ईसाईयों का यह पर्व पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाता है
क्रिसमस शांति का संदेश लाता है।शास्त्र में ईसा को ‘शांति का राजकुमार’ नाम से पुकारा गया है। ईसा हमेशा कहते थे- ‘शांति तुम्हारे साथ हो’
क्रिसमस । ईसाईयों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार। देशभर में ये त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, क्रिसमस का आगमन काल शुरू होते ही ईसाई बहुल इलाके सजने-संवरने लग जाते हैं। इस दौरान चर्च में विशेष प्रार्थनाएं भी शुरू हो जाती हैं। ये तो आप जानते ही होंगे कि 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इस दिन को क्रिसमस-डे कहा जाता है और पूरे दिसंबर माह को क्राइस्टमास के नाम से जाना जाता है। क्राइस्टमास के खत्म होने के बाद ही ईसाई नववर्ष की शुरुआत होती है। क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्टस् मास’ शब्द से हुआ है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 326 ईस्वी में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह ईसाई समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
पौराणिक कहानी
क्राइस्ट के जन्म के संबंध में नए टेस्टामेंट के अनुसार व्यापक रूप से स्वीकार्य ईसाई पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा, तथा उसके राज्य की कोई सीमाएं नहीं होंगी। देवदूत गैब्रियल, जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्चे को जन्म देगी. गैब्रियल ने जोसफ को सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे और उसका परित्याग न करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय लागू नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के लिए रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ।
कैस मनाते हैं त्योहार
क्रिसमस समारोह अर्धरात्रि के समय के बाद शुरू होते हैं। इसके बाद मनोरंजन किया जाता है। सुंदर रंगीन वस्त्र पहने बच्चे ड्रम्स, झांझ-मंजीरों के आर्केस्ट्रा के साथ चमकीली छड़ियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं। सेंट बेनेडिक्ट उर्फ सांता क्लाज, लाल और सफेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेंडियर पर सवार होता है। वह बच्चों को प्यार करता है तथा उनके लिए चाकलेट, उपहार और अन्य वांछित वस्तुएं लाता है।क्रिसमस ट्री का महत्व
क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है, जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी -अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं। चर्च में क्रिसमस-डे के उपलक्ष्य में बिजली की लड़ियों से परिसरों को सजाया गया है। क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। अनुमानत: इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्नवासियों, चीनियों या हिब्रू लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई। इंग्लैंड में प्रिंस अलबर्ट ने 1841 ई. में विडसर कैसल में पहला क्रिसमस ट्री लगाया था।
कौन है सांता क्लॉज सांता क्लॉज बच्चों के लिए क्रिसमस पर गिफ्ट लाने वाले देवदूत हैं। क्रिसमस पर अमूमन हर छोटे बच्चे के नजरिए से सांता क्लॉज का यही रूप है, लेकिन संत निकोलस को असली सांता क्लॉज का जनक माना जाता है। संत निकोलस का यीशु के जन्म से कोई संबंध नहीं है किंतु वर्तमान में क्रिसमस पर्व पर सांता क्लॉज की अहम भूमिका रहती है। संत निकोलस का जन्म यीशु की मृत्यु के 280 वर्ष बाद मायरा में हुआ था। निकोलस, अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया, इसके बादे वो प्रभु यीशु की शरण में आए। निकोलस जब बड़े हुए तो ईसाई धर्म के पादरी और बाद में बिशप बने तब वह संत निकोलस के नाम से जाने गए। संत निकोलस को गिफ्ट देना बेहद प्रिय था, वे अमूमन अपने आस-पास मौजूद गरीब, नि:शक्तजनों और खासतौर पर बच्चों को गिफ्ट्स दिया करते थे। उन्हें यह काम करने में मन की शांति मिलती थी, लेकिन लोगों को उनका ये रवैया बिल्कुल पसंद न था। इस तरह ऐसा चलता रहा लेकिन आखिर में संत निकोलस के इस नजरिए को लोगों ने अपनाया। बच्चों को उपहार
क्रिसमस की रात सेंटा क्लॉज द्वारा बच्चों के लिए उपहार लाने की मान्यता है। मान्यता है कि सेंटा क्लॉज रेंडियर पर चढ़कर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं। सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें।
हर किसी को क्रिसमस के आने का इंतजार रहता है। हो भी क्यों नहीं आखिर इस त्योहार में मजा जो बहुत आता है। इसके लिए लोग काफी समय पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं। बजट को ध्यान में रखते हुए गिफ्ट, खान-पान का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए।
क्रिसमस पार्टी
हम आपको बताते हैं कि क्रिसमस पार्टी को किस तरह से यादगार बनाया जा सकता है. क्रिसमस की पार्टी की तैयारी आमतौर से लोग महीने भर पहले करने लगते हैं। पब और डिस्क में क्रिसमस पार्टी करना आम बात है, मगर कुछ नए थीम को अपनाकर आप अपनी इस साल की पार्टी को यादगार बना सकते हैं। पार्टी का बच्चों से लेकर युवा सभी इस पार्टी का भरपूर मजा लें। सबसे पहले अपने बजट के मुताबिक पार्टी का स्थान सुनिश्चित कर लें। फिर उन मेहमानों की लिस्ट बना लें और उन्हें समय पर न्यौता भी दे दें। इसके बाद अब समय आता है पार्टी के दौरान कौन-कौन सी फन एक्टिविटी रखी जाएगी, इसे भी आपस में सोच लें। सबसे आखिर में शॉपिंग से बचने के लिए गिफ्ट, कपड़े और खाने-पीने के सामान भी समय पर खरीद लें। अकसर लोग क्रिसमस पार्टी के लिए पार्टी प्लानर रखते हैं, जिसके जिम्मे पार्टी की सभी तैयारी होती हैं, मगर थोड़ी सी समझदारी के साथ आप खुद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. चूंकि क्रिसमस पार्टी में फैमिली और फ्रेंड्स दोनों ही शामिल होते हैं इसलिए पार्टी का थीम सोच-समझकर रखना चाहिए। कैरोल और प्रार्थना सभा के साथ गेम्स, डांस और लोगों की मौज मस्ती का पूरा ध्यान रखें। आप चाहे तो सांता क्लोज को पार्टी में ढूंढो, जैसे गेम्स बच्चों के लिए रखें। इसके अलावा बच्चों के कैरोल गान प्रतियोगिता और कविता सुनाओ प्रतियोगिता भी रख सकते हैं। वैसे तो लोग बाजार से खरीदे हुई गिफ्ट देना पसंद करते हैं, मगर इस क्रिसमस पर आप किसीगैर सरकारी संस्था द्वारा हाथ से बनाए गए सामान और कार्ड दे सकते हैं। स्टोरी बुक, किताबें, वीडियो गेम्स, आई पोड, फनी कैप, सांताक्लोज के कपड़े और खाने-पीने का समान गिफ्ट के रूप में दे सकते हैं। बड़ों के लिए भी वाइन की बोतल, केक कुकीज, कपड़े आदि का चुनाव अपने बजट के मुताबिक कर सकते हैं।
शांति का संदेश
क्रिसमस शांति का भी संदेश लाता है। पवित्र शास्त्र में ईसा को ‘शांति का राजकुमार’ नाम से पुकारा गया है। ईसा हमेशा अभिवादन के रूप में कहते थे- ‘शांति तुम्हारे साथ हो’। शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है। क्रिसमस संपूर्ण विश्व का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। कहते हैं कि ईसा के बारह शिष्यों में से एक, संत योमस दक्षिण भारत आए थे। उन्होंने दक्षिण भारत के कुछ प्राचीन राजाओं के महल में भी कार्य किए थे।
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