महंगाई से बचाने वाला इन्फ्लेशन बांड
इंफ्लेशन इंडेक्स्ड नेशनल सेविंग्स सिक्यूरिटीज-क्यूमिलिटीव (आइआइएनएसएस-सी) को इंफ्लेशन बांड कहा जाता है। सरकार रिजर्व बैंक के माध्यम से जनता को महंगाई से सुरक्षा देने वाले इस निवेश इंस्ट्रूमेंट को जारी करती है। इसमें कोई भी व्यक्ति, संस्थान, अविभाज्य हिंदू परिवार (एचयूएफ), ध
इंफ्लेशन इंडेक्स्ड नेशनल सेविंग्स सिक्यूरिटीज-क्यूमिलिटीव (आइआइएनएसएस-सी) को इंफ्लेशन बांड कहा जाता है। सरकार रिजर्व बैंक के माध्यम से जनता को महंगाई से सुरक्षा देने वाले इस निवेश इंस्ट्रूमेंट को जारी करती है। इसमें कोई भी व्यक्ति, संस्थान, अविभाज्य हिंदू परिवार (एचयूएफ), धर्मार्थ ट्रस्ट, केंद्र व राज्य की ओर से पंजीकृत विश्वविद्यालय निवेश कर सकते हैं।
इस पर सामान्य परिस्थितियों में सालाना महंगाई की दर के ऊपर 1.5 फीसद का रिटर्न मिलेगा। मसलन, महंगाई की दर अगर सात फीसद सालाना है, तो निवेशकों को 8.5 फीसद का रिटर्न मिलेगा। अगर महंगाई की दर शून्य से नीचे भी चली जाती है, तब भी ग्राहकों को न्यूनतम 1.5 फीसद का रिटर्न मिलेगा।
इस पर रिटर्न की गणना छमाही आधार पर की जाएगी, लेकिन भुगतान मैच्योरिटी के वक्त किया जाएगा। इसके लिए खुदरा महंगाई की दर को आधार बनाया गया है। इस स्कीम में अधिकृत बैंकों या स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन के जरिये निवेश किया जा सकता है। एसबीआइ व उसके सभी सहयोगी, राष्ट्रीयकृत बैंक, एक्सिस, आइसीआइसीआइ और एचडीएफसी बैंक को स्कीम के लिए नियुक्त किया गया है। स्कीम में न्यूनतम 5,000 से 5,00,000 रुपये तक का निवेश संभव है। संयुक्त खाते के तहत भी निवेश किया जा सकता है। मैच्योरिटी से पहले भी निवेशित राशि निकालने की व्यवस्था है, लेकिन इसके लिए अर्थदंड देना पड़ेगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ राहत है। वे एक वर्ष बाद निवेश राशि निकाल सकते हैं। आम निवेशकों के लिए परिपक्वता अवधि तीन वर्ष की है।