आपदाएं और आपका धन
बाढ़ के चलते जम्मू-कश्मीर के लोग अभूतपूर्व आपदा का सामना कर रहे हैं। शायद मैं आदतन 'अभूतपूर्व' शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं। ऐसी प्राकृतिक आपदाएं अक्सर भारत के विभिन्न हिस्सों में आती हैं। जिस तरह पर्यावरण का क्षरण हो रहा है, उससे ऐसी आपदाएं बार-बार घटित होने की संभावन
बाढ़ के चलते जम्मू-कश्मीर के लोग अभूतपूर्व आपदा का सामना कर रहे हैं। शायद मैं आदतन 'अभूतपूर्व' शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूं। ऐसी प्राकृतिक आपदाएं अक्सर भारत के विभिन्न हिस्सों में आती हैं। जिस तरह पर्यावरण का क्षरण हो रहा है, उससे ऐसी आपदाएं बार-बार घटित होने की संभावना है। वैसे भी अगर बाढ़ या तूफान नहीं तो भूकंप जैसी आपदा किसी भी समय कहीं भी आ सकती है।
कश्मीर में आपदा की तस्वीरें देखते हुए मेरे मन में विचार आ रहा है कि ऐसी आपदाओं के समय वित्तीय परिसंपत्तियां, भौतिक संपत्तियों से किस प्रकार भिन्न हैं। वित्तीय समायोजन पर चर्चा के दौरान अक्सर एक तथ्य को नजरंदाज कर दिया जाता है वह है भौतिक परिसंपत्तियां कितनी नाजुक हैं। आपकी जेब में जितनी रकम रखी है, जितना सोना रखा है और अलमारी में जितना सामान रखा है, किसी आपदा के आने के बाद उसमें कितना बचेगा, यह कोई नहीं जानता।
जिन लोगों ने बाढ़ या किसी अन्य आपदा के चलते अपना घर छोड़ दिया है, जब वे वापस लौटेंगे तो उन्हें नहीं मालूम कि जो कुछ वे छोड़कर गए थे उसमें से उन्हें क्या सामान, कितना सुरक्षित मिलेगा। मान लीजिए अगर वे अपने साथ कुछ धनराशि रख भी ले जाएं तो उसकी हिफाजत की कोई गारंटी भी नहीं है।
इस तरह किसी भी आपदा के समय वित्तीय परिसंपत्तियां भौतिक संपत्तियों की तुलना में बेहतर हैं। हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है। आपात स्थिति में जब किसी भी व्यक्ति को धन की आवश्यकता पड़ती है तो वह उसके पास होना चाहिए। जब कोई भूकंप आता है या बाढ़ का पानी जमा होता है तो ऐसी स्थिति में चालू हालात में एटीएम ढूंढ़ना खतरनाक हो सकता है।
धीरेंद्र कुमार