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बीमा को कम अहमियत देना घातक

मोबाइल ऑपरेटरों का फैला हुआ डिस्ट्रब्यूशन नेटवर्क व ग्राहकों से संबंधित जानकारियों का डिजिटाइजेशन छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने का विश्वसनीय तरीका है

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 18 Apr 2016 01:06 PM (IST)Updated: Mon, 18 Apr 2016 01:23 PM (IST)
बीमा को कम अहमियत देना घातक

छह माह पहले मेरठ निवासी प्रमोद कुमार से उनके या उनके परिवार के लिए बीमा कराने की बात की जाती तो वह उसे सिरे से नकार देते। यह उनके लिए पहले से तंग बजट में अतिरिक्त खर्च जोड़ने जैसा होता। वह खुद बेरोजगार थे और घर का खर्च पत्नी की छोटी सी नौकरी से चलता था। इसी प्रकार हैदराबाद के सामा वेंकटैया को इस बात का यकीन नहीं था कि यदि वह बीमा कराते हैं तो उनकी मृत्यु के बाद परिजनों को सचमुच में कुछ लाभ मिलेगा। दुर्भाग्यवश फरवरी में प्रमोद कुमार की पत्नी का देहांत हो गया। जबकि वेंकटैया की किडनी फेल हो जाने के कारण उनके परिवार को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।

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एक सप्ताह बाद जब प्रमोद कुमार अपनी स्वर्गवासी पत्नी का सिम लौटाने टेलीनॉर के स्टोर पहुंचे तो उन्हें सिम पर बीमा योजना के विषय में बताया गया। तीन दिन से भी कम समय में उन्हें 20 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। यह प्रमोद कुमार के लिए वास्तव में राहतकारी था, क्योंकि इस राशि की मदद से अब वह एक छोटी सी चाय की दुकान खोलकर अपने परिवार का खर्च चला सकते हैं। दूसरी तरफ वेंकटैया की पत्नी को सिम पर बीमा योजना के बारे में कुछ जानकारी थी। उनके पति ने मृत्यु से पहले इस विषय में बताया था। लेकिन उन्हें क्लेम प्रक्रिया के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।

बहरहाल, श्रीमती वेंकटैया को अपने स्वर्गवासी पति का मृत्यु प्रमाणपत्र तथा पहचानपत्र जमा कराने के 72 घंटे के अंदर 50 हजार रुपये का चेक मिल गया, जिससे वह अपनी बेटी का विवाह कर सकती हैं।

बीमा से ज्यादा मोबाइल : भारत में बीमा के बजाय मोबाइल फोन खरीदने को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

यहां एक अरब से भी ज्यादा मोबाइल फोन हैं व 80 फीसद लोग फोन नेटवर्क से जुड़े हैं। लेकिन मात्र चार फीसद लोगों के पास ही जीवन बीमा पॉलिसियां हैं। इनमें भी ज्यादातर शहरी इलाकों तक सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों

में इनकी संख्या बहुत कम है। इसके कई कारण हैं।

बीमा से दूरी के कारण : सबसे बड़ा कारण लोगों में बीमा योजनाओं तथा इनके फायदों के बारे में जानकारी का

अभाव होना है। लेकिन प्रीमियम की स्पष्ट जानकारी न होना, जटिल कागजी कार्यवाही

तथा भुगतान निपटारे में देरी होना प्रमुख कारण हैं। इसके अतिरिक्त सीमित वितरकों के कारण भी ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों तक बीमा की पहुंच संभव नहीं हो पाती। इस समय भारत में 24 बीमा कंपनियां हैं, जिनकी 11 हजार से अधिक शाखाएं, 2.5 लाख कर्मचारी और 21 लाख के करीब बीमा एजेंट हैं। इसके बावजूद बीमा लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। ग्लोबल बीमाकर्ता स्विस रे के अनुसार 2014 में केवल 3.9 फीसद भारतीयों के पास बीमा पॉलिसी थी।

जबकि 2015 में यह आंकड़ा घटकर 3.3 फीसद रह गया। हालांकि पिछले एक वर्ष में प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना के आने से 1.24 करोड़ नए ग्राहकों को जीवन बीमा योजनाओं से जोड़ा गया है। किंतु इसके बावजूद अभी भी करोड़ों लोग जीवन बीमा योजनाओं से वंचित हैं।

सरल प्रक्रिया और सुदृढ़ तंत्र है जरूरी : इन चुनौतियों से तकनीक के जरिये निपटा जा सकता है। इन दिनों वित्तीय संस्थाएं मोबाइल के माध्यम से भुगतान करने की भिन्न-भिन्न योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। ऐसे में मोबाइल कंपनियों के रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के इस्तेमाल से बीमा योजनाओं को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकता है। मोबाइल कंपनियां देश के दूरदराज क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बना चुकी हैं। जहां माचिस की डिब्बी बिकती है वहां मोबाइल का सिम भी मिल जाता है।

बीमा के विस्तार में सबसे बड़ी समस्या उत्पादों के डिस्ट्रीब्यूशन की है। लोगों को इस बात का भरोसा दिलाना आसान नहीं है कि थोड़ा सा प्रीमियम अदा करने से उनके न रहने पर परिवार को बड़ी रकम मिलेगी।

निम्न वर्ग का एक तबका तो प्रीमियम भुगतान को अतिरिक्त बोझ समझता है। गाढ़े वक्त के लिए वह अपने हाथ में नकदी रखना ज्यादा पसंद करता है। इसके अलावा निरक्षरता व अज्ञानता की समस्याएं भी बीमा

के मार्ग में बाधक हैं।

अनोखा समाधान: इससे निपटने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में टेलीनॉर ने एक अनोखा समाधान निकाला।

उसने अपनी मोबाइल तकनीक व रिटेल नेटवर्क को ध्यान में रखते हुए अपने ग्राहकों के लिए जीवन सुरक्षा बीमा योजना की पेशकश की। यह सरल व आसान नामांकन वाली मुफ्त बीमा योजना है। यह ग्राहकों को

मासिक रिचार्ज पर दी जाने वाली मुफ्त जीवन बीमा योजना है। जो ग्राहक इस आसान योजना का लाभ उठाना चाहते हैं उन्हें एक सरल प्रक्रिया के तहत अपनी सहमति से नामांकन कराने के साथ प्रति माह अपना सिम रिचार्ज कराना होता है। इसके बदले उनके परिवार को मासिक रिचार्ज वैल्यू के 100 गुना के बराबर बीमा कवर मिलता है। कंपनी समस्त दस्तावेज जमा करने के महज सात दिनों के भीतर क्लेम का भुगतान करने का वादा भी करती है। यह सुविधा टेलीनॉर के समस्त चार लाख रिटेल आउटलेट तथा 2000 ब्रांडेड स्टोर पर उपलब्ध है।

सरकारी योजनाओं से बेहतर: यह योजना रिचार्ज कराने पर मिलने वाले टॉक टाइम या डाटा से कहीं बढ़कर जीवन सुरक्षा देती है। बीमा से जुड़ी सरकारी योजनाओं से जुड़ने के लिए बैंक अकाउंट होना तथा कुछ अग्रिम राशि अदा करना जरूरी है। किंतु टेलीनॉर सुरक्षा के तहत किसी तरह का शुल्क नहीं लगता और क्लेम का चेक भी आसानी से प्राप्त हो जाता है।

टेलीनॉर, श्रीराम लाइफ व माइक्रो इंश्योरेंस कंपनियों की भागीदारी वाली यह योजना इस बात का सफल उदाहरण है कि जटिल वित्तीय उत्पादों में तकनीक के प्रयोग से किस प्रकार बड़े सामाजिक हित वाली सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जा सकती है। यही नहीं, यह इस बात का प्रमाण भी है कि किसी भी क्षेत्र के मौजूदा कार्यबल को न केवल बीमा

उत्पादों की बिक्री के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, बल्कि रिटेल शॉप्स का प्रयोग बीमा उत्पादों के बारे में जागरूकता फैलाने में किया जा सकता है। इससे बीमा के बारे में ग्राहकों का संकोच दूर करना, उन्हें बीमा

योजनाओं का लाभ बताना तथा उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित करना आसान हो गया है।

शरद मेहरोत्रा

सीईओ, टेलीनॉर

इंडिया कम्यूनिकेशंस


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