दोपहिया वाहनों के लिए लंबी अवधि की बीमा पॉलिसी
आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड कंपनी की ओर से पहले ही साल में पांच लाख की लंबी अवधि की बीमा पॉलिसी को बेचने में सफलता हासिल की जिसमें 130 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला।
देश के ऑटोमोटिव उद्योग में दोपहिया सबसे बड़ा वर्ग है। मार्च 2016 तक देश में 16 करोड़ पंजीकृत दोपहिया वाहन हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनमें से करीब 15.2 करोड़ दोपहिया वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इनमें से 60 से 70 फीसद वाहन बिना बीमा कराए चल रहे हैं। यह स्थिति तब है जब किसी भी वाहन को सड़क पर उतारने के लिए मोटर बीमा अपने देश में कानूनी तौर पर अनिवार्य है।
आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड में हमने इस पर निरंतर विचार किया और पाया कि बीमा के मामले में सबसे बड़ा अंतर दोपहिया वाहनों में है। लोगों से इस बारे में जब फीडबैक मांगा गया तो ज्यादातर का मानना था कि हर साल पॉलिसी का रिन्यूवल कराना इसकी सबसे बड़ी वजह है। लोगों को हर साल दोपहिया वाहन की पॉलिसी कराना असहज लगता है।
इस मामले पर विचार करने के बाद ही हमने पाया कि इसका इलाज लंबी अवधि की पॉलिसी में है। लंबी अवधि वाली पॉलिसी में हर साल के रिन्यूवल के झंझट से ग्राहक को मुक्ति मिल जाती है। दूसरे लंबी अवधि की पॉलिसी होने की वजह से ग्राहक के लिए प्रीमियम की राशि भी कम हो जाती है। कंपनियों के लिए डिस्ट्रीब्यूशन और सर्विसिंग के लिहाज से भी लंबी अवधि की पॉलिसी मुफीद बैठती है। जैसी उम्मीद थी ग्राहकों का रेस्पांस भी उसी के मुताबिक रहा है। कंपनी ने पहले ही साल में लंबी अवधि की पांच लाख पॉलिसी बेचने में सफलता हासिल की जिसमें 130 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला।
क्या इस पॉलिसी में टर्म चुनने का विकल्प ग्राहक के पास है?
-हम उन चुनिंदा कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने अप्रैल 2015 में सबसे पहले लंबी अवधि वाली दोपहिया बीमा पॉलिसी बाजार में पेश की। इस प्रोडक्ट की कीमत काफी आकर्षक रखी गई थी जिसमें ग्राहकों को एक साल की पॉलिसी के मुकाबले दो से तीन साल की पॉलिसी लेने पर 10 से 15 फीसद की बचत होती है। एक बार लंबी अवधि की पॉलिसी लेने के बाद ग्राहक प्रीमियम राशि में वृद्धि अथवा अन्य वजहों से प्रीमियम की दर बढऩे से भी निश्चिंत हो जाता है। ग्राहकों को इसमें सबसे बड़ा लाभ यह है कि पॉलिसी अवधि में क्लेम लेने के बावजूद नो क्लेम बोनस का लाभ बरकरार रहता है। मसलन यदि आपने तीन साल की पॉलिसी ली है तो तीन क्लेम लेने तक आप नो क्लेम बोनस का लाभ ले सकते हैं। हां हम अपने ग्राहकों को पॉलिसी की अवधि के लिए एक, दो और तीन साल का विकल्प प्रदान करते हैं।
क्या इस पॉलिसी के साथ ग्राहक दुर्घटना बीमा जैसे एड ऑन प्राप्त कर सकता है?
-ग्राहकों के फीडबैक के आधार पर हमने अपनी इस पॉलिसी में जीरो डेप्रिसिएशन का प्रावधान रखा है। इस कवर के तहत ग्राहक को पॉलिसी की अवधि में दोपहिया वाहन के पाट्र्स पर डेप्रिसिएशन की चिंता नहीं करनी है। इस तरह वह अपना क्लेम सर्वेयर द्वारा तय की गई राशि के मुताबिक ले सकता है। भविष्य में ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक कुछ और नए कवर इस पॉलिसी के साथ जोडऩे पर विचार किया जा रहा है।
आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड ने एक हेल्थ एडवाइजर सेवा की शुरुआत की है। यह क्या है?
-आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड हेल्थकेयर एडवाइजर इंटरनेट पर एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां ग्राहक अपने स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म पर केवल आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड के ग्राहक ही नहीं, कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इससे ग्र्राहक अपने हेल्थ ट्रीटमेंट को बेहतर तरीके से प्लान कर सकते हैं।
इस प्लेटफॉर्म पर आप किसी भी बीमारी के इलाज में विभिन्न अस्पतालों में आने वाले खर्च का तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अस्पतालों में किसी विशिष्ट बीमारी में मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता का मूल्यांकन भी किया जा सकता है। कमरे का किराया, आधारभूत सुविधाएं और प्रक्रियागत खर्चों के बारे में भी प्रत्येक अस्पताल की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। विभिन्न मरीजों के प्रत्येक अस्पताल पर दिए गए फीडबैक को भी इस प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकता है। इतना ही नहीं आप अपनी पसंद के अस्पताल में दिखाने के लिए समय भी ले सकते हैं।
इसके अतिरिक्त आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड ने किस तरह के इनोवेटिव कदम उठाए हैं?
-उत्पादों और सेवाओं के मामले में निरंतर बदलाव के मामले में आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड ने हमेशा उद्योग में पहल की है। 2003 में मौसम बीमा उत्पाद लाने वाली पहली कंपनी हमारी ही थी। वेब प्लेटफॉर्म हम 2005 में ही शुरू कर चुके थे। साल 2008 में हमने आंतरिक क्लेम प्रोसेसिंग सेंटर की शुरुआत की। इसमें करीब 100 डॉक्टर और 200 ऑटोमोबाइल इंजीनियर हैं। हाल ही हमने अपने कॉल सेंटर को और बेहतर बनाया है ताकि ग्राहकों की समस्याओं और शंकाओं का त्वरित समाधान किया जा सके।
- भार्गव दासगुप्ता, एमडी व सीईओ, आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड