जन्माष्टमी विशेष : श्रीकृष्ण सा विराट वृंदावन चंद्रोदय मंदिर
बुर्ज खलीफा से भी गहरी होगी इस मंदिर की नींव
श्रीकृष्ण संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं। जब किसी विराट छवि के समक्ष इंसान स्वयं को खड़ा पाता है, तो उसके अहंकार का क्षय होता है और सर्वव्यापी ईश्वर के समक्ष वह शीश झुका देता है। श्रीकृष्ण की विराटता का एहसास दिलाने और श्रीमद्भगवतगीता के संदेश को संपूर्ण विश्व में प्रसारित करने के लिए वृंदावन में विशाल चंद्रोदय मंदिर का निर्माण हो रहा है। ‘हरे कृष्ण हरे राम’ मंत्र को विश्वव्यापी बना देने वाले इस्कॉन ने इस मंदिर को बनाने का बीड़ा उठाया है।
वृंदावन का उदीयमान चंद्रमा
श्रीकृष्ण सृष्टि के सर्वेसर्वा हैं। उनके सामने जाति, धर्म, रंग, राष्ट्रीयता का भेद मिट जाता है। वृंदावन में उन्होंने अनेक लीलाएं कीं और समय-समय पर अपनी विराटता से भक्तों को परिचित कराया। इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद चाहते थे कि दुनिया में न सिर्फ श्रीकृष्ण का सर्वधर्म समभाव संदेश प्रसारित हो, बल्कि लोग भौतिकता और अस्तित्व के कष्टों से उबरकर कृष्ण चैतन्य भी बन सकें। इसके लिए उन्होंने वृंदावन में चंद्रोदय मंदिर की स्थापना का स्वप्न देखा। हालांकि यह मंदिर 2022 में पूरा बनकर तैयार होगा लेकिन इसकी भव्यता की चर्चा अभी से है। यह मंदिर भारतीय मंदिर और आधुनिक वास्तुकला का संगम होगा। इसके जरिए श्रीकृष्ण के समय का वृंदावन साकार होगा।
शांति का फैलेगा संदेश
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर एक पिरामिड के आकार का होगा जिसकी स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग दुनिया की ख्याति प्राप्त मेसर्स थॉर्नटॉन टोमासेत्ती कंपनी लियोनार्ड जोसेफ की अगुआई में हुई है। लियोनार्ड दुनिया में निर्मित हो रहे सबसे ऊंचे टॉवर जेद्दाह के किंगडम टॉवर (1.1 किमी.) की भी डिजाइनिंग कर रहे हैं। इसकी संरचना से ऐसे इंजीनियर्स जुड़े हैं जिन्होंने ताइपे 101 स्काईस्के्रपर (ताइवान), पेट्रोनस ट्विन टॉवर्स, कोहिनूर स्क्वायर और शंघाई टॉवर आदि को डिजाइन किया है। इसके निर्माण में सभी धर्मों के लोग जुटे हुए हैं। आर्किटेक्ट टीम जगमिंदर सिंह (सिख), स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग मिसम इमाम (मुस्लिम), परिवहन कार्यक्षेत्र क्रिस मीरिंग (क्रिश्चियन) के नेतृत्व में काम हो रहा है। बुर्ज खलीफा से भी गहरी नींव इंसान हो या गगनचुंबी इमारत, गहराई के बल पर ही उसकी ऊंचाई टिकती है। दुनिया के जितने भी स्काईस्क्रेपर्स हैं, वे पुख्ता नींव के बल पर ही टिके हैं। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा के आधार स्तंभ की गहराई 50 मीटर है और इस मंदिर के आधार स्तंभ की गहराई (नींव) लगभग 55 मीटर होगी जिनमें से प्रत्येक का व्यास एक मीटर होगा।
एक्सपो होंगे आकर्षण के केंद्र
धर्म और अधर्म के महाभारत में श्रीकृष्ण ने धर्म को नायकत्व प्रदान किया और संग्राम स्थल पर अर्जुन को माध्यम बनाकरसंपूर्ण जगत को श्रीमद्भगवतगीता का संदेश दिया, जो आज भी प्रासंगिक है। मंदिर परिसर में भागवतपुराण एक्सपो और कृष्ण संग्रहालय बनाए जाएंगे, जिनके माध्यम से आज के संदर्भ में गीता के संदेशों और कृष्ण-लीलाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इस इमारत के प्रारंभिक तीन तलों पर चैतन्य महाप्रभु और राधा, कृष्ण-बलराम के मंदिर के अलावा अन्य तलों पर आगंतुकों के लिए गैलरी, टेलिस्कोप व अन्य सुविधाएं होंगी।
दुनिया में अनूठा होगा मंदिर
- दुनिया के सबसे ऊंचे धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाएगा
- 200 सालों में अब तक का अत्याधुनिक मंदिर होगा
- उम्र 1000 साल से भी अधिक होगी
- मंदिर का फुटप्रिंट लगभग साढ़े 5 एकड़ में होगा
- कुल 70 एकड़ में होगा इसका क्षेत्रफल
- इसकी ऊंचाई लगभग 700 फीट यानी 210 मीटर या 70 मंजिला
- ब्रज के 12 वन क्षेत्र की प्रतिकृति के तौर पर मंदिर के चारों ओर 26 एकड़ में वन
- लगभग 700 करोड़ रुपए की लागत आएगी
- भागवत पुराण एक्सपो के माध्यम से गीता का प्रसार
- थ्री डायमेंशनल साउंड एंड लाइट शो के माध्यम से वैदिक साहित्य में वर्णित ब्रह्मांड का भ्रमण कराया जाएगा
- 4डी तकनीक से देवलोक और देवलीलाओं के दर्शन होंगे
- श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं पर आधारित होगी लाइब्रेरी
- इनवॉयरमेंट फ्रेंडली होगा दुनिया का पहला लीड गोल्ड सर्टिफाइड मंदिर
- 8 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता
- 170 किलोमीटर की तीव्रता से भी अधिक गति के तूफान को झेलने में सक्षम
- काल से परे है श्रीकृष्ण संदेश
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के चेयरमैन पद्मश्री मधु पंडित दास से हुई बातचीत के प्रमुख अंश...
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के माध्यम से क्या संदेश देना चाहते हैं?
श्रीमद्भगवतगीता में श्रीकृष्ण ने जो संपूर्ण मानवता के लिए संदेश दिया है, उसे किसी भी सीमा या काल से नहीं बांधा जा सकता है। इस महाकाव्य की कीर्ति जन-जन तक प्रसारित हो, इसके लिए हम वृंदावन की पवित्र भूमि पर एक विश्वस्तरीय स्मारक बनाना चाहते हैं।
कृष्ण की व्यापकता से संसार को क्यों परिचित कराना चाहते हैं?
कृष्ण कृष और न, दो शब्दों से बना है, जिसका मतलब है वह जो प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षित करे। सुंदरता, शक्ति, प्रसिद्धि, ज्ञान, समृद्धि और त्याग के प्रतीक हैं श्रीकृष्ण। वे समस्त सृष्टि के संचालक भी हैं। हरे कृष्ण आंदोलन के संस्थापक आचार्य स्वामी प्रभुपाद ने श्रीकृष्ण के इसी रूप को पहचानकर गीता के संदेशों का प्रचार-प्रसार करने में खुद को समर्पित कर दिया।
गगनचुंबी मंदिर के माध्यम से किस खास संदेश को प्रसारित किया जाएगा?
इस प्रतिष्ठित मंदिर के माध्यम से श्रीकृष्ण के संदेश को समसामयिक रूप में पेश किया जाएगा, ताकि लोग इसे न सिर्फ अपनाएं, बल्कि ईश्वर-केंद्रित शांतिपूर्ण जीवन जिएं।
प्रकृति किस तरह ईश्वर के साथ मन को जोड़ेगी?
श्रीमद्भगवदगीता के उल्लेखों के अनुसार, अलग-अलग तरह के पुष्प और लताओं को लगाकर श्रीकृष्ण के समय के ब्रजमंडल के बारह वनों की प्रतिकृति तैयार की जाएगी। ब्रज हेरिटेज गांव और देसी गायों की गोशाला अवश्य ही भक्तों को प्रकृति के साथ जोड़ेगी।
मंदिर के लिए वृंदावन का चुनाव ही क्यों?
वृंदावन एक ऐसा स्थान है, जहां श्रीकृष्ण पांच हजार साल पहले प्रकट हुए और अपनी कई अद्भुत लीलाएं दिखाईं। गोलोक वृंदावन उनकी दिव्य आध्यात्मिक निवास की हीअभिव्यक्ति है। चंद्रोदय मंदिर के माध्यम से हम श्रीकृष्ण का संदेश दुनिया तक पहुंचाएंगे। इससे वृंदावन आध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित होगा। यह दुनियाभर के विचारकों, दार्शनिकों को अपनी तरफ आकर्षित करेगा।
रामायण की तरह गीता घर-घर तक क्यों नहीं पहुंची है?
अलग-अलग लोगों ने गीता की अलग-अलग ढंग से व्याख्या की है, जिसे आम लोगों को समझने में दिक्कत होती है। वास्तव में गीता के संदेश काफी सरल हैं। उसकी विषय-वस्तु को यदि समसामयिक संदर्भ में पेश किया जाए, तो यह सभी लोगों के लिए प्रासंगिक होगी। इस्कॉन के संस्थापक आचार्य प्रभुपाद ने गीता के उपदेशों को यथावत विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया है।
मंदिर यह कार्य किस तरह करेगा?
मंदिर में कृष्णलीला पर आधारित एक थीम पार्क होगा, जो लोगों को कृष्ण को और अधिक जानने-समझने का अवसर मुहैया कराएगा। गीता एक्स्पो के माध्यम से हम जनमानस तक पहुंच पाएंगे। हमारे पास भक्तों की एक ऐसी टीम होगी, जो न सिर्फ मंदिर में बल्कि गीता के संदेशों को बाहर भी प्रसारित करेगी।
कृष्ण सामाजिक बेहतरी की बात करते हैं। इस मंदिर के माध्यम से इसे किस तरह साकार किया जाएगा?
हर व्यक्ति का चारित्रिक उत्थान ही श्रीकृष्ण का मूल उद्देश्य है। चंद्रोदय मंदिर का मुख्य उद्देश्य सत्य, दया, पवित्रता और तपस्या जैसे सार्वभौमिक गुणों को प्रसारित करना है। इससे विश्व में आध्यात्मिक क्रांति आ जाएगी।
युवाओं को कृष्णभक्ति से जोड़ने के लिए क्या करना होगा?
वैज्ञानिक पद्धति अपनानी होगी। ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के माध्यम से भक्ति योग के विज्ञान को ही पेश करने की कोशिश की जाती है।
स्मिता