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घरेलू अर्थव्यवस्था के संकेतों पर चलेगा बाजार

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में वृद्धि के बाद यह अब स्पष्ट हो गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस प्रकार के बाहरी झटकों को सहने में पूरी तरह सक्षम है। लेकिन डॉलर की मजबूती के बाद यह भी साबित हो गया है कि उसका भारतीय

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2015 01:04 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2015 01:10 PM (IST)
घरेलू अर्थव्यवस्था के संकेतों पर चलेगा बाजार

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में वृद्धि के बाद यह अब स्पष्ट हो गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस प्रकार के बाहरी झटकों को सहने में पूरी तरह सक्षम है। लेकिन डॉलर की मजबूती के बाद यह भी साबित हो गया है कि उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना असर है। हालांकि जापान और ताइवान के केंद्रीय बैंक फेड रिजर्व के ब्याज दर में बढ़ोतरी से होने वाले नुकसान की भरपायी के लिए उतरे हैं। बैंक ऑफ जापान ने 300 अरब येन सालाना के रूप में राहत की नई खेप बाजार में डाली है। ताइवान के केंद्रीय बैंक ने इस साल में दूसरी बार ब्याज दर में कटौती का एलान किया है। हालांकि बाजार की धारणा को जीडीपी के अनुमानों में कमी ने भी प्रभावित किया।

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यह भी सच है कि फेड रिजर्व के फैसले ने इतने दिनों से चल रही अनिश्चितता को दूर अवश्य किया है। अब बाजार घरेलू अर्थव्यवस्था के संकेतों की तरफ भी अपना ध्यान केंद्रित करेगा। जीएसटी की तरफ से भी अनिश्चितता काफी हद तक समाप्त हो गई है, क्योंकि अब यह स्पष्ट है कि फिलहाल इसके पहली अप्रैल, 2016 से लागू होने के आसार नहीं हैं।

शुक्रवार को सरकार ने संसद में चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के अर्धवार्षिक विश्लेषण प्रस्तुत की। सरकार ने आर्थिक विकास दर का अपना शुरुआती अनुमान घटा दिया है। अब सरकार को लगता है कि चालू वित्त वर्ष में विकास की दर 7-7.5 फीसद रहेगी। पहले यह अनुमान 8-8.5 फीसद का था।

निर्यात और कृषि की वृद्धि दर काफी धीमी रहने के चलते सरकार ने यह अनुमान लगाया है। हालांकि सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.9 फीसद के लक्ष्य पर बरकरार रखा है। लेकिन वित्त वर्ष 2017 में राजकोषीय घाटे में 0.4 फीसद की कमी सरकार के लिहाज से चुनौतीपूर्ण रहेगी।

इस बीच रिजर्व बैंक ने भी बैंकों के लिए ब्याज दर की गणना करने का नए तरीके पर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इसके बाद अब ब्याज दरें बेस रेट की बजाय फंड की लागत के हिसाब से तय होंगी। हालांकि यह बैंकों के नजरिये से नुकसान का सौदा है, लेकिन इसका असर बैंकों पर बहुत अधिक नहीं होगा क्योंकि यह नए कर्जों पर लागू होगा। चूंकि ज्यादातर बैंक पांच साल से अधिक की अवधि के लिए कर्ज देते हैं। इसलिए ऐसे कर्जों की ब्याज दर का आधार ऊंची दर

ही होगी।

घरेलू बाजार में सोमवार से बीएसई सेंसेक्स में अडानी पोट्र्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और एशियन पेंट्स वेदांत और्र ंहडाल्को इंडस्ट्रीज का स्थान ले लेंगे। बुधवार को एल्केम लैब और डॉ. लाल पैथलैब भी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाएंगे। क्रिसमस के चलते शुक्रवार को बाजार बंद रहेंगे।

संदीप पारवाल

एमडी, एसपीए कैपिटल्स


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