लिक्विडिटी में संशोधन से कर्ज के दर में आएगी गिरावट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ओपन मार्केट ऑपरेशन्स की वजह से लिक्विडिटी की स्थितियां आसान हो गई हैं।
नर्इ दिल्ली। इस बात के मजबूत संकेत बाजार में मिल रहे हैं कि घर, कार और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन के ब्याज दरों में जल्द ही गिरावट होने वाला है। पिछले तीन महीनों में, शॉर्ट टर्म इंस्ट्रूमेंट्स जैसे सरकार की ट्रेजरी बिलों, कॉमर्शियल कागजातों और डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स के आधार पर मिल रहा है और इससे लिक्विडिटी की स्थितियां आसान हो गई हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इसका प्रमुख कारण है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का ओपन मार्केट ऑपरेशन जिसके जरिए सिस्टम में पैसे भेज रहा है ताकि सिस्टम में लिक्विडिटी की परिस्थिति आसान बनी रहे। एक अर्थशास्त्री के अनुसार, आने वाले महीनों में कर्ज की दरों में गिरावट आएगी जो 50 बेसिस प्वाइंट (100 बेसिस प्वाइंट= 1 पर्सेंटेज प्वाइंट) तक हो सकती है। इसके साथ ही FCNR (फॉरेन करेंसी नॉन रेजिडेंट)का कहना है कि ब्रेक्जिट की वजह से विदेशी पूंजी के प्रवाह में कमी आएगी।
लिक्विडिटी की स्थिति सुधरने से शॉर्ट-टर्म रेट में कमी आएगी इससे कर्जदाता कम ब्याज दरों पर पैसे लेकर आगे कर्ज दे सकें और कम ब्याज दरों पर पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा। गौरतलब है कि मई के शुरुआत से ही बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी 1.06 लाख करोड़ से घटकर सरप्लस 10,361 हो गया है। शॉर्ट टर्म मनी मार्केट में सरकार के ट्रेजरी बिल रेट में भी खासी कमी आई है।
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क्रेडिट ऐंड मार्केट रिसर्च ग्रुप के सह निदेशक सौम्यजीत नियोगी के अनुसार पिछले सप्ताह लिक्विडिटी सिस्टम न्यूट्रल हो गया है। उन्होंने कहा कि इस साल लिक्विडिटी में बदलाव देखा जा सकता है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि ब्रेक्जिट की वजह से भारत में विदेशी पूंजी का प्रवाह रुक सकता है और इससे लिक्विडिटी सिस्टम में वृद्धि होगी। जानकारों के अनुसार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सितंबर महीने से दिवाली तक सरकार को लगभग 30,000 करोड़ का एरियर देना है। यह देखते हुए बैंकों का FCNR आउटफ्लो के लिए सक्षम होना जरूरी है।
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