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इन ढेर सारी खुशियों का रिश्ता जुड़ा है क्रिसमस के त्योहार से

इसलिए तो क्रिसमस को खुशियों का खजाना कहा जाता है, तो फिर आप भी खुशियों को भर लीजिए अपनी झोली में...।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 12:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 12:58 PM (IST)
इन ढेर सारी खुशियों का रिश्ता जुड़ा है क्रिसमस के त्योहार से

खुशी जिसे हर कोई अपनी झोली में समा लेना चाहता है और यदि ये खुशियां ढेर सारी हों तो मन भावविभोर हो उठता है। इन ढेर सारी खुशियों का रिश्ता जुड़ा है क्रिसमस के त्योहार से। यूं तो त्योहार के मायने ही जीवन में बदलाव और खुशियों के लिए हैं मगर क्रिसमस के त्योहार में दूर देश से आने वाले सांता क्लॉज की झोली में जो उपहारों की कल्पना मात्र की जाती है, वहीं से खुशियों की लंबी सीढ़ी प्रारंभ होने लगती है...। न सिर्फ खुद के लिए बल्कि दूसरों के लिए खुशियां बांटने का त्योहार है यह...।

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क्रिसमस का जुड़ाव जहां प्रभु यीशु के जन्मदिन से है तो उनके संदेशों से भी है, सांता से है तो उनके उपहारों से भी, क्रिसमस ट्री से है तो उसकी महत्ता से भी, पारिवारिक ताने-बाने से है तो उनकी अनिवार्यता से भी और प्रकृति से है तो उसके व्यापक रूप को जानने के लिए भी है। जी हां, क्रिसमस के इस त्योहार में वह तमाम खुशियां शामिल हैं, जिनका इंतजार अमूमन हर व्यक्ति को अपने जीवन में होता ही है, तभी तो पूरे साल के इंतजार में से कुछ महीने सिर्फ इस त्योहार की तैयारियों में ही निकल जाते हैं।

आइए जानते हैं क्रिसमस की खुशियां और उनके मायनों को-

देने की खुशी

खुशियों को अपनी पोटली में भरकर लाने वाला एक ऐसा फरिश्ता जो कठिन से कठिन मौसम में भी क्रिसमस की सुबह बच्चों के लिए विशेष खुशियां लेकर आता है। बच्चों की आकांक्षाओं से तो हम भली-भांति परिचित हैं, इसलिए वह सांता हममें से ही हर किसी एक के मन में छिपा होता है। कभी हमारे दादा-दादी के रूप में तो कभी नाना-नानी, मौसी, मामा, चाचा के रूप और कभी माता-पिता के रूप में मन के भीतर छिपा यह सांता अपने बच्चों को जीवनभर खुशियां देता ही रहता है। जिस तरह सांता बिना किसी भी स्वार्थ के सबके जीवन में खुशियां लेकर आता है। उसी तरह हमें भी उससे सबक लेना चाहिए कि हम किसी भी तरह अगर एक इंसान को भी खुशी दे सकें तो शायद हम भी इस क्रिसमस को सही मायने में मनाने में कामयाब हो सकेंगे।

क्रिसमस ट्री देता जीवन संदेश

भारतीय संस्कृति में जिस तरह पेड़-पौधों की पूजा की जाती है उसी तरह का पर्यावरण प्रेम क्रिसमस ट्री के साथ भी जुड़ा है। क्रिसमस आयोजन में सबसे महत्वपूर्ण है क्रिसमस ट्री। क्रिसमस ट्री के लिए एक ऐसा पेड़ चुना जाता है जो हमेशा हरा रहता है। प्राचीन रोमन विश्वास के अनुसार यह पेड़ जीवन का प्रतीक माना जाता है। मिस्र और चीन से लेकर पूरे योरपीय देशों में इसके हरे रंग को नैसर्गिक जीवन का प्रतीक माना जाता है। जिसका वैज्ञानिक आधार भी है, जो पेड़ ऐसे प्रतिकूल मौसम में बर्फ से ढंके होने के बावजूद हरा बना रहता है, वह वास्तव में जीवन का ही संदेश देता है।

पारिवारिक जुड़ाव का ताना-बाना

क्रिसमस पारिवारिक जुड़ाव की भी एक अद्भुत मिसाल है। देश-दुनिया के कोनों में काम करने वाले ईसाई परिवार के सभी सदस्य इस त्योहार पर एकसाथ होने की पूरी कोशिश करते हैं। मीलों दूर का सफर करके वे अपने घर पहुंचते हैं क्योंकि एक-दूसरे के प्रति प्रेम और जुड़ाव का संबंध्ा उन्हें अपनी ओर खींचता है। कम से कम त्योहार के बहाने ही सही लेकिन एक छत के नीचे सबके साथ अपने सुख-दुख बांटते हुए भोजन करना, पूरे साल के लिए लोगों के मन में एक खास जगह बना लेता है। इन अनुभवों और यादों के सहारे वे फिर मिलने के इंतजार में जुट जाते हैं।

सूरज की विजय का दिन

क्रिसमस का संबंध प्रकृति से भी जुड़ा है। दरअसल 16 दिसंबर के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और 25 दिसंबर को रात-दिन बराबर होते हैं। इसलिए प्राचीन रोम में 25 दिसंबर को 'सूरज की विजय का दिन" मनाया जाता था। जिसका अर्थ है बड़े दिनों की शुरुआत और मौसम साफ होने का संदेश। भयानक शीत को चीरता हुआ सूर्य ऊपर चढ़ने लगता है और प्रकृति के लोगों को धीरे-धीरे जाड़ों के दिनों से राहत मिलने लगती है।

सेवा और दयालुता

प्रभु यीशु का जन्म ही उनके दयालु स्वभाव को जानने के लिए हुआ है। आज के समय में स्वार्थ, लोभ और हर प्रकार के पाप व बुराइयों का बोलबाला है। इन परिस्थितियों में क्रिसमस हमें मसीह के इस दुनिया में आने के कारणों का स्मरण दिलाता है। यीशु इस जगत में सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने के लिए आए थे। इसलिए क्रिसमस के इस अवसर पर इसे आत्मसात करने की जरूरत है। मदर मैरी और यीशु हमारे लिए वो उदाहरण हैं, जो हमें विपरीत परिस्थितियों में भी जीने की राह दिखाते हैं।

असीम सुख व शांति का खजाना

कुल मिलाकर क्रिसमस सुख और शांति का संदेश देता है। जिसमें उपस्थित हर चीज हमें सिर्फ खुशियां मनाने और खुशियां बांटने के लिए प्रवृत्त करती है। जिस तरह क्रिसमस के सितारे को पथप्रदर्शक माना जाता है। उसी तरह किसी भटके पथिक को राह दिखाकर देखिए, किसी जरूरतमंद की थोड़ी ही सही लेकिन जरूरत को पूरा करके तो देखिए इसके एवज में मिलने वाली खुशियां आपको ताउम्र सुखी रखने के लिए काफी है। इसलिए तो क्रिसमस को खुशियों का खजाना कहा जाता है, तो फिर आप भी खुशियों को भर लीजिए अपनी झोली में...।

हर व्यक्ति की जन्मकुंडली में यह स्थान कर्म का होता है


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