर्बिट्रेशन में फंसे फंड का 70 फीसद जारी करने का सरकार का फैसला इस क्षेत्र के लिए काफी उत्साहजनक है।
सरकार की तरफ से आने वाले नीतिगत फैसले बाजार के लिए सकारात्मक रुख का निर्माण कर रहे हैं।इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के आर्बिट्रेशन में फंसे फंड का 70 फीसद जारी करने का सरकार का फैसला इस क्षेत्र के लिए काफी उत्साहजनक है। वैसे, यह फैसला उन्हीं कंपनियों पर लागू होगा जो आर्बिट्रेशन के केस जीत चुकी हैं लेकिन उनके मामले अपील में हैं। बावजूद इसके उद्योगों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया यह फैसला आधुनिक भारत में सरकार की तरफ से उठाया गया एक अप्रत्याशित और साहसी कदम है। रिलायंस जियो ने भी टेलीकॉम क्षेत्र का सबसे अनूठा और ग्राहकों के लिए सस्ता प्लान देकर पूरे उद्योग में खलबली मचा दी है। इससे टेलीकॉम क्षेत्र की कंपनियों की व्यवहार्यता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इसका असर बाजार में टेलीकॉम कंपनियों पर दिखने लगा है और अभी यह असर जारी रहेगा। सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के अगस्त के वेतन में नए वेतनमानों के अनुरूप एरियर का भुगतान कर दिया है। दीपावली से पहले मिली इस राशि के इस्तेमाल से उपभोक्ता कंपनियों की बिक्री में वृद्धि की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
खासतौर पर ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र की कंपनियों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। हालांकि अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि के संकेत मिलने के बाद से बाजार में नरमी का दौर आया है। लेकिन इसे लेकर अब बाजार में घबराहट नहीं है। सप्ताह के आखिरी दिनों में बाजार ने यह प्रदर्शित भी कर दिया है कि वह तेजी के मूड में है। अगस्त के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने बाजार में 9800 करोड़ रुपये का निवेश किया जो देश की अर्थव्यवस्था में उनका भरोसा दर्शाता है। ऑटो कंपनियों की बिक्री के आंकड़े भी बता रहे हैं कि बाजार में बना तेजी का मूड ऐसे ही नहीं बना है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। निफ्टी 8700 का स्तर छू चुका है। अभी इस इंडेक्स में और ऊपर जाने की गुंजाइश बची है। लेकिन कारोबारियों को निफ्टी की बजाय अब भी चुनिंदा शेयरों पर ही नजर बनाकर निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए। निफ्टी 50 इंडेक्स 2008 के स्तर से करीब 35 फीसद ऊपर है। लेकिन रिलायंस इंडस्ट्री, ओएनजीसी, आइसीआइसीआइ बैंक, भारती एयरटेल, वेदांत, एनएमडीसी, टाटा स्टील, भेल और आइडिया जैसे शेयर अब भी उस स्तर से काफी नीचे बने हुए हैं। यह बताता है कि अब सूचकांक से अलग हटकर प्रत्येक सेक्टर और शेयर का विश्लेषण अलग अलग किए जाने की आवश्यकता है।