जल्द बनाएं बच्चे के भविष्य की योजना
बीमा में निवेश से अभिभावकों में बच्चों के भविष्य के प्रति वित्तीय अनुशासन पैदा होता है। एफडी आदि अन्य उत्पादों में यह खूबी नहीं। चाइल्ड प्लान लेने से आपात स्थिति में भी बच्चे का भविष्य प्रभावित नहीं होता।
बच्चों की परवरिश की अवधारणा में पिछले कुछ सालों में भारी बदलाव आ गया है। इसके लिए प्राय: आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारक जिम्मेदार हैं। आज महिलाएं नौकरी करती हैं। परिवार के निर्णयों में उनकी भागीदारी भी होती हैं। इसके अलावा बच्चे की पैदाइश से पहले अभिभावक उसके भविष्य की तैयारी करने लगते हैं। छोटे परिवारों के कारण माता-पिता दोनों ही बच्चे के पालन-पोषण की छोटी-छोटी बारीकियों पर भी ध्यान देते
हैं ताकि कोई कसर न रह जाए।
हाल के वर्षों में बच्चे की परवरिश की लागत में काफी इजाफा हुआ है। उदाहरण के लिए शिक्षा की लागत आसमान छूने लगी है। हाल का रुख बताता है कि लोग उच्च शिक्षा के लिए अपने बच्चों को विदेश भेज रहे हंै जिस पर काफी खर्च आता है। आने वाले समय में मांग और महंगाई के परिणामस्वरूप इस लागत में और बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त हमारी सामाजिक बुनावट भी हमें बच्चे की पढ़ाई के लिए बचत को प्रेरित करती है। वास्तव में एचडीएफसी लाइफ वैल्यूनोट्स लाइफ फ्रीडम इंडेक्स के तहत टियर 1 व टियर 2 श्रेणी के 11 शहरों
में किए गए सर्वे से पता चलता है भारत के शहरी लोग अपने बच्चे की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता (75 फीसद) देते हैं। अन्य प्राथमिकताओं के कारण वे बच्चों के भविष्य के बारे में काफी देर से योजना बनाते हैं। जबकि
वित्तीय निवेश के लाभ प्राप्त करने के लिए हमेशा बच्चे के शुरुआती वर्षों (3-8 वर्ष) के दौरान ही योजना बना लेनी चाहिए। इससे बचत के लिए 10 वर्ष से अधिक समय प्राप्त होगा और बच्चे की उच्च शिक्षा के वक्त
आवश्यक धनराशि प्राप्त हो जाएगी।
जीवन बीमा योजनाएं विशेष तौर पर निवेश के जोखिम को कम करने तथा मकसद के लिए सतत कोष तैयार करने के लिए तैयार की जाती है। यूनिटों से संबद्ध यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप) अभिभावकों को लंबी अवधि में इक्विटी से अच्छे लाभ के साथ वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करती हैं। बच्चों के लिए तैयार चाइल्ड यूलिप
पारदर्शी होने के साथ अभिभावकों को उनकी जोखिम क्षमता के अनुसार स्वयं निवेश का साधन चुनने की आजादी देती हैं। निवेश के सर्वाधिक पसंदीदा साधनों-बैंक एफडी तथा पोस्ट ऑफिस बचत में दीर्घकाल में कम रिटर्न प्राप्त होता है। इतना कि बमुश्किल महंगाई को मात दी जा सकती है। इन निवेशों से कुछ सालों के भीतर क्रय शक्ति के साथ पूंजी का भी ह्रास हो जाता है। दूसरी ओर इक्विटी न केवल महंगाई को मात देती है, बल्कि लंबी अवधि में बेहतर लाभ भी प्रदान करती है।
यही नहीं, बीमा में निवेश से अभिभावकों में बच्चों के भविष्य के प्रति वित्तीय अनुशासन पैदा होता है। एफडी आदि अन्य उत्पादों में यह खूबी नहीं। चाइल्ड प्लान लेने से आपात स्थिति में भी आपके बच्चे का भविष्य प्रभावित
नहीं होता। बच्चे के लिए समय-समय पर धन की आवश्यकता पड़ती है। जैसे कि स्कूल, कॉलेज, उच्च शिक्षा तथा शादी के वक्त के खर्च। इसलिए बच्चे की उम्र के अनुसार उसके खर्चों का आकलन करना चाहिए। मसलन, जो बच्चा अभी 10वीं में पढ़ रहा है, उसकी उच्च शिक्षा के लिए पांच साल बाद धन की जरूरत पड़ेगी। जीवन बीमा इस जरूरत को आवश्यक मानता है और तदनुसार नियमित धन भुगतान या निकासी के विभिन्न विकल्पों वाली योजनाएं पेश करता है। इन निकासियों का इस्तेमाल बच्चे के समग्र विकास, जैसे कि कला, नृत्य, खेलकूद, ट्यूशन फीस अथवा इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स आदि की खरीद में किया जा सकता है। यूलिप के तहत पॉलिसी के अंत में फंड वैल्यू के अनुसार एकमुश्त राशि भी प्राप्त की जा सकती है। इसका इस्तेमाल कॉलेज की फीस अथवा विवाह संबंधी बड़े खर्चों में किया जा सकता है। इससे बच्चे के जीवन के अहम पड़ाव आसानी से हासिल हो जाते हैं।
संजय त्रिपाठी
सीनियर एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट व
हेड-मार्केटिंग, एनालिस्ट, डिजिटल व
ई-कॉमर्स एचडीएफसी लाइफ