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गुरु हर राय जी ने सदैव एक नैतिकवादी जीवन जीने की सलाह दी

ईमानदारी से नेक कमाई कर, उसका कुछ अंश जरूरतमंदों को दान करने और बुराई का त्याग कर अच्छे कर्मों को ग्रहण करने पर गुरु हर राय जी का अधिक जोर था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 08 Feb 2017 02:13 PM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2017 02:18 PM (IST)
गुरु हर राय जी ने सदैव एक नैतिकवादी जीवन जीने की सलाह दी
गुरु हर राय जी ने सदैव एक नैतिकवादी जीवन जीने की सलाह दी

सिख धर्म के सातवें गुरु हर राय जी का जन्म बाबा गुरदित्ता व माता निहाल कौर के घर 20 माघ संवत 1686 (26 फरवरी 1630) को कीरतपुर में हुआ। सिख समुदाय के लोग गुरु हर राय जी का जन्मोत्सव बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है व समूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है। कीरतपुर, करतारपुर, गोइंदवाल, खडूर साहिब, अमृतसर, जिला फ़िरोज़पुर का मिहराज तथा भाई रूपा इत्यादि जगहों पर गुरु हर राय जी की जयंती बेहद धूम-धाम से मनाई जाती है।

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गुरु हर राय का गुरुपद व सामाजिक कार्य

गुरु हर राय जी ने चैत्र 7 संवत 1701 (8 मार्च 1644) को धर्म-गुरु की उपाधि प्राप्त की। धर्मगुरु संस्कार गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने किया। गुरु हरराय जी एक आध्यात्मिक नेता होने के साथ-साथ जनता के कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने जनता की भलाई के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय भी बनवाया था। आयुर्वेद से लोगों को करीब रखने का यह एक बेहतरीन तरीका साबित हुआ था।

गुरु हर राय का उपदेश

गुरु हर राय जी ने सदैव एक नैतिकवादी जीवन जीने की सलाह दी। ईमानदारी से नेक कमाई कर, उसका कुछ अंश जरूरतमंदों को दान करने और बुराई का त्याग कर अच्छे कर्मों को ग्रहण करने पर गुरु हर राय जी का अधिक जोर था।


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