इक्विटी निवेश का सही समय आ गया
-बीते वर्ष की अस्थिरता से लेकर अभी तक के माहौल को कैसे देखते हैं? शेयर बाजार में सितंबर, 2013 की अस्थिरता को हमने देखा था। वह मुख्य तौर पर डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में भारी गिरावट होने की वजह से सामने आई थी। उसके बाद से रिजर्व बैंक व अन्य एजेंसियों ने बाजा
-बीते वर्ष की अस्थिरता से लेकर अभी तक के माहौल को कैसे देखते हैं?
शेयर बाजार में सितंबर, 2013 की अस्थिरता को हमने देखा था। वह मुख्य तौर पर डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में भारी गिरावट होने की वजह से सामने आई थी। उसके बाद से रिजर्व बैंक व अन्य एजेंसियों ने बाजार को स्थिर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब तो रुपया भी स्थिर है, चालू खाते में घाटे की स्थिति भी बेहतर है। केंद्र में एक स्थिर सरकार बनने से दुनिया में भारत को सकारात्मक नजरिये से देखा जाने लगा है। नई सरकार बनने के बाद सभी मान कर चल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले पांच वषरें तक बेहतर प्रदर्शन करेगी और महंगाई भी काबू में आएगी। ऐसे में कंपनियों के मुनाफे में भी अच्छी वृद्धि होने की गुंजाइश है। देश में होने वाले विदेशी निवेश में भी लगातार सुधार होने की संभावना है।
-मौजूदा हालात में खुदरा निवेशकों को आप क्या सलाह देंगे?
खुदरा निवेशकों को निश्चित तौर पर इक्विटी में पैसा लगाने पर ध्यान देना चाहिए लेकिन एक बात उन्हें दिमाग में रखनी होगी उनका निवेश लंबी अवधि के लिए हो। देखिए पैसे की कीमत हर व्यक्ति के लिए उतनी ही होती है। अब विदेशी संस्थागत निवेशक भारत को एक बहुत ही उम्मीद भरी नजर से देख रहे हैं। उन्होंने नए सिरे से निवेश करना भी शुरू कर दिया है। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में भारत जो विकास करेगा उसका हिस्सा बनना हर कोई चाहेगा। आम आदमी ने ही नई सरकार बनाई है और उसे पूरा हक है कि नई सरकार की नीतियों का फायदा उठाए। बाजार में एक सकारात्मक संचार जो हुआ है उसे देखते हुए निवेशकों को दो सुझाव दूंगा। पहला, जिन्होंने पहले से निवेश कर रखा है उन्हें इक्विटी में और निवेश करना चाहिए। दूसरा, जिन्होंने निवेश अभी नहीं किया है उन्हें पांच से दस वषरें के हिसाब से इसमें पैसे लगाना शुरू कर देना चाहिए।
-क्या लंबे समय तक शेयर बाजार का रिटर्न बेहतर रहेगा?
रीयल एस्टेट उद्योग के अपने उतार- चढ़ाव होते हैं। वर्ष 2008 के संकट के बाद रीयल एस्टेट सेक्टर में निवेश करने वालों का अकाल पड़ा हुआ था। भारत में अब भी रीयल एस्टेट में निवेश इसलिए नहीं किया जाता कि उसे बाद में बेच कर मुनाफा कमाया जाए। जब आर्थिक मंदी आती है तो आम तौर पर निवेशक इक्विटी में निवेश से पीछा छुड़ाते हैं। हालांकि यह बात कोई नहीं जानता कि शेयर बाजार ने पिछले दस वर्ष में औसतन 23 फीसद का रिटर्न दिया है।
-एसआइपी कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं अभी? निवेशक एसआइपी को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है?
मैं आपको बताना चाहूंगा कि बाजार में नए एसआइपी के आने का दौर जारी है। रिकॉर्ड संख्या में एसआइपी का पंजीयन हो रहा है। ज्यादातर निवेशक एसआइपी में एक से तीन वषरें के लिए निवेश करते हैं। बहुत कम निवेशक ही पूरी तरह से सोच समझ कर एसआइपी में पैसा लगाते हैं। मेरा सुझाव है कि निवेशक एक निश्चित लक्ष्य के साथ निवेश करें। मसलन सेवानिवृत्ति के लिए या नए घर खरीदने के लिए। बिड़ला सन लाइफ एएमसी के तहत पंजीयन करवाने वाले निवेशकों की संख्या पिछले एक वर्ष, में काफी तेजी से बढ़ी है। हम सी-एसआइपी को खास तौर पर प्रोत्साहित कर रहे हैं, यह बीमा कवरेज के साथ भी उपलब्ध है।
मेरा मानना है कि एसआइपी को लेकर लोगों में आकर्षण और बढ़ेगा। हमारी सफलता में एसआइपी का खास महत्व है। बिड़ला सन लाइफ एएमसी का फंड प्रबंधन एक लाख करोड़ की सीमा पार कर चुका है। हमारा इक्विटी पोर्टफोलियो घरेलू स्तर पर 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है। विदेशी पोर्टफोलियो 18,000 करोड़ रुपये का है। पिछले वर्ष हमारे 1.28 लाख नए निवेशक बने। यह बताता है कि हमारी कंपनी सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
ए बालासुब्रमणियन
सीईओ
बिड़ला सन लाइफ एएमसी
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